आज हम बात करेंगे किताब जिसका नाम है As A Man Thinketh, जिसे James Allen ने लिखा है। James एक British दार्शनिक (philosophical) लेखक थे जो अपनी प्रेरणादायक पुस्तकें और कविता के लिए बहुत प्रसिद्ध थे।
ये किताब 1903 मे प्रकाशित हुई थी। इस किताब में Allen ने ख्याल के ताकत को समझाया है, साथ ही उसके इस्तेमाल को भी सिखाया है। इसमें ये भी बताया गया है कि कैसे इंसान अपनी जिंदगी मे अच्छे बुरे हालातों का सामना करता है। इंसान अपनी जिंदगी को फिर से बना सकता है और अपने हालात बदल सकते हैं। ये ऐसी किताब है जो आपकी खुद की मदद करने में मदद कर सकती है। ये किताब ख्यालों के सही इस्तेमाल और ताकत को बताती है।
इस किताब को 7 अलग chapters में बांटा गया है, जिसको हम detail में समझेंगे ।
विचार और चरित्र
जैसे एक आदमी अपने दिल में सोचता है वैसा ही होता है। उसका character उसके ख्यालों का जोड़ होता है। जैसे बीज के बिना पौधा नहीं उग सकता, वैसे ही आदमी का हर काम उसके ख्याल के छुपे हुए बीज से निकलता है।
काम, ख्याल का फूल है, और खुशी और गम इसके फल हैं। हमारे दिमाग के ख्याल ने ही हमें बनाया है। हम जैसा सोचते हैं वैसे ही बनते हैं। अगर किसी आदमी के दिमाग में बुरे ख्याल आते हैं तो, दुख उसके पीछे वैसे ही आता है जैसे पहिया, बैल (ox) के पीछे आते हैं। अगर कोई अच्छे और शुद्ध ख्याल दिमाग में लाता है, तो खुशी उसकी परछाई की तरह उसके पीछे आती है।
इंसान, नियम से बढ़ता है, नाकी धोकेबाज़ी से, और उसका असर ख्यालों की दुनिया में भी वैसा ही है जैसे दिखने और चुनने वाली चीज़ों की दुनिया में। एक महान और भगवान जैसा किरदार किसी मौके या एहसान की बात नहीं है, बल्की ये सही सोच के लिए लगातार की गई मेहनत का फल है।
आदमी खुद से ही बनता या बिगड़ता है; ख्यालों के हथियार रखने की जगह पर ऐसे हथियार बनाता है जिससे वो खुद को बर्बाद कर देता है; वो उन औजारों का इस्तेमाल भी करता है जिनसे वो खुद के लिए खुशी और शांति का स्वर्ग जैसा महल बनाता है।
ख्यालों के सही चुनाव और इस्तेमाल से इंसान perfection की तरफ बढ़ता है और बुरे ख्यालों की गलत इस्तेमाल से वो शैतान से भी नीचे गिर जाता है। इन दोनों चीजो के बीच इंसान के सभी किरदार आते हैं और इंसान ही उनको बनाता है और वही उनका मालिक भी है। ताकत, समझौता, प्यार और अपने ख्यालों के मालिक होने के नाते इंसान के पास हर हालात की चाबी है और उसके अंदर कुछ ऐसा है जिससे वो जो चाहें बन सकते हैं।
बहुत ढूंढ़ने और खोदने से सोने और हीरे मिलते हैं, और इंसान खुद से जुड़ा हर सच ढूंढ सकता है अगर वो अपनी आत्मा की गहराई तक जाए, वो अपने चरित्र को बनाता है, जिंदगी को ढालता है, और अपनी किस्मत को बनाता है।
परिस्थितियों पर विचार का प्रभाव
एक इंसान का दिमाग एक बगीचे की तरह होता है, जिसकी समझदारी से खेती की जा सकती है या उसे जंगली बन जाने दिया जा सकता है। अगर इसमें जरूरी बीज नहीं डालेंगे तो उसमें बहुत से बेकार बीज गिर जाएंगे, और अपनी तरह से पौधे उगने लगेंगे। जैसे एक माली अपने बाग की रखवाली करता है, उसे बुरे बीजों से दूर रखता है और जिन फल, फूलों की उसे जरूरत होती है उन्हें बड़ा करता है।
इसी तरह इंसान भी अपने दिमाग से सभी खराब, बेकार और अशुद्ध ख्यालों को निकाल कर, सही, काम के और शुद्ध ख्यालों के फल और फूल लगा सकते है। इस तरीके को अपना कर, एक इंसान आज नहीं तो कल ये पता लगाता है कि वो ही अपनी आत्मा का माली है और अपनी जिंदगी का निर्माता है। साथ ही वो ये भी समझता है कि कैसे दिमाग के ख्याल, उसके किरदार, हालात और किस्मत को बनाते हैं।
ख्याल और किरदार एक ही है, और जैसे किरदार सिर्फ वातावरण और हालातों से ही ढूंढा और बनाया जा सकता है, इंसान की जिंदगी की बाहरी हालत, उसकी अंदरूनी हालत से जुड़ी हुई होती है। इसका ये मतलब नहीं है कि एक वक्त में इंसान के हालत उसके पूरे चरित्र को दिखाते हैं बल्की वो हालात उसके उस वक्त के कुछ ख्यालों से जुड़े होते हैं।
इंसान हालातों से घिरा रहता है जब तक वो खुद को बाहरी हालात का जीव मानता है। पर जब हमें एहसास होता है कि वो एक रचनात्मक ताकत है, और वो हालातों की छुपी हुई मिट्टी और बीजों को आदेश दे सकता है, तब वो खुद का असली मालिक बनता है। जिस भी इंसान ने एक लंबे समय तक आत्म-नियंत्रण की practice की है वो जानता है कि हालात, ख्यालों से ही बनते हैं और उन्होंने ये हमेशा ध्यान दिया है कि उनके हालातों का बदलाव बिल्कुल उनकी बदली हुई मानसिक हालत के बराबर है।
हर ख्याल का बीज जो दिमाग में डाला जाता है और वहीं अपनी जड़े फैलाता है वो खुद ही मौके और हालात बनाते है। अच्छे ख्यालों से अच्छा फल मिलता है, बुरे ख्यालों से बुरा फल मिलता है। और इंसान अपनी इस फसल से, खुशी और दुख दोनों सीखता है।
कोई भी इंसान किस्मत और हालातों के अत्याचार से नहीं, अपने विचारों और इच्छाओं के ख्यालों के आधार पर jail जाता है। और कोई शुद्ध दिमाग का इंसान अचानक किसी बाहरी दबाव की परेशानी से जुर्म नहीं करता, बल्की अपराधी विचार चुप चाप दिल में पनपते रहते हैं, और मौका मिलते ही अपनी ताकत दिखाते हैं। हालात इंसान को नहीं बनाते; वो उसे खुद से मिलते है।
आदमी वो आकर्षित नहीं करते हैं जो वो चाहते हैं, बल्की वो जो खुद है। उनके हौसले और महत्त्वाकांक्षा हर कदम पर नाकाम हो जाती है। पर उनके अंदरूनी ख्याल और इच्छा खुद ही बढ़ती रहती है, चाहे वो अच्छी हो या बुरी ।
मर्द अपने हालातों को सुधारने के लिए उत्सुक रहते हैं, पर खुद को सुधारना नहीं चाहते, इसलिए वो बंधे रहते हैं। जो आदमी खुद को सज़ा देने से नहीं सिकुड़ता है वो कभी भी उस चीज़ को पाने में fail नहीं हो सकता है जिसपर उसका दिल आता है। यहां तक कि जो इंसान, जिसका मकसद सिर्फ दौलत कमाना है उसे बहुत से बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए ।
एक आदमी है जो बदकिस्मती से बेहद गरीब है। वो अपनी पास-पास और घर की सुविधा में सुधार के लिए बहुत परेशान है, फिर भी वो हमेशा अपने काम से किनारा कर लेता है और ऐसा सोचता है कि वो अपने मालिक को धोखा दे सकता है क्योंकि उसकी पगार कम है ।
ऐसा इंसान एक सीधी सी बात नहीं समझता है जोकी असली सफलता का सिद्धांत है, और नाही अपनी बदकिस्मती से बाहर निकलने के लिए तैयार है। बल्की, इस तरह के गलत ख्यालों से खुद को और गहरी बदकिस्मती की तरफ ले जाता है।
एक अमीर आदमी है जो अपने लालच की वजह से एक दर्दभरी और लगातार बढ़ने वाली बीमारी का शिकार है। वो उससे छुटकारा पाने के लिए बहुत सा पैसा भी देने के लिए तैयार है पर वो अपनी लालची इच्छाओं का बलिदान नहीं देगा। ऐसा इंसान स्वस्थ होने के लायक नहीं है क्योंकि उसने एक स्वस्थ जीवन का पहला सिद्धांत नहीं सीखा है।
यहां एक मालिक है, जो धोके से मजदुरी देने से बचना चाहता है, ताकी वो ज्यादा मुनाफा कमा सके, और अपने मजदूरों की देहादी भी कम कर देता है। ऐसा आदमी भी सफलता पाने के लायक नहीं है और जब वो नाम और पैसे से कंगाल हो जाता है तो वो हालातों को जिम्मेदार मानते हैं ये समझे बिना की उसकी ऐसी हालत का वो खुद जिम्मेदार है।
हालात बहुत उलझे हुए हैं, ख्यालों की जड़ बहुत गहरी है, और खुशियों की हालात हर इंसान के साथ बदलती रहती है, इसमें आदमी की पूरी आत्मा की हालत, उसकी जिंदगी के बाहरी पहलू से नहीं पता लगाई जा सकती है।
एक आदमी को कई बार ईमानदार होकर भी दुख का सामना करना पड़ सकता है, और एक आदमी बेईमान होकर भी कई बार दौलत कमा सकता है, पर अक्सर ये माना जाता है कि एक आदमी अपनी ईमानदारी की वजह से fail होता है और दूसरे लोग उसकी बेईमानी से सफल होते हैं, जिससे ये पता चलता है कि बेईमान आदमी लगभग पूरी तरह ब्रहस्त है और ईमानदार इंसान अच्छा है।
गहरे ज्ञान और खुले अनुभव की रौशनी डालने से इस तरह का फैसला गलत पाया जाता है। बेईमान इंसान में ऐसी कुछ खूबियां हो सकती है जो औरो में ना हो और ईमानदार इंसान में ऐसी बुराइयां हो सकती है जो दूसरों में ना हो। ईमानदार इंसान अपने ईमानदार ख्यालों और कामों के अच्छे नतीजे (results) पाता हैं, इसी तरह बेईमान इंसान भी अपनी खुशियां और गम पाता है।
अच्छे काम और ख्यालों से कभी बुरे नतीजे नहीं मिल सकते हैं और बुरे काम और ख्यालों से कभी अच्छे नतीजे नहीं मिल सकते हैं। दुख, हमेशा गलत ख्याल का असर होता है। दुख का सही इस्तेमाल है, बेकार और अशुद्ध को खत्म कर देना। जो इंसान शुद्ध है, दुख उसके लिए खत्म हो जाता है।
एक आदमी जब तक सही नहीं रह सकता है जब तक कि वो खुश, स्वस्थ, और सफल ना हो, और खुशियां, स्वास्थ्य और सुरक्षा एक आदमी की अंदरुनी और बाहरी surrounding के संतुलन का परिणाम होती है।
एक आदमी सोचता है कि ख्याल को राज रखा जा सकता है पर ऐसा नहीं है, वो लगातार आदत बनता जाता है और आदत ही हालात बनती है। जैसा नशे की आदत ही बर्बादी और बीमारी का कारण बन जाती है, किसी भी तरह के अशुद्ध विचार, भ्रमित आदतें बन जाते हैं, जिससे भटकने वाले हालात बनते हैं।
डर और शक के ख्याल, कमजोर और डरनेवाली आदतें बनती हैं, जिनसे fail होने के हालात बनते है; आलसी ख्यालों से गंदगी और बेईमानी की आदतें बनती है जो बदबुदार और भिखारीपन के हालात बनाती है: नफ़रत और निंदा करने वाले ख़याल, इल्जाम और मार पीट की आदत बनाते हैं जिनसे चोट और दर्द के हालात बनते हैं: लालची ख्यालों से अपना-फायदा सोचने कि आदतें बनती हैं जिनसे और ज्यादा परेशानी के हालात बनते हैं।
दूसरी तरफ, सुंदर ख्यालों से दयालू आदतें बनती हैं जिनसे उज्जवल हालात बनते हैं; शुद्ध ख्यालों से शांत रहने और आत्म-नियंत्रण की आदत बनती है जिनसे शांति के हालात बनते हैं; साहसी ख्यालों से इंसानी आदतें बनती है जिनसे सफलता और आजादी के हालात बनते हैं। एक आदमी सीधा अपने हालातों को नहीं चुन सकता पर वो अपने ख्यालों को चुन सकता है और इस तरह वो अपने हालातों को शक्ल दे सकता है।
स्वास्थ्य और शरीर पर विचार का प्रभाव
शरीर, दिमाग का नौकर है। वो दिमाग के काम को पूरा करता है, चाहे वो जानकर चुने गए हो या अपने आप बने हो। बुरे ख्यालों से शरीर तेज़ी से खराब और बीमार होता है। खुशहाल और सुंदर ख्यालों से वो जवान और खूबसूरत हो जाता है। डर का ख्याल इंसान को गोली की तेज़ी से मार डालता है। घबराहट, शरीर को बीमारी के अंदर घुसने के लिए खोल देती है और अशुद्ध ख्याल, nervous system को नुक्सान पहुंचाते है।
इंसान जब तक गंदे ख्याल सोचता रहेगा उसका खून अशुद्ध और जहरीला होता रहेगा। एक साफ दिल से ही एक साफ शरीर और जिंदगी निकलती है। और सड़े हुए दिमाग से सड़ी हुई जिंदगी और ब्रह्स्त शरीर बनता है।
जो इंसान अपने ख्याल नहीं बदलेगा उसको diet को बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जब एक इंसान अपने ख्यालों को शुद्ध बना लेता है तो वो अशुद्ध खाना नहीं खाना चाहेगा। अगर आप अच्छा शरीर चाहते हैं तो अपने दिमाग को बचाकर रखें ।
शरीर की बीमारी को खत्म करने के लिए, खुशहाल ख्यालों से बेहतर doctor कोई नहीं है, नाही दुख दर्द की परछाई को इससे बेहतर तरीक़े से मिटा सकता है। हमेशा बूरे ख्यालों में रहने का मतलब है खुद के लिए jail बनाना ।
विचार और उद्देश्य
अगर ख्याल, आपके मकसद से नहीं जुड़ा हुआ है तो कुछ भी हासिल नहीं होगा। जब विचार को उद्देश्य से जोड़ा जाता है तभी बौद्धिक सिद्धि होती है। जिनका, जिंदगी में कोई मकसद नहीं होता है वो आसानी से चिंता, डर, परेशानी में पड़ जाते है जोकी failure, नाखुशी, नुकसान और कमजोरी तक ले जाते है ।
एक आदमी को अपने दिल में एक मक्सद रखना चाहिए जिसे वो पा सके। उसे इस मकसद को ही अपने ख्यालों का central point बनाना चाहिए। उसे इस मकसद को पाने के लिए खुद को समर्पित कर देना चाहिए और अपने ख्यालों को लालच और कल्पनाओं में नहीं भटकने देना चाहिए। अगर वो अपने मकसद को पाने में बार-बार fail भी होता है तो उसके किरदार की ताकत ही उसकी सफलता का पहचान होती है और ये भविष्य की ताकत और जीत के लिए नया starting point बनता है।
जैसे एक शारीरिक तौर पर कमजोर इंसान, training से खुद को मजबूत बना सकता है उसी तरह कमजोर ख्यालों का इंसान भी सही सोच से खुद को मजबूत बना सकता है। कमज़ोरी को हटाकर और मकसद के साथ सोचना शुरू करके उन मजबूत लोगों में शामिल हुआ जा सकता है जो असफलता को सफलता का रास्ता मानते है।
अपने मकसद को पाने के लिए एक इंसान को अपनी सुरक्षा तक का रास्ता मानसिक रूप से बनाना चाहिए, बिना आए-बाए देखे। डर और शक को बिल्कुल हटाना चाहिए, ये आपकी मेहनत को खराब कर देते हैं। डर और शक के ख्याल ना कभी कुछ हासिल कर पाए हैं नाहीं कभी कर पाएंगे। वो हमेशा असफलता तक ले जाते है। डर और शक, ज्ञान के सबसे बड़े दुश्मन हैं। जो शक और डर को जीत लेता है वो असफलता को भी जीत लेता है ।
उपलब्धि में विचार कारक (thought factor)
जो भी इंसान हासिल करता है या जो भी हासिल नहीं कर पाता है वो उसके खुद के ख्यालों का सीधा परिणाम होता है। एक इंसान की कमज़ोरी या ताकत, शुद्धता या अशुद्धता, उसकी खुद की है नाकी किसी और की और वो ख़ुद ही बदले जा सकते हैं नाकी किसी और से। उसके सुख दुख सब उसी से निकले हैं। वो जैसा सोचता है वो वैसा ही है, और जैसा वो सोचेगा वैसा ही रहेगा।
एक मजबूत इंसान कभी किसी कमजोर की मदद नहीं कर सकता है अगर कमज़ोर मदद नहीं लेना चाहेगा और एक कमजोर इंसान को भी खुद की मेहनत से मजबूत बनना चाहिए और वो ताकत बनानी चाहिए जो वो दूसरों में देखता है।
जिसने कमजोरी को जीत लिया है और सभी लालची ख्यालों को दूर कर दिया है, वही ऊपर उठ सकता है, जीत सकता है और हासिल कर सकता है। वो कमजोर सिर्फ तब रह सकता है जब वो अपने ख्यालों को ऊपर नहीं उठाता है। सफल होने के लिए उसे अपने लालच का बलिदान देना पड़ता है। बिना अपने ख्यालों पर काबू पाए वो बड़ी जिम्मेदारियों पर काबू पाने लायक नहीं होगा। वो जैसे ख्याल चुनेगा वही तक सीमित रहेगा।
ये दुनिया, लालचियों और बेईमानों का साथ नहीं देती है बल्की ये ईमानदारों की मदद करती है।
सही ख्याल से पाई गई जीत, निगरानी से ही बनाई रखी जा सकती है। बहुत से लोग सफलता मिलने के बाद, असफलता की तरफ वापस जाने लगते हैं। जिसे कम पाना है उसे कम, जिसको बहुत ज्यादा हासिल करना है तो उसे बलिदान भी बड़ा देना पड़ता है।
दर्शन (visions) और आदर्श (ideals)
सपने देखने वाले ही दुनिया के रक्षक हैं। जैसे दिखाई देने वाली दुनिया अनदेखी चीज़ों से चलती है, वैसे ही आदमी अपने सभी चीज़ों से, पापों से बचा हुआ अपने सपनों के ख़ूबसूरत नजारें से फलता है। इंसानियत अपने सपने देखने वालों को नहीं भूल सकती है, वो उनके आदर्शों को फीका पड़ने और मरने नहीं देंगे, वो उन्हीं में जिंदा है वो उस असलियत को जानती है जो वो एक दिन देखेगी और जानेगी।
संगीतकर, मूर्तिकार, चित्रकार, कवि, ऋषि, ये सब दुनिया के बाद की दुनिया, स्वर्ग के निर्माता है। दुनिया सुंदर है क्योंकि ये लोग जिए हैं, उनके बिना इंसानियत की मेहनत बर्बाद हो जाती।
जो ख़ूबसूरत नज़रिए को सराहता है और अपने दिल में रखता है, एक दिन उसका एहसास करता है। Columbus ने एक अलग दुनिया के नजरिए को सराहा और उसे ढूंढ लिया, Buddha ने अंद्रुनी खूबसुरती और शांति का नजरिया रखा और उन्होंने उसे पा लिया।
अपनी नजरियों को सराहे, अपने आदर्शों को सराहे, जो संगीत आपके दिल में घूम सकता है, जो खूबसूरती आपके दिमाग में बनती है, उसे सराहे। अगर आप इनसे सच्चे बनेंगे तो आपकी दुनिया बनेगी।
जो सोचते नहीं हैं और अंजान होते हैं, वो चीज़ों के सिर्फ असर को देखते हैं चीजों को नहीं, और वही, किस्मत और मौके की बात करते हैं। एक इंसान को अमीर होता हुआ देखकर वो कहते हैं ये कितना किस्मत वाला है। किसी को बौद्धिक बनता हुआ देखकर बोलते हैं कि वो कितना एहसानमंद है।
वो उनकी कोशिश, असफलताओं और संघर्ष को नहीं देखते जो लोगों ने किया है, नाहीं उन्हें उनके बलिदान का पता है। वो अंधेरे और दिल के दर्द को नहीं देखते हैं बल्कि सिर्फ रौशनी और खुशी को देखते हैं और उसे ‘किस्मत’ बोलते हैं, वो कठिन सफर को नहीं देखते हैं सिर्फ खूबसूरत मंजिल को देखते हैं और उसे ‘भाग्य’ बोलते हैं ।
जैसा नजरिया आप अपने दिमाग में रखोगे, जैसा आदर्श अपने दिल में बसाओगे, उसी से आपकी जिंदगी बनेगी, वहीं आप बनेंगे।
शांति (serenity)
दिमाग की शांति, ज्ञान के सुंदर रत्नों में से एक है। ये आत्मसंयम के लिए, लम्बे और शांत मेहनत का फल है। इसका होना, पके हुए अनुभव को दिखाता है।
एक शांत आदमी, जानता है कि खुद को कैसे संभालना है, वो जानता है कि खुद को दूसरे के अनुकूल कैसे बनाएं। एक आदमी जितना शांत होगा, उसकी सफलता उतनी ही बड़ी होगी। एक आम व्यापारी भी अपने business को सफल बना सकता है अगर वो self control को बढ़ा ले। मजबूत और शांत आदमी को हमेशा प्यार किया जाता है। वो एक प्यासी ज़मीन पर छाँव देने वाले पेड़ की तरह होता है या तूफ़ान मे पनाह देने वाले पत्थर की तरह।
आप जहां भी हो, आप किसी भी हाल में रहते हो, ये जान लीजिए – जिंदगी के समुंदर में, सुख के द्वीप मुस्कुरा रहे हैं, और आपके आदर्श के किनारे आपका इंतजार कर रहे हैं। आत्मसंयम शक्ति है, सही ख्याल मालिकाना है, शांति ही ताकत है। अपने दिल से कहिए, शांति।
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Contents
Amazing book thank you readers book club team 15th day completed thank you 😊😊
Day 15 th completed jaisa hum sochenge vaisa benaye
Thank you so much sir
Iss book se hme ye sikhne ko milta h ki ……
Hum sochte h vesa hi bante h
Jiska hum bij boyenge fal hme ushi ma hi milega
Mind hamara hi ek bagicha h jitni iski hum care krenge or jitne achhe bij boyenge utne hi achhe fool khilenge or utna hi khil uthega
Bahar ki hamari jesi bhi pristhiti h vo andaruni vicharo ka hi parinam h agr hum bahar ki pristhiti ko badalna chahte h to hme apni andruni vicharo ko bdalna hoga
Sant man or achhe vicharo se hi ek peaceful life ji ja skti h
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