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The Courage To Be Disliked (हिन्दी)

Ichiro Kishimi और Fumitake Koga द्वारा लिखित The Courage To Be Disliked एक मार्गदर्शिका है जो हमें खुद को वैसे ही स्वीकार करने में मदद करती है जैसे हम हैं। सभी अच्छाइयों और बुरी चीजों के साथ, जिन्हें हम सभी आत्मसात करते हैं, जरूरत स्वयं को स्वीकार करने और गले लगाने की है। यदि आप उनमें से हैं जो दूसरों की राय से परेशान हो जाते हैं, तो आप सही जगह पर हैं। पढ़ते रहे और बेहतर बने।

Ichiro Kishimi & Fumitake Koga 17 mins read Read in English Self Improvement Productivity Psychology

क्या आप खुद से प्यार करते हैं? अपने जीने के तरीके से संतुष्ट हैं? या, क्या आप दूसरों द्वारा स्वीकृति पर विशेस ध्यान देते हैं? दूसरे लोग क्या सोचते हैं? क्या आप उनकी मंजूरी से अधिक अपनी परवाह करते हैं?

यदि ये महत्वपूर्ण सवाल हैं आपके लिए, तो मैं आपको बधाई देना चाहूंगा क्योंकि आप यहां पर आकर अपने सभी संदेहों को दूर कर सकते हैं।

परिचय

आज हम “The Courage To Be Disliked” किताब के बारे में बात करने जा रहे है, जिसे “Ichiro Kishimi और Fumitake Koga” ने लिखा है।

इस किताब में बताया गया है, कि कैसे आप अपनी ज़िन्दगी को बदलकर ख़ुशी पा सकते हैं। किताब में Adlerian Psychology के बारे में बताया गया है, जो एक आसान और सुखी ज़िन्दगी पाने के लिए, आपके नजरिए को बदलता है किताब आपको बताती है, कि कैसे अपने अंदर की शक्ति का इस्तेमाल करके, आप अपना सबसे अच्छा और सच्चा इंसान बन सकते हैं, अपना भविष्य बदल सकते हैं और हमेशा के लिए खुशी पा सकते हैं।

लेखक बताते हैं, कि कैसे हम अपने खुद के भविष्य को पिछले अनुभवों (experiences), संदेहों (doubts) और दूसरों की उम्मीदों से आज़ाद कर सकते हैं। यह कुछ ऐसा है, जो हमें आज़ाद करता है, हमें बदलने के लिए साहस देता है, और उन सीमाओं (limitations) को अनदेखा करने की इजाजत देता है, जो हम और हमारे आस-पास के लोग, हम पर डाल सकते हैं। यह किताब आपको अपनी पूरी ज़िन्दगी को बदलने में मदद करेगी।

किताब को अच्छे से समझने के लिए हम इस किताब को 11 ज़रूरी अध्यायों में discuss करने जा रहे है।

तो चलिए शुरू करते है।

अध्याय 1. अपनी जिंदगी कैसे बदले?

The Courage To Be Disliked

आप किसी भी समय बदल सकते हैं। लेकिन आप ऐसा कर नहीं पाते है, क्योंकि आप यह करने का विकल्प (option) नहीं चुनते हैं। मतलब आप बदलाव के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाते है और अपने अतीत में उलझे रहते है।

“Adlerian Psychology” हमें बताती है, कि हमें पिछले कारणों के बारे में न सोचते हुए, अपने आज के लक्ष्यों के बारे में सोचना चाहिए। याद रखें, आपका अतीत आपके आज को तय नहीं करता है, बल्कि यह वह मतलब होता है, जो आप अपने अतीत के लिए बनाते हैं।

आप सिर्फ इसलिए नहीं बदल सकते, क्योंकि आप बदलने का फैसला नहीं लेते हैं। आप शायद सोचते हैं, कि चीजों को वैसे ही छोड़ना आसान है, जैसे कि वे हैं। लेकिन अगर आप ऐसे ही रहते हैं, तो आप और बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते है। अगर आप बदलना नहीं चुनते हैं, आपकी ज़िन्दगी दर्दनाक और चिंता से भरी हो सकती है।

जब आप बदलना नहीं चुनते है, तो आप अपने सपनों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं। इसलिए, बदलाव करने के लिए आपको खुद से कहना चाहिए “अगर मैं कोशिश कर सकता हूँ, तो मैं इसे कर सकता हूँ”। साथ ही आपको पूरे साहस के साथ बदलाव करना चाहिए।

अगर आपके पिछले अनुभव अच्छे नहीं थे, तो इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है, कि आप अपना आज अच्छा नहीं कर सकते, आप अपने उद्देश्यों (objectives) या सपनों को पूरा करने के लिए, जो कुछ भी करते हैं, उससे आप अपना आज बनाते हैं। मतलब यह हुआ, कि आप अपनी ज़िन्दगी का मतलब और अनुभव खुद बनाते है, इसलिए अपनी ज़िन्दगी में बदलाव करने से कभी पीछे न हटे, डटे रहे और आखिर में आप अपनी ज़िन्दगी बदल सकते है।

अध्याय 2. आप भावनाओं को बनाते हैं

अब जैसा की आप जानते है, कि आपके बदलाव की शुरुआत बदलाव करने के फैसले से होती है। इसलिए आपको जानना होगा, कि बदलावों के बीच रुकावट क्या आती है, जिससे आप लगातार बदलाव नहीं कर पाते है? जवाब है, आपकी भावनाएं।

जी हां, आपकी भावनाएं ही होती है, जिसकी वजह से आप मुश्किलों का सामना करते है और बदलाव पूरा नहीं कर पाते है। मतलब आपकी ज़िन्दगी में जब कुछ आपके अनुसार नहीं होता है, तो आप गुस्से में चिल्लाने लगते है और आपकी भावनाएं आप पर हावी हो जाती है, दूसरे शब्दों में, चिल्लाने के लिए, आपने गुस्से की भावना पैदा की।

गुस्सा एक ऐसी भावना होती है, जो आपको बेकाबू कर देता है और आप गलत फैसले लेने लगते है, इसलिए कहा जाता है, गुस्से में लिए गए फैसले मुसीबत के जैसे होते है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते है, जैसे परिचारक (waiter) ने आपकी जैकेट (jacket) पर coffee बिखेरी, तो आप उस पर चिल्लाते है, जबकि आपको पता है, की चिल्लाने या गुस्सा करने से आपकी jacket साफ़ नहीं होगी।

इसलिए आपको शांत रहना चाहिए और अपनी भावनाओं को नियंत्रित (control) करना सीखना चाहिए। याद रखे, हम भावनाओं से नियंत्रित नहीं होते हैं, बल्कि हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखना चाहिए।

अगर आप अपनी भावनाओं और गुस्से को काबू नहीं कर सकते हैं, तो आप अपनी ज़िन्दगी को भी नियंत्रण नहीं कर पाएंगे। इन सबसे बाहर निकलने के लिए, अभी अपने आप को स्वीकार करें, और अपनी भावनाओं को खुद पर हावी न होने दे, शांत रहने की कोशिश करें, गलतियों के लिए खुद को और दूसरों को माफ़ करें, साथ ही नतीजे की परवाह किए बिना, आगे बढ़ने का साहस रखें।

अगर आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीख जाते है, तो आप अपनी पूरी ज़िन्दगी को नियंत्रित कर सकते है।

अध्याय 3. Adlerian Psychology का इस्तेमाल करें

हम सभी लोग अपनी ज़िन्दगी का दृढ़ निश्चय (determination), अपने पिछले अनुभवों के अनुसार करते हैं। और कई बार यही हमारी जीवनशैली (lifestyle) को भी बनाता है, जो तय करता है, की आप दुनिया और खुद को कैसे देखते है।

जैसा की Sam नाम के एक लड़के को बचपन में एक बार घर से बाहर निकलने पर, दुर्घटना (accident) जैसी दिक्कत का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उसके मन में डर रह जाता है, इसलिए उसे उस सदमे से बाहर आने में परेशानी आती है।

AdlerianMethod से पता चलता है, कि Sam बाहर जाने का लक्ष्य नहीं बनाता है, इसलिए बाहर आने के लिए, वह चिंता और डर का सामना कर रहा है। इसी तरह वह दुनिया को भी डरावनी दुनिया के रूप में देखता है। लेकिन यह डर सिर्फ एक बहाना है, क्योंकि अगर Samने कभी बाहर निकलने की कोशिश ही नहीं की, तो भला वो उस सदमे से बाहर कैसे आ सकता है?

इसी तरह आपको अपनी ज़िन्दगी में, किसी भी काम का नतीजा जानने के लिए, उस काम को करके देखना ज़रूरी है, तभी आप उसके सकारात्मक पहलू को भी देख पाएंगे। आपकी ज़िन्दगी में अब तक जो कुछ भी हुआ है, उसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए, कि आप अब से कैसे जीते हैं। ध्यान रहे, आप आज में रह रहे हैं, और आप वही हैं, जो खुद अपनी ज़िन्दगी को तय करते हैं। इसलिए पूरे साहस के साथ, खुद में भरोसा रखते हुए आगे बढ़े और अपने लक्ष्यों को हासिल करें।

Adlerian Psychology, साहस की मनोविज्ञान (psychology) है। इसके अनुसार, अपनी समस्याएं के लिए अतीत या अपने पर्यावरण (environment) को दोष नहीं दें और न ऐसा मानें कि आप लायक नहीं है, बल्कि सच्चाई यह है, कि आप बस हिम्मत की कमी के कारण, अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाते है।

इसलिए अपनी ज़िन्दगी में ख़ुशी पाने के लिए, आपको हिम्मत रखनी होगी और अपने काम को पूरे भरोसे से करना होगा। तभी आप अपने हर सदमे से बाहर आ सकेंगे और अपनी ज़िन्दगी की असल खुशी को हासिल करेंगे।

अध्याय 4. आप हीनता की भावना को बहाने के रुप में इस्तेमाल करते हैं

जैसा की हमने जाना, कि जब हम अपनी भावनाओं को बहाने के रूप में इस्तेमाल करते है, तो हमें परेशानी आती है। इसी तरह हीनता की भावना, उद्देश्य तथ्यों (objective facts) के बजाय व्यक्तिपरक (subjective) हैं, जो पूरी तरह से दूसरों से खुद की तुलना (comparison) करने से पैदा होती है।

Subjectivity के बारे में एक अच्छी बात है कि यह आपको अपनी पसंद बनाने की इज़ाज़त देता है, मतलब किसी चीज़ के बारे में अपने नज़रिये को बदलकर, उससे अपने संबंध आदि को बदलकर बेहतर बना सकते हैं। हालांकि हम उद्देश्य तथ्यों को नहीं बदल सकते हैं, उद्देश्य तथ्य का मतलब है, जो चीज़ जैसी है, प्रकृति (nature) से वो वैसी ही रहती है, लेकिन हम जितना चाहें subjectivity को बदल सकते हैं।

The Courage To Be Disliked book

हम लोग मजबूर जीव (helpless creatures) के रूप में दुनिया में आते हैं, और उस मजबूर अवस्था से बचने की universal इच्छा होती है। इसे श्रेष्ठता (superiority) की खोज कहा जाता है । हीनता की भावना का सही तरीके से इस्तेमाल करके, इसे विकास के लिए एक अच्छा स्त्रोत (source) बनाया जा सकता है।

हालांकि, असफल लोग वो होते हैं, जो कदम आगे बढ़ाने का साहस खो देते हैं, और इस बात को स्वीकार नहीं करते, कि वास्तविक (realistic) कोशिश करके हर स्थिति को बदला जा सकता है, और कुछ भी करने से पहले, वे बस हार मान लेते हैं और कहते हैं “मैं वैसे भी बहुत अच्छा नहीं हूं” या “यहां तक ​​कि अगर मैंने कोशिश की, तो मुझे कोई मौका नहीं मिलेगा।” तो इसे हीन भावना कहा जाता है। न करने के बहाने के रूप में, लोग हीनता की भावनाओं का इस्तेमाल अक्सर करते है।

कुछ इस तरह से सोचते हैं कि: “मैं पढ़ा लिखा नहीं हूँ, इसलिए मैं सफ़ल नहीं हो सकता” या “मैं दिखने में अच्छा नहीं हूँ, इसलिए मैं एक अच्छे रिश्ते में नहीं आ सकता।” यह हीन भावना का इस्तेमाल करके कहा जाता है।

जबकि सफल लोग वे होते हैं, जिनके पास उत्कृष्टता (excellence) होता है। और वे हर काम ऐसे करते हैं, जैसे कि वे महान हैं और उत्कृष्टता की भावना से आगे बढ़ते हैं। आगे बढ़ते रहने के लिए हीन भावना को खुद से दूर रखें और अपनी उत्कृष्टता का इस्तेमाल करके आगे बढ़ते रहें। लगातार आगे बढ़ने में आपको साहस की ज़रूरत पड़ेगी, जिससे आप रुकावटों का डट कर सामना कर सकेंगे।

जिससे आप यकीनन सफ़लता को हासिल करेंगे और आपकी ज़िन्दगी खुशियों से भर जाएगी। इसलिए आज से और अभी से, बहाने बनाने की भावना को छोड़ कर आगे बढ़ने पर ध्यान दे और मनचाहे परिणाम हासिल करें।

अध्याय 5. असल सुख कैसे हासिल करें?

हम में ज्यादातर लोग खुश नहीं रह पाते है, क्योंकि वो दूसरों की खुशी को “खुद की हार” के रूप में देखते है और दूसरों को खुद के अनुसार बदलना चाहते है। लेकिन अगर आप सच में खुश रहना चाहते है, तो आपको खुद के लिए कोशिशें करनी होगी और खुद पर ध्यान देना चाहिए।

Adlerian Psychology खुद को बदलने का मनोविज्ञान है, न कि दूसरों को बदलने का मनोविज्ञान। दूसरों के बदलने का इंतज़ार करने के बजाय, आपको पहला कदम खुद आगे बढ़ाना हैं। क्योंकि दुनिया कभी नहीं बदल सकती, लेकिन आप वो बदलाव ज़रूर बन सकते है जो आप दुनिया में देखना चाहते है।

अगर आप उत्कृष्टता के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करना चाहते है, तो आपको खुद एक कदम आगे बढ़ाना होगा, कोई दूसरा आपके लिए यह नहीं करेगा। साथ ही अपनी ज़िन्दगी में ख़ुशी हासिल करने के लिए, आपको हीनता की भावना बनानी होगी, जो खुद की दूसरों से तुलना करने से नहीं आती है; जो अपने ideal self के साथ अपने आज के तुलना करने से आती है।

ताकि आपको अपने आपको बेहतर बनाने और आगे बढ़ने की अंदरूनी प्रेरणा मिलती रहे, जब तक आप अपने आदर्श (ideal) इंसान की तरह न बन जाएं।

समाज की नजरों में, अपनी सफ़ल ज़िन्दगी को बनाते समय, बहुत से लोग खुश नहीं होते हैं, क्योंकि वे सिर्फ प्रतियोगिता (competition) में रह रहे हैं। लेकिन, जब आप यह महसूस करेंगे, कि “लोग मेरे साथी हैं,” तो दुनिया को देखने का आपका तरीका बदल जाएगा और आप अपनी ख़ुशी को हासिल कर सकेंगे।

Adler मानते हैं, कि उत्कृष्टता की खोज, महान होने की कोशिश करने की एक universal इच्छा है, जो आपको आगे बढ़ने के लिए खुद कदम उठाना सिखाती है, जिसके लिए, आपको बाकि लोगों की तुलना में, बड़ा होने का लक्ष्य बनाने के लिए, प्रतियोगिता करने की ज़रूरत नहीं है।

The Courage To Be Disliked Summary

याद रखे हम सभी एक दूसरे से अलग है और सब में अपनी अलग खूबी है। हम किसी के साथ प्रतियोगिता करने के लिए नहीं चलते हैं। बल्कि खुद को बेहतर करने के लिए चलते है, इसलिए जो अब आपके पास है, उससे आगे बढ़ने की कोशिश करें। आपका प्रतियोगिता आपके खुद से होना चाहिए, जिससे आप खुद को सबसे अच्छे तरीके से विकसित कर सकते है।

अपने बारे में सोचना, चिंता करना, फैसले लेना और अपनी ख़ुशी बनाना, सब आप पर ही निर्भार करता है। इसलिए साहस के साथ आगे बढ़ें, अपने कल से आज बेहतर बनने पर ध्यान दें और तब तक अपने आदर्श लक्ष्य (ideal goal) की तरफ बढ़ते रहें, जब तक उसे हासिल न कर लें।

अध्याय 6. मान्यता (recognition) की इच्छा को नामंजूर करें

हम में से ज्यादातर लोग अक्सर दूसरों से उम्मीद लगा लेते है, कि वे वैसा ही करेंगे जो दूसरे चाहते है, जिससे वो अपनी ज़िन्दगी को छोड़ कर, दूसरों की ज़िन्दगी जीने लगते है। इसे बदलना बहुत ज़रूरी है, तभी आप अपनी ज़िन्दगी को सफ़लता और ख़ुशी से जी सकते है।

इसलिए, आपको अपनी मान्यता की इच्छा से इनकार करना चाहिए। आप बाकी लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए नहीं जी रहे हैं, और बाकी लोग आपकी उम्मीदों को पूरा करने के लिए नहीं जी रहे हैं। हम सभी अपनी ज़िन्दगी जी रहे है, तो इसका विकास करना भी हमारी ही ज़िम्मेदारी है।

अगर आपके रिश्तों की बात करें तो, रिश्तों में सभी को यह आजादी होती है, कि वह लोग एक – दूसरे को या एक दूसरे की किसी चीज़, या आदत को पसंद या नापसंद कर सकते हैं। यह इस बात का सबूत है, कि आप आज़ाद हैं, और आप अपने सिद्धांतों (principles) के अनुसार जी रहे हैं।

जब तक आप बाकि लोगों के फैसलों से बंधे हुए होते हैं और आपको बाकि लोगों द्वारा नापसंद किए जाने का डर होता है, तब तक आप कभी भी अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से नहीं जी सकते, और इस तरह आप कभी भी आज़ाद नहीं होंगे। इसलिए अपनी ज़िन्दगी के फैसले खुद ले, आखिर में आप वही बनेंगे जैसा आप सोचते है।

कोई इंसान जो आपके बारे में अच्छा नहीं सोचता है, वह उसकी समस्या है, आपकी नहीं। उसकी सोच बदलना आपका काम नहीं है। आप अपनी ज़िन्दगी के रिश्तों के बारे में सिर्फ इतना कर सकते हैं, कि आप जिस सबसे अच्छे रास्ते पर भरोसा करते हैं, उसे चुनें। और लोग उस बारे में क्या सोचेंगे, यह न सोचते हुए आगे बढ़े।

जब कोई आपको पसंद नहीं करता है और आपको उनके अनुसार काम करने को कहता है तो आपको जितनी जल्दी हो सके, उनकी बातों से इंकार कर देना चाहिए और उनकी बातों पर कोई जवाब न दें। सिर्फ यही एक चीज़ है, जो आप कर सकते हैं। सिर्फ जब गलती हो, तब अपनी गलतियों को स्वीकार करे, माफी मांगे, इनमें से कोई भी चीज़ हार मानना नहीं है।

बल्कि ऐसा करने से, आप सच्चाई और दयालुता के साथ सकारात्मक रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। अपने फैसले खुद ले और अपनी उम्मीदों पर काम करें, आखिर में आप अपने मनचाहे परिणाम और ख़ुशी को आसानी से हासिल कर सकेंगे।

अध्याय 7. मानव व्यवहार (Human Behaviour)

मानव व्यवहार दूसरों की वजह से प्रभावित होता है। यही वजह है, कि हम दूसरों के अनुसार काम करते है। लेकिन आप अपने व्यवहार को नियंत्रण कर सकते है और उन्हें अपने अनुसार इस्तेमाल कर सकते है। मानव व्यवहार का सही इस्तेमाल करने के लिए, आपको इसके दो उद्देश्यों को पूरा करना होता है:

  1. आत्म निर्भर बने
  2. समाज के साथ मिलजुलकर रहते हुए काम करें
The Courage To Be Disliked Hindi

इन व्यवहारों को अपनी ज़िन्दगी में लाने के लिए, आपको खुद में समझ विकसित करनी होगी, कि मेरे पास काबिलियत है और लोग मेरे साथी हैं। मैं अपनी ज़िन्दगी में वो सब हासिल कर सकता हूं, जो मैं चाहता हूं। इसके साथ ही आपको अपनी ज़िन्दगी के ज़रूरी काम को करने पर ध्यान लगाना चाहिए। Adler ने “ज़िन्दगी के काम” को, तीन कार्यों में बांटा हैं, जिसका सामना करके, आप अपने उद्देश्यों को हासिल कर सकते है।

  • काम के काम : आपके सभी पेशेवर जीवन (professional life) से जुड़े काम।
  • दोस्ती के काम : आपके दोस्त, रिश्तेदारों से जुड़े काम।
  • प्यार के काम : आपके अपनों से प्यार की भावना रखने के काम।

अगर आपके दोस्त या अपने, खुश नज़र आते है, तो उस ख़ुशी को अच्छी तरह मनाएं। यही प्यार जाहिर करने का तरीका हैं। ऐसे रिश्ते जिनमें लोग एक-दूसरे पर रोक लगाते हैं, आखिर में टूट जाते हैं। इसलिए अपने अपनों को उनके फैसलों में सहायता करें और उनकी कामयाबी के लिए खुश रहें।

Adler कभी भी ज़िन्दगी के काम को अच्छाई और बुराई के रूप मे नहीं देखते है। वो कहते है, ज़िन्दगी नीति (ethics) या अच्छाई और बुराई नहीं है, जिस पर हमें बहस करनी चाहिए, बल्कि ज़िन्दगी साहस का मुद्दा है। इसलिए सफ़लता के लिए इसकी बहुत ज़रूरत होती है। अगर कोई सही काम करता है, तो उसे ख़ुशी हासिल होती है। लेकिन अगर कोई गलत काम करता है, तो उसे सज़ा मिलती है। हमें इनाम और सजा हासिल करने की शिक्षा दी जाती है।

जो हमें गलत जीवनशैली (lifestyle) की ओर ले जाता है, जिसमें लोग सोचते हैं कि, अगर कोई मेरी बड़ाई करने वाला नहीं है, तो मेरे काम का कोई फायदा नहीं हैं। और यह इनाम और सज़ा देने का सोच बताता है, कि अगर कोई सही काम करता है, तो उसकी बड़ाई की जाएगी। जिससे लोग यह भी सोचते है, कि अगर मैं सही काम नहीं करूंगा और अगर कोई मुझे सज़ा देने वाला नहीं है, तो मैं भी गलत काम करूँगा।

आपको ऐसी सोच रखने के बजाय वो काम करने चाहिए, जो आपको अच्छे परिणाम दिलाएंगे। बुरे काम से आप शायद सफ़ल हो सकते है, लेकिन खुश कभी नहीं हो सकते है, इसलिए आपको अपनी ख़ुशी और कामयाबी दोनों को हासिल करने के लिए अच्छे काम करने चाहिए। बेशक कोई देखने वाला हो या नहीं, आप अपनी ज़िन्दगी खुद जी रहे है और इसे बेहतर करना भी आपकी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए।

अध्याय 8. कामों को कैसे अलग करें

दूसरों की परवाह करना ही, सही मानव व्यवहार का इस्तेमाल करना है, इसलिए दूसरों की परवाह किए बिना काम न करें। इसे समझने के लिए Adlerian Psychology के उस विचार को समझना ज़रूरी है, जिसे “काम का पृथक्करण (seperation)” कहा जाता है। हमें “यह किसका काम है?” के दृष्टिकोण से सोचने की ज़रूरत है। और अपने खुद के काम को, बाकी लोगों के काम से लगातार अलग करना है। एक दूसरे के काम में दखल नहीं देना है।

आमतौर पर, सभी रिश्तों की समस्याएं, बाकी लोगों के काम में दखल देने या अपने खुद के काम में दखल देने के कारण होती हैं। यह किसका काम है, यह बताने का एक आसान तरीका है। यह सोचना, कि जो काम चुना गया है, उसके परिणाम को आखिर में कौन हासिल करने वाला है? और फिर जो हासिल करने वाला है, उसे मिलकर काम करना चाहिए।

Adlerian psychology दखल देने के दृष्टिकोण की सिफारिश नहीं करती है। दखल न देना, न जानने का रवैया (attitude) है, और इसमें आपको यह जानने में भी दिलचस्पी नहीं होती है, कि कोई दूसरा क्या कर रहा है। इसके बजाय, आप यह जानकर कि दूसरा शक्श क्या कर रहा है, उसकी मदद करते है।

मतलब आप उसके काम में दखल देने के बजाय, वह करने में उसकी मदद करते है, जिसको करने के सारे फैसले, उसी इंसान के होते है। भरोसा करने का काम भी “काम का पृथक्करण” होता है। जिसमें आप अपने साथी पर भरोसा करते हैं, और यही आपका काम है। लेकिन वह इंसान आपकी उम्मीदों और भरोसे के संबंध में कैसे काम करता है, यह उनका काम है।

बाकी लोगों के काम में दखल देना और बाकी लोगों के काम को अपना बना लेना, आपकी ज़िन्दगी को भारी और मुसीबत से भरा बना सकता है। अगर आप चिंता और दर्द की ज़िन्दगी जी रहे हैं, जो आपके रिश्तों से बनी है, तो आपको अपनी सीमा (limit) जाननी होगी। ऐसी स्थिति का सामना करने पर यहाँ से, यह मेरा काम नहीं है कहे।”

और बाकी लोगों के काम को करना छोड़ दे। यह बोझ को हल्का करने और ज़िन्दगी को आसान बनाने की दिशा में पहला कदम है। याद रखे ज़िन्दगी के तीन काम हैं, काम, दोस्ती और प्यार। इन्हीं के लिए काम को करते हुए, अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़े। जिससे आप आसानी से अपनी ज़िन्दगी में ख़ुशी और सफ़लता को पा सकेंगे।

अध्याय 9. असली आज़ादी

इंसानो के लिए, दूसरों के द्वारा नापसंद न किए जाने की इच्छा का सामना करना, पूरी तरह से एक प्राकृतिक (natural) इच्छा है। आधुनिक दार्शनिकों (modern philosophers) ने इस इच्छा को “झुकाव” कहा है। जैसे पत्थर जिसमें जान नहीं होती है। एक बार जब यह नीचे की ओर लुढ़कना शुरू कर देता है, तो यह law of gravity की वजह से लुढ़कता रहता है। लेकिन हम पत्थर नहीं हैं। हम ऐसे जीव हैं जो झुकाव का विरोध कर सकते हैं।

हम अपने आप को नीचे गिरने से रोक सकते हैं और ऊपर चढ़ भी सकते हैं। मान्यता की इच्छा शायद एक प्राकृतिक इच्छा है। तो क्या आप दूसरों से मान्यता पाने के लिए नीचे की ओर लुढ़कते रहें? क्या आप अपने आप को एक लुढ़कते हुए पत्थर की तरह नीचे गिरने दे सकते हैं, जब तक कि सब कुछ ठीक नहीं हो जाता?

नहीं न, तो आप दुसरो से नापसंद किये जाने पर इतने दुखी क्यों हो जाते है। जब आप खुद को सबसे अलग और अपनी खूबी के साथ अपनाने लगते है, तो आप अपनी ज़िन्दगी की असल आज़ादी को हासिल कर लेते है।

आज़ादी को दूसरे लोगों द्वारा नापसंद किया जा रहा है, जब आप किसी के द्वारा नापसंद किए जाते हैं। तो यह इस बात का सबूत है कि आप अपनी आज़ादी का इस्तेमाल कर रहे हैं और आज़दी के साथ जी रहे हैं, और यह एक संकेत है कि आप अपने सिद्धांतों के अनुसार ही जी रहे हैं। अपने आप को इस तरह से बनाना, कि आप किसी को भी नापसंद न हो, यह ज़िन्दगी जीने का एक सबसे आज़ाद तरीका है, लेकिन यह असंभव भी है।

जब कोई इंसान अपनी आज़ादी का इस्तेमाल करना चाहता है, तो उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। और पारस्परिक संबंधों (interpersonal relationship) में आज़ादी की कीमत यह है, कि एक इंसान को बाकि लोगों द्वारा पसंद करने के साथ-साथ, नापसंद भी किया जाता है।

इसलिए अगर आप अपनी ज़िन्दगी की असल आज़ादी को अपनाना चाहते है, तो आपको नापसंद होना अपनाना होगा, तभी आप अपने अनुसार काम कर सकेंगे और अपनी असली ख़ुशी को पा सकेंगे।

अध्याय 10. आत्म-पुष्टि (self affirmation), दूसरों में भरोसा, दूसरों के लिए योगदान

जब आप खुद की भलाई को दूसरों के लिए चिंता, (यानी कि समाज की भलाई) की ओर बदल रहे होते है और समुदाय (community) की भावना हासिल कर रहे होते है। इस समय आपको तीन चीजों की जरूरत होती है, जो आपकी मदद करती है: “आत्म पुष्टि”, “दूसरों में भरोसा”, और “दूसरों के लिए योगदान।”

आत्म पुष्टि (self affirmation): खुद को सुझाव देने से संबंधित है, जिसमें आप खुद को अपने भले के लिए एहसास दिलाते है। जैसे “मैं यह कर सकता हूं” या “मैं मजबूत हूं”। यह एक ऐसी मान्यता है, जो उत्कृष्टता (excellence) को ला सकती है और इसे जीने का एक तरीका भी कहा जा सकता है, जिसमें इंसान खुद से उस तरह की बातें कहता है जैसी चाहता है।

इसे और ज्यादा आसान शब्दों में कहें तो, मान लें कि आपने exam में 60% का अंक (score) किया है, अपने आप को बताएं, मैं इस बार बस बदकिस्मत हो गया, क्योंकि असली अंक 100% है, तो यही आत्म पुष्टि कहलाती है।

इसके विपरीत, अगर कोई खुद को 60% के रूप में स्वीकार करता है, और खुद के बारे में सोचता है, कि मुझे 100% के करीब कैसे जाना चाहिए? तो यही आत्म पुष्टि कहलाती है। मतलब खुद की स्थिति के बारे में सब कुछ मान लेना। और जैसा आप मान लेंगे वैसे ही बन जायेंगे, इसलिए जिस तरह के परिणाम आप वास्तव में चाहते हैं, वैसी ही बातें अपने आप से करें। यही आत्म पुष्टि का सार है।

The Courage To Be Disliked Book Summary

दूसरों पर भरोसा: भरोसा बिना किसी बनाई गई शर्तों के होता है। भले ही किसी के पास किसी पर भरोसा करने के लिए काफी बुनियाद न हों, फिर भी वह भरोसा करता है। जैसे सुरक्षा की चीजों के बारे में, हम खुद को परेशान किए बिना, बिना किसी शर्त के भरोसा करते है। यहीं हमारा आत्म विश्वास (self-confidence) है।

अगर कोई अपने आप को वैसे ही स्वीकार कर सकता है, और यह पता लगा सकता है, कि दूसरा इंसान क्या कर सकता है और क्या नहीं, तो वो यह भी समझ सकता है, कि दूसरों पर भरोसा कैसे करें और उनके साथ मिलकर काम कैसे करें। दूसरों पर भरोसा रखने का मतलब, दूसरों को एक साथी के रूप में देखने से है। जिससे कोई भी अपनापन की भावना पा सकता है और उसे भरोसा हो जाता है, कि “आपके साथ रहना ठीक है।”

दूसरों के लिए योगदान: दूसरों के लिए सबसे आसानी से समझा जाने वाला योगदान काम है। काम के जरिए से ही इंसान दूसरों के लिए योगदान देता है और अपने समुदाय (community) के लिए काम करता है।

इन्हीं तीनों का इस्तेमाल करके आप दुनिया या समाज की भलाई के लिए काम कर सकते है और आत्म शान्ति को पा सकते है, जो आपको अनगिनत ख़ुशी का एहसास कराएगा।

अध्याय 11. मामूली (modest) होने का साहस

हम सभी अपनी ज़िन्दगी में खास होना चाहते है, पर क्या कभी आपने सोचा कि आखिर खास होना जरूरी क्यों है? जवाब है: ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कोई अपने आप को मामूली या औसत (average) नहीं मानना चाहता। और इसी वजह से, जब किसी इंसान को बहुत ज्यादा अच्छा बनना बहुत मुश्किल लगने लगता है, तो इंसान बहुत बुरा बनकर खास बनने के लिए सारी कोशिशें करता है। लेकिन क्या मामूली होना, असल में इतनी बुरी बात है? क्या यह कुछ कम है?

क्या सच में हर कोई मामूली नहीं है? सीधे शब्दों में कहे तो, अगर आप self-affirmation का पहला ज़रूरी कदम चुनते है, तो आप मामूली होने का साहस रख सकते है, जिसके साथ दुनिया को देखने का आपका तरीका भी बदल जाएगा। किसी को बिना जरूरत के, अपनी श्रेष्ठता (superiority) दिखाने की जरूरत नहीं होती है।

आप मामूली दिखकर भी, महान बन सकते है, बस आपको अपनी समुदाय (community) की भलाई के लिए काम करते रहने चाहिए। खास होने का साहस तो सब दिखा सकते है, पर असल में खास वही होता है, जो खास होकर भी एक मामूली होने का साहस सबको दिखा सके।

हमारी ज़िन्दगी पलों की एक जंजीर (chain) है, जो न तो अतीत और न ही भविष्य में मौजूद है। यह आज में ही है, इसलिए यहां और अभी में जियो। अपने आप को अतीत या भविष्य की चिंता में न डालकर, अपने आज का मज़ा लो। ज़िन्दगी हमेशा आसान होती है, ज़िन्दगी में ऐसा कुछ नहीं होता है, जिसके बारे में आपको बहुत गंभीर होने की ज़रूरत पड़ती हो।

अगर आप हर पल को ईमानदारी से जी रहे है, तो आपको ज्यादा गंभीर होने की जरूरत नहीं है। बस ध्यान रहे, आपकी ज़िन्दगी आपकी है इसलिए इस ज़िन्दगी को बेहतर करने के फैसले भी आपके ही होने चाहिए। जब आप इस दृष्टिकोण (point of view) को अपनाते है, तो आपकी ज़िन्दगी हमेशा ख़ुशी से भरपूर हो सकती है और आप अपनी ज़िन्दगी को सफ़लता, ख़ुशी और शांति से जीने लगते है।

इसलिए आज से ही, इस नए दृष्टिकोण को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाये और अपनी ज़िन्दगी के बेहतर, आज और कल को जीने के लिए तैयार हो जाए।

निष्कर्ष

तो दोस्तों, इस किताब की मदद से हमने अपनी ज़िन्दगी को खुशियों से भरी ज़िन्दगी में बदलने के बारे में जाना। लोगों के नापसंद किए जाने के बावजूद, ख़ुशी और हिम्मत से इज़्ज़त से जीने के तरीके के बारे में जाना। याद रखें, कि ज़िन्दगी उतनी मुश्किल नहीं है जितनी नज़र आती है, बस आपको अपना नजरिया बदलना है और पूरी हिम्मत के साथ अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के फैसले खुद लेने है।

जब आप अपनी ज़िन्दगी में साहस का नया नज़रिया विकसित (develop) कर लेते है, तो खुशियों से भरी ज़िन्दगी जीना काफ़ी आसान होने लगता है और आप अपनी ज़िन्दगी में खुशियों से भरा बदलाव ला सकते है।

The Courage To Be Disliked किताब की समीक्षा


“The Courage To Be Disliked” एक परिवर्तनकारी किताब है जो Adlerian psychology के शिक्षाओं की खोज करती है और एक philosopher और एक युवा के बीच एक प्रेरणादायक dialogue के माध्यम से उन्हें प्रस्तुत करती है।

Ichiro Kishimi और Fumitake Koga द्वारा लिखी गई इस किताब में पाठकों को अपने सही आत्मा को अपनाने की सलाह दी जाती है, मान्यता और समाजिक मान्यता की आवश्यकता को छोड़कर। यह किताब व्यक्तियों को उनके चुनावों के लिए जिम्मेदारी लेने, meaningful संबंध विकसित करने, और खुद के अंदर खुशी खोजने के लिए प्रेरित करती है।

इसके रोमांचकारी narrative और अच्छे insights के माध्यम से, “The Courage To Be Disliked” पाठकों को पिछले traumas की शिकंजों से मुक्त होने और authentically जीने की प्रेरणा देती है, व्यक्तिगत विकास और self-acceptance को प्रोत्साहित करके। जो भी व्यक्ति पूर्णता और मुक्ति की तलाश में है, उनके लिए यह एक जरुर पढने वाली किताब है।

धन्यवाद।

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