Switch On - Switch Off Acting Method

Switch - On Switch - Off Acting Method (हिन्दी)

Virendra Rathore द्वारा "Switch On - Switch Off Acting Method" किताब हमें इस बात की झलक देती है कि वास्तव में अभिनय के पेशे में क्या जाता है। सूक्ष्म तकनीकों की शिक्षाओं से लेकर dialogue delivery तंत्र तक, यह किताब हमें अभिनय की इस दुनिया में फलने-फूलने के लिए बहुत कुछ सिखाती है। इसे अभी पढ़ें और अपना अभिनय career शुरू करें।

क्या आप Acting में interest रखते हैं? क्या आपने एक सफल अभिनेता या अभिनेत्री बनने का सपना देखा है?

अगर हां, तो आज इस किताब, जिसका नाम है Switch – On Switch – Off Acting Method, से आपको बहुत सारे जवाब मिलने वाले हैं। इस किताब में दी गई तकनीकों को जानकर, कोई भी इंसान जो अभिनय में रुचि रखता है और अभिनय को अपना career बनाना चाहता है, वह अपना रास्ता आसान कर सकता है।

परिचय

ये किताब फिल्मी दुनिया के जाने-माने आवाज कलाकार (voice artist), लेखक, निर्देशक, गायक और फिल्म निर्माता की है, जिनका नाम है Virendra Rathore, जो silver screen और OTT platform के साथ, करीब-करीब 20 सालों से जुड़े हैं। आज ये film making की सभी कला और तकनीकों में, mentor है और साथ ही इन्हें Best Mentor के award से भी सम्मान किया जा चुका है।

आज ये Join-Films के नाम से एक YouTube channel भी चलाते हैं, जिस पर 1.9 million से ज्यादा subscribers भी हैं।

अभिनय का मूल मंत्र है, “अपने आप को जानना” अर्थात “खुद को जानना” और इस मूल मंत्र को पाने के लिए, Virendra Rathore जी की क़िताब “Switch On – Switch Off Acting Method”, अभिनय सीखने के लिए बहुत ही उमदा प्रयास है। उन्होंने बहुत ही सरल और आसान तरीके से अभिनय सीखाने का मंत्र समझाने की कोशिश की है।

इतिहास में प्रसिद्ध अभिनेता Charlie Chaplin, अभिनय के क्षेत्र में Switch On Switch Off की अपने खुद की सबसे बड़ी मिसाल है। Charlie की मां stage पर काम कर रही थी, एक दिन वो बीमार पड़ीं, तो उन्होंने अपनी जगह अपना बेटा Charlie को भेज दिया, क्योंकि play के सारे dialogues उन्हें याद थे।

ये एक Comedy play था, जिसमें Charlie को public को हंसाना था। Show शुरू होने से पहले Charlie Chaplin को पता चला कि उनकी मां का देहांत हो गया है। सोचिए उस दुख के समय में Charlie ने कैसे दुख को Switch Off कर, Comedy का Switch On किया होगा!!! ये किरदार Charlie ने इतनी खूबी से निभाया, कि यहां से Charlie, महान अभिनेता Charlie Chaplin बन गए।

Switch On Switch Off Acting का मतलब है, कि आप एक second में किसी emotion में चले जाएं और फौरन उससे बाहर भी निकल जाएं। सुनने में और करने में मुश्किल लगता है, लेकिन अगर इसकी सही से practice की जाए, तो यह बहुत आसान है। और यही तरीके Switch On Switch Off Method किताब में बताए गए हैं। अच्छी performance नतीजा है एक सही तरीके से practiced की गई practice का।

Acting exercise की practice को जो भी 100% करेगा, उसको 100% ही result मिलेगा। जैसे अगर किसी ने radio frequency 99.1 set किया, मतलब 99.3 से नीचे, तो उसको result साफ और अच्छा नहीं मिलेगाI इसी तरह से कुछ ज़्यादा मेहनत करके ज़्यादा frequency 99.5 set की, तो भी result नहीं मिलेगाI

इस summary को यहाँ क्यों पढ़ें?

मेरा एक अभिनेता बनने का सपना था और इसने मुझे स्कूल में कुछ नाटकों में अभिनय करने के लिए प्रेरित किया। आज, मैं अपने audio और video कौशल का श्रेय उन अभिनय sessions को देता हूं।

यह किताब मेरे दिल के करीब रही है क्योंकि यह अभिनय के बारे में सब कुछ बताती है।

अभिनय के प्रति रुझान होने के कारण, मैंने इस किताब को पढ़ा है और अपने YouTube channel – Readers Books Club में अपने video में dialogue delivery के कुछ तरीकों का उपयोग किया है।

इसलिए, आप जो summary पढ़ रहे हैं, उसका उपयोग मैंने व्यक्तिगत रूप से किया है और इसलिए, आपको केवल इस summary में सर्वोत्तम व्यावहारिक सलाह मिल रही होगी, जो कि अन्य blogs/sites पर नहीं है।

इस किताब को आसानी से समझने के लिए, हमने उनको 8 part में बांटा है। और अंत में मिलेगी कुछ ऐसी details, जिससे आप अपने Bollywood Career को fast track पर ला सकते हैं। चलिए उनको detail में समझते हैं।

भाग 1: अंदर से बाहर की ओर

ये Acting में जानना बहत ज़रूरी है, कि जो बाहर लोगों को दिख रहा है – आपका expression, body language और आपके कहने का अंदाज़, वह आपके अंदर से ही उपजा हैI इसलिए actor के तौर पर आपको ध्यान देना है, आपकी अंदरूनी चीजों पर जैसे, आपकी संवेदनाएं और भावनाएं – जो आपको प्रकट करनी है, वो कहाँ से उठ सकती हैं, उसको समझना, जानना और उसको जगाना बहुत ज़रूरी है।

Switch On - Switch Off Acting Method

कई बार actors Dialogue याद करते हैं, पर camera के सामने emotion नहीं ला पाते और अगर emotion आ जाते हैं तो lines भूल जाते हैं। अंदर से उस भावना को feel नहीं कर रहे हैं, तो वो ना तो आंखों में दिखेगा, ना आपके चेहरे पर दिखेगा, ना आपकी आवाज़ द्वारा महसूस होगा, और ना ही आपकी body language में दिखेगाI इसलिए ये जो बाहरी तौर पर Acting करने की कोशिश होती है, यह हमेशा एक कोशिश नजर आती है, ना कि वह किरदारI

अगर आपने इन Acting तकनीक को अपनाया, तो अंदरूनी रूप से आप उसको feel करेंगे, चाहे वह गुस्से की भावना हो, खुशी की, या दुख कीI उसका pattern अपने आप ही आपकी आंखों, आपके चेहरे में, आपकी आवाज़ में, और आपकी body language में नजर आना शुरू हो जाएगा।

भाग 2: हम सभी पैदायशी actor हैं

एक actor को सबसे पहले सफल actor का mind set बनाना चाहिए और उसके लिए एक विश्वास बहुत ज़रूरी है, कि वह एक पैदायशी actor है। जब एक नवजात बच्चा पैदा होता है, तो ना तो वह किसी भाषा को जानता है, ना किसी communication भाषा को जानता है, ना उसको रिश्तों की परख हैI बावजूद इसके, वह अपने emotion को express कर रहा है। Emotions को express करना पहला सिद्धांत है।

जब बच्चा थोड़ा बड़ा होने लगता है, तो वह अपने आस पास, अपने परिवार के लोगों को देखता है और यह महसूस करता है, कि यह लोग सभी चलते फिरते हैं, कुछ बोलते रहते हैं, कुछ करते रहते हैं और वह ध्यान से observe करता हैI वही अपने झूले में, बिस्तर में लेटे-लेटे, उनकी छोटी से छोटी हरकत को observe करता है, उस पर प्रतिक्रिया करता हैI तो अब ये क्या कर रहा है? अब यह बच्चा Acting के दूसरे सिद्धांत पर काम कर रहा है “observation”।

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यह बच्चा जो अब दूसरों को observe कर रहा है अब उनको देखकर अपने पलंग पर लेटे-लेटे ही चलना शुरू करता है, उठने की कोशिश करता है, शब्दों को बोलने की कोशिश करता है। अब यह बच्चा अब तीसरे सिद्धांत पर आ गया है। observe – copy performance” ये 3 शब्द, author हमेशा अपनी Acting class में इस्तेमाल करते हैं। जो Acting का मूल मंत्र है – observe, copy, performance।

हम सभी बचपन में इतनी आसानी से Acting कर लेते थे, तो आज क्यों नहीं कर पाते? इसका जवाब है, कि जब इस बच्चे ने थोड़ा और बड़ा होकर उसी तरह से किसी की Acting की, तो उसे डांट पड़ी “ये क्या कर रहे हो”, “क्या जोकरपना कर रहे हो”, “क्या कर रहे हो पागल हो क्या – तुम बड़े हो गए हो, बच्चे जैसी हरकत मत करो”।

बेचारे बच्चे को समझ ही नहीं आया, कि आखिर ऐसा क्या हो गया और उसको सवाल का जवाब मिलता है कि अब वो बड़ा हो गया है और बड़े लोग ऐसा नहीं करते। बस जैसे ही ये बुद्धि जागती है कि – “ओह! मैं बड़ा हो गया हूँ” बस उसी दिन वो कलाकार “मर” गया। उम्र बढ़ने के साथ-साथ, एक झिझक आ जाती है, कि “कोई क्या कहेगा?” या लोग उसका मज़ाक उड़ाएंगेI इससे बचना होगा।

भाग 3: Actors के लिए नियम

Rule 1: स्वीकार करें, परिस्थिति और लोगों को

Switch On - Switch Off Acting Method Summary

Acting में जो सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात है, वह है स्वीकार करने की, सहमति की। सहमति ज़्यादातर आम लोगों में नहीं होती है, परंतु एक actor के तौर पर, आपके अंदर पूर्ण सहमति होनी चाहिए।

यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि, अगर सहमति नहीं होगी, तो आप किसी भी चरित्र से सहमति नहीं रख पाएंगे और इस वजह से आप उसे पूरी तरह से अपना नहीं पाएंगे। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है, कि हो सकता है की आप उस निभाए जाने वाले किरदार में, उसकी सोच में, उसके धर्म में, उसकी आस्था और विश्वास में, अपने निजी जीवन में, उससे सहमत न होंI

लेकिन एक actor को किरदार को पूरी तरह से निभाने के लिए, उसकी सभी चीजों को स्वीकार करना होगा, तभी आपका अभिनय सम्पूर्ण लगेगा। 100% स्वीकार करना पड़ेगा, अगर 100% स्वीकार नहीं करोगे तो उस किरदार को लेकर, विश्वास नहीं आएगा, बस Acting करने के लिए करेंगे तो बहुत ही असहज और झूठा लगेगा।

समाज में कहीं पर भी एक इंसान की सोच दूसरे इंसान से नहीं मिलती। लेकिन अगर आपको एक सफल actor बनना है, तो बहुत ज़रूरी है कि आपके अंदर सभी लोगों को लेकर एक acceptance हो। एक actor का, एक बहुत अच्छा इंसान होना बहुत ज़रूरी है। उसके बिना वह कभी भी कमाल का actor नहीं बन सकता।

Rule 2: अच्छे श्रोता बने

आपको अच्छा श्रोता बनना हैI आपको शायद यह बहुत अजीब लगेगा, कि एक actor को सुनने से क्या फायदा होगा, लेकिन Acting performance का पूरा आधार, अच्छा सुनने में और स्वीकृति में है। आम जिंदगी में, घर में, परिवार में, दोस्तों के बीच में, हम सभी ये देखते हैं कि कोई भी इंसान सुनने को तैयार नहीं है। वह बस अपनी बात रखना चाहता है, अपनी बात कहना चाहता है और अपनी बात मनवाना चाहता हैI

सबसे पहले उस किरदार के बारे में पूरी तरह से writer से, director से या casting director से विस्तार में सुनना बहुत ज़रूरी है। ज़्यादातर नए actor यहाँ पर गलती कर जाते हैं, खासतौर पर audition में, वहाँ निभाए जाने वाले किरदार के बारे में विस्तार से सुनते नहीं है।

जितना अच्छा सुनने वाला होगा, उतनी ही उसकी समझ उस किरदार के बारे में और उसकी परवरिश के बारे में अच्छी होगीI इस तरह से आपकी acting कि जो performance है, वह बहुत ही सहज लगेगी, आपके लिए acting बहुत आसान हो जाएगी।

भाग 4: अभिनय की तैयारी

Monologue – Dialogue को ज़ोर से पढ़े

Switch On - Switch Off Acting Method English

ज़्यादातर actor यहीं गलती करते हैं कि, monologue या dialogue मिलते ही, बस याद करना शुरू कर देते हैं। इस तरह से याद करने को flat reading या cold reading भी कहा जाता है। जो theatre में की जाती है, लेकिन theatre और visual medium, दोनों अलग माध्यम है।

Monologue या Dialogue लेकर, सबसे पहले मध्यम आवाज़ में पढ़ें। याद रखें, मन में नहीं पढ़ना है, क्योंकि मन में पढ़ने से शब्दों को बोलें जाने वाली गलती नहीं होती है, fumble नहीं होता है, शब्दों का उच्चारण गलत नहीं होता है, इसलिए ज़रूरी है, ज़ोर से normal अंदाज़ में एक दो बार पढ़ें।

Monologue या Dialogue पढ़ने के बाद पता करें:

  1. कौन बोल रहा हैI [किरदार/Character]
  2. किस से बोल रहा है। [Opposite Character]
  3. कहाँ बोल रहा हैI (Location)
  4. क्यों बोल रहा हैI (वजह/Reason)
  5. कैसे बोल रहा हैI (Emotion)

Emotional marking करें

यह एक Switch On Switch Off Acting method में बहुत असरदार तकनीक है। आपको निभाए जाने वाले dialogue की emotional marking करनी है। आपको अपने dialogue में बोली जाने वाली हर line का emotion समझना है और वह लिखना भी है। हर dialogue की हर 1-2 line में भाव बदल जाता है।

हम आम जिंदगी में बोलें जाने वाले dialogue में भी, हर line में emotion change करते हैं। इसी वजह से dialogue एक ही होता है, लेकिन उसमें व्यक्त किए गए अलग अलग emotion की वजह से, उस एक ही dialogue की हर line को express करने में आपका अंदाज़, आपकी आवाज़ का ज़ोर और उतार-चढ़ाव बदलता जाएगा।

Pause marking या comma marking

अब हम performance के तीसरे step पर आ गए हैं। हम सभी की अपनी सांस की एक सीमित क्षमता होती है। किसी की सांस ज़्यादा देर तक ठहरती है।

अल्पविराम या pause marking इसलिए ज़रूरी है, कि अगर हम इसे शुरू में नहीं करेंगे, तो हर बार perform करते समय, अलग-अलग जगह pause लेंगे और इस वजह से हमारा control हमारी सांस पर नहीं रहेगा और बोलने में गड़बड़ होगी, जिसे acting में fumble आना भी कहते हैं। आप pause marking अपने अनुसार ही करें, जब जहाँ आपकी सांस रुके और आपको वह pause सही लगे, वहाँ पर mark लगा ले।

मुख्य शब्द को mark करें

हमें, हर dialogue के मुख्य शब्द को mark करना है और बोलते वक्त उसे खास attention देनी है। मतलब highlight करना है। सिर्फ इतना भर कर देने से, आप की Acting सामान्य से ऊपर उठ जाएगी और सबसे बेहतर लगेगी। सभी star और superstar इस तकनीक का जाने-अनजाने में इस्तेमाल करते हैं।

Sholay फिल्म आज भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी हिट फिल्म है। यह एक ऐसी अनोखी फिल्म है, जिसके सभी किरदार भले ही एक scene में आए हो या एक dialoge बोला हो, तब भी वो सब, अपनी पहचान छोड़ने में कामयाब रहे। अमजद खान गब्बर के रूप में बोला गया dialoge, कितने आदमी थे, लोगों के दिलों दिमाग में आज भी है।

यह तकनीक छोटी है, लेकिन इसका performance पर बहुत बड़ा असर होता है। बस सावधानी रखे कि जल्दबाजी ना करें। Dialogue को याद करके बोल देना ही, Acting नहीं होती है।

तुरंत Dialogue कैसे याद करें!

पांचवें नंबर पर आती है dialogue को याद करने की बारी। यह method भी बहुत magical है। इस method का सबसे बड़ा और ज़रूरी नियम ये है, कि याद नहीं करना है, बल्कि emotions को समझकर perform करना है। आप याद कीजिए, कि सबसे पहले जबरदस्ती आपको क्या याद कराया गया था।

क ख ग, A B C D और mathematics का table, लेकिन आज तक हमें पूरी तरह से mathematics के table याद नहीं हैI क्यों? क्योंकि जब हमने tables को याद किया था, तो उसमें emotions नहीं थे, performance का मजा नहीं था, इसलिए आज तक भी वो पूरी तरह याद नहीं है। इसलिए emotion को समझना होगा, फिर सब याद रहेगा

इस याद करने के method को follow करोगे, तो आपको आपके सारे Dialogue बहुत जल्द याद होंगे और बहुत समय तक याद रहेंगे, इसी तरह से हमें फिल्म के गाने याद हो जाते हैं, हम उन्हें कभी भी याद नहीं करतेI गाते हैं गुनगुनाते हैं और क्योंकि उसमें भावनाएं- यानी कि emotions होते हैं, आप connect हो जाते हैं और इसलिए वो सालों साल याद रह जाते हैं।

किरदार में पूरी तरह से कैसे ढले

जब भी आपने किसी से भी acting की बात सुनी होगी या पढ़ी होगी, तो सबसे ज़्यादा इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि, आप अपने निभाए जाने वाले चरित्र को अपना लो। उस चरित्र में ढल जाओ, खुदको भूल जाओ, पर किसी ने आज तक ये नहीं बताया कि कैसे? और इसी वजह से actors बहुत confuse होते हैं कि, आखिर इसको कैसे करें। इसका बहुत आसान हल है, अगली तकनीक – अपने किरदार में ढलें।

विशेष ध्यान ये रखना है, की इस method को practice करते समय, आपको अपने dialogue को दोहराना नहीं है, बल्कि आपको उस घटना पर जो आपका perspective है, वो बड़बड़ाना है। और उसे बोलकर कहना है, मन में नहीं कहना है। Dialogue में दी हुई जो situation है, उस घटना के लिए, उस इंसान के लिए, जब आप ऐसा पूरी जागरूकता से और होश में करेंगे, तो उस घटना के emotion आप पर हावी होना शुरू हो जायेंगे और आपकी performance में बहुत progess होगीI

खासतौर पर जब भी audition देने जाएँ, तो अपनी तैयारी के बाद, इसी की practice करते रहे, जब तक कि आप audition room में कैमरे के सामने अपने mark तक न पहुंच जाएँ।

भाग 5: दिमाग के, याद करने के सिद्धांत

ज़्यादा अच्छे से और बेहतरीन तरीके से याद करने के लिए, हमें इंसानी दिमाग को समझना बहुत ज़रूरी हैI इंसानी दिमाग में किसी भी चीज़ को याद रखने के लिए, 3 basic principles होते है:

  1. Relationship or Attachment – यानी कि Association
  2. Imagination
  3. Psychic Philosophy – यानी कि Visualization

Association मतलब आपका उसके साथ जुड़ाव किस तरह का हैI आप उसको कितना समझ पा रहे हैंI आप उसके साथ कितना realate कर पा रहे हैंI कितना associate कर पा रहे हैं। जैसे किसी भाषा का शब्द जो आप नहीं पहचानते हैं, अगर वह आपके सामने बोला जाए, तो आप और आपके mind में कोई reaction नहीं होगा, क्योंकि आप उसके साथ connection नहीं बना पा रहे हैं। उसको अच्छे से समझ नहीं पा रहे हैं, उसके साथ जुड़ नहीं पाते।

इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है, कि जो भी आप याद करना चाहते हैं, लंबे समय तक याद रखना चाहते हैं, उसके साथ आपका emotional bond हो। यह बहुत ज़रूरी हैI हर बोलें जाने वाले किरदार से, उसके बोलें जाने वाले dialogue से, आपका emotional relationship होना चाहिए, connection होना चाहिए। Imagination भी हमारे mind का एक ऐसा tool है, जिसका अगर हम सही और बेहतर तरीके से इस्तेमाल करें, तो हम अपनी performance में, जादुई बदलाव ला सकते हैं।

Visualisation, Imagination से बिल्कुल अलग है, लेकिन कई बार हम इसे एक ही मानने लगते हैं। Imagination में आपको यह imagine करना है, कि क्या-क्या हो सकता है और उससे आपका क्या connection होगाI जबकि visualisation में, आपको अपने किरदार को visualise करना है, मतलब जैसे उसे कोई दूसरा देख रहा हैI

सिर्फ और सिर्फ उन lines की delivery को visualise करना है, यानी कि Dialogue बोलते हुए देखना है। अपने सामने और आसपास उन्हीं किरदारों को, उन्हीं location को visualise करना है, जो आपको दी गई हैI जबकि imagination में कई बार बहुत सी ऐसी चीजें भी आएंगी, जो कि सीधे तौर पर उससे related नहीं होंगी, इसलिए ये दोनों practice थोड़ी अलग है और थोड़ी related भी।

भाग 6: Observe करने की तकनीक

असल में observation हमारी एक बिल्कुल common सी activity है, जिसे हम बचपन से करते आते हैंI अब तक आपने सुना होगा, कि Acting में आपको सभी की body language observe करनी है, और उनके बोलने का अंदाज़ observe करना हैI लेकिन एक बहुत ही जरूरी चीज़ है, जिस पर कभी बात नहीं की गई और वो है चेहरे के हाव-भाव यानी कि facial expressions।

Switch On - Switch Off Acting Method Hindi

ज़्यादातर लोगों की परेशानी होती है, कि वो किसी को भी observe नहीं कर पाते हैं और अगर observe कर भी लेते हैं, तो उनके जैसा perform नहीं कर पाते हैं। कभी भी ये गलती ना करें, कि आप किसी अजीबोगरीब या अलग सी personality को ढूंढने की कोशिश में लग जाएँI बल्कि जो भी नजर आ रहा है, उसके चेहरे के पूरे expression को अपने चेहरे पर लाएं, उसके बोलने के अंदाज़ को अपने अंदर लाएं, उसकी body language को अपने अंदर लाएं।

भाग 7: Acting की regular exercise

Actor को पढ़ना ज़रूरी हैक्यों?

आपको ये जानकार हैरानी होगी, कि एक आम इंसान अपनी सारी ज़िन्दगी 50 से 100 शब्दों में ख़त्म कर देता है। ये अजीब है! खुद सोच कर देखिये, आपके परिवार में – यार-दोस्त – रिश्तेदार या कोई भी, क्या बात करते है, कितने शब्द इस्तेमाल करते है। ज़्यादातर शब्द repeat होते है – जैसे कहाँ जा रहे हो, इतनी देर क्यों कर दी, कब तक पहुंचोगे- खाना खा लिया – पढाई कर लो, और ऐसे ही कुछ और। जितने शब्दों से जिसका काम चल रहा है, वो बस उतने ही शब्द इस्तेमाल कर रहा है।

इसी वजह से, जैसे ही वो actor बनने की सोचते है और Mumbai बगैर तैयारी के पहुंच जाते है, तो auditions में नए शब्द आते ही घबरा जाते है, बोल नहीं पाते और fumble हो जाते है। अपनी vocabulary और उसकी समझ को बढ़ाने के लिए आपको पढ़ना होगा।

आप वैसे तो कुछ भी पढ़ सकते है, Novel, साहित्य, नाटक की किताब, कुछ भी जिससे आपकी knowledge और vocabulary, दोनों में बढ़ोतरी होगी। लेकिन इसके साथ – साथ अगर आप short story पढ़ना शुरू करे तो जल्द फ़ायदा मिलेगा। आज किसी के पास भी ज़्यादा वक़्त नहीं है, इसलिए ये ज़्यादा आसान है और आप इसे कम समय में भी कर पाएंगे।

कहानी सुनाने की कला

आप कोई भी कहानी ले सकतें हैं और उसे ऐसे पढ़े, जैसे आप कहानी सुना रहें हैं। Short story पढ़ेंगे तो आसानी से इसे रोज़ भी कर पाएंगे। ध्यान रखना है, कि इसे सीधे-सीधे नहीं पढ़ना है, story telling form में पढ़ना है। “जो भी लाइन कोष्ठक” में हो, उसे Dialogue की तरह perform करना है, क्योंकि वो उस किरदार द्वारा बोला गया Dialogue ही है और बाकी lines को विस्तार पूर्वक पढ़ना है।

Actor के महत्त्वपूर्ण tools में से एक है, उसकी आवाज़ और कैमरा Acting में तो सबसे ज़रूरी आपकी आवाज़ और उसका थ्रो है। आवाज़ और उसका सही इस्तेमाल ही, actor का एक ऐसा औज़ार है, जिसकी वजह से वो actor बाकी actor से बेहतर हो जाता है। अगर आप film industry के सभी male – female actor को देखेंगे, तो सफल और popular वही है जिनकी आवाज़ की पहचान है।

मतलब चाहे वह screen पर दिखे या radio में, लोग उनकी आवाज़ सुनते ही उनको फौरन उनके नाम से पहचान जाते हैं। सभी की आवाज़ में एक खास बात होती है, बस ज़रुरत है उसको तराशने की, उसको और बेहतर बनाने की। अमिताभ बच्चन की भारी और कड़क आवाज़ शुरुआत में उनके rejection का कारण बनी, पर आज उनकी आवाज़ का उदाहरण दिया जाता है। हर आवाज़ को बहुत तराशा जा सकता है।

भाग 8: कैमरा Acting में ध्यान रखने वाली बात

कैमरा position कि ज्ञान, कैमरा या visual Acting में, कैमरा ही आपका दर्शक है, इसलिए कैमरा position एवं अन्य बातों का आपको ध्यान रखना ज़रूरी है

  • जानें कि कैमरा (या कैमरे) कहाँ हैं?
  • जानिए कैमरा क्या capture कर रहा है?
  • जानिए की कैमरे के according बाकी actors और props कहाँ हैं?
  • कैसे देखें – eye look कहाँ रखें?

मुझे उम्मीद है कि आप इस किताब के सभी पाठों को अपनी जिंदगी में अपनाकर, अपनी जिंदगी को और भी बेहतर तरीक़े से जी पाएंगे।

Switch – On Switch – Off Acting Method किताब की समीक्षा (book review)

Switch On – Switch Off Acting Method किसी भी व्यक्ति के लिए बनाई गई एक किताब है जो इस अभिनय उद्योग (acting industry) के तरीको को सीखना चाहता है।

किताब में बहुत ही सरल शब्दों में उन तकनीकों और विधियों का उल्लेख है जो किसी भी प्रकार के अभिनय में प्रभावशीलता प्रदान करती हैं।

हालाँकि, अभिनय उद्योग तक ही सीमित होने के कारण, आम आदमी को यह बहुत सार्थक नहीं लग सकता है।

कुल मिलाकर, यह एक ऐसी किताब है जो इस अभिनय क्षेत्र में नए उम्मीदवारों की मदद करेगी।

धन्यवाद।

सभी Podcast platform पर भी हमारी summary, Kitabein नाम से उपलब्ध है, जिसे हाल ही में भारत का best educational podcast का award भी मिला है। Link ठीक निचे दिया हुआ है:

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