How To Stop Worrying and Start Living

How To Stop Worrying and Start Living (हिन्दी)

Dale Carnegie की "How To Stop Worrying and Start Living" एक ऐसी किताब है जो निश्चित रूप से आपको चिंता मुक्त बनाने में मदद करेगी। यह किताब आपके आंतरिक शांति और खुशी के मार्ग का मार्गदर्शन (guide) करेगी। यह आपको सक्रिय होना भी सिखाएगी और यह भी सिखाएगी कि किसी चीज़ के बारे में चिंता करने के बजाय एक कार्य को करने वाला व्यक्ति कैसे बनें। अगर आप चीजों और लोगों के बारे में चिंता करते हैं, तो यह किताब सिर्फ आपके और सिर्फ आपके लिए लिखी गई है।

हमारी आज की summary “How To Stop Worrying and Start Living” किताब पर है जिसको Dale Carnegie ने लिखा है।

Dale Carnegie self-help किताबों के best-seller लेखक हैं। अब तक उन्होंने लगभग 60 सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों को लिखा है।

इनमें से Dale Carnegie द्वारा लिखी गई किताब “How To Stop Worrying and Start Living” एक सबसे लोकप्रिय (popular) self help किताब है। Dale Carnegie कहते हैं कि उन्होंने ये किताब इसीलिए लिखी है क्योंकि वह खुद अपने जीवन और अपनी स्थिति से बहुत दुखी थे। उन्होंने अपनी स्थिति को सोच-सोच के खुद को बीमार कर लिया था।

परिचय

इस किताब में लेखक ने अपनी जिंदगी के वास्तविक अनुभवों (real experiences) को share किया है और उसके समाधान कैसे ढूंढ़ने है उसके बारे में बताया है। इस किताब का लक्ष्य पाठकों को सुखद और पूर्ण जीवन देना है, लोगों को ना ही सिर्फ अपने लेकिन अपने आस-पास के लोगों से भी जागरूक (aware) करना है। लेखक ने “How To Stop Worrying and Start Living” को 58 भाषा में अनुवाद करवाया है।

इस किताब में लेखक How To Stop Worrying and Start Living के बारे में tips दे रहे हैं और उन्होंने इस किताब को 6 भागों में बांटा है।

तो चलिए शुरू करते हैं…

भाग 1: मूलभूत तथ्य (Fundamental Facts) जो आपको चिंता के बारे में पता होना चाहिए

How To Stop Worrying and Start Living

खंड 1 में लेखक बताते हैं कि हमें हमारी परेशानी का मूलभूत तथ्य पता होना चाहिए।

हम सभी एक या दूसरी चीजों से परेशान है। लेकिन हमें हमारी परेशानी का कारण पता होना जरूरी है।

“परेशानी के लिए बेपरवाह (careless) हो जाओ, और आज के कार्यों और लक्ष्यों के लिए ध्यान देना शुरू करो।“

लेखक कहते हैं कि हम हमेशा हमारे भविष्य के लिए परेशान होते हैं, लेकिन हमें ये समझना चाहिए कि हम अभी वर्तमान (present) में जो भी कर रहे हैं वो हमें अच्छा भविष्य देंगे। वो कहते हैं कि आपको भविष्य में जो चाहिए उसको एक paper पर लिख लो और उसे अपने bedside के wall पर लगा दो। उसको रोज़ सुबह पढ़ो और उस priority के ऊपर काम करना शुरू कर दो।

उदाहरण के लिए, अगर आपको घर खरीदना है तो, आपको बैठ कर ये नहीं सोचना है कि मेरे पास पैसे नहीं है, अब मैं क्या करूं, लेकिन आपको घर कैसे खरीदना है उसके ऊपर काम करना होगा। सबसे पहले आप अपना budget बनाएं, उसके बाद आपको घर कहां लेना है वो सोचो, और उसके बाद कब लेना है वो सोचो। अगर आप इस तरीके से plan करते हैं तो आप अपने परिणाम तक पहुंच जाएंगे और आपको परेशान भी नहीं होना पड़ेगा।

लेखक बताते हैं कि आपको अपनी प्रगति को नियमित (regular) रूप से विश्लेषण (analyze) करना चाहिए। ये सोचना चाहिए कि मैं इन सिद्धांतों (principles) को कैसे सुधार करू।

लेखक कहते हैं कि हमें हमेशा हमारे वर्तमान पर focus करना चाहिए और अतीत और भविष्य को अपनी जगह रखना चाहिए। जब भी हम परेशान होते हैं तब हम हमारे अतीत के बारे में सोचते हैं। और जो चीज़ खराब हुई होती है उसके लिए हम खुद को दोष देते हैं। लेकिन अगर हम ये सिद्धांत को लागू करते हैं तो हम काफ़ी तनाव को दूर कर सकते हैं।

हमें भविष्य को लेकर डरना नहीं चाहिए। हमें समझना चाहिए कि अच्छी सोच विश्लेषण (analysis) को प्रभावित करती है, जो आगे चल के सकारात्मक (positive) और तार्किक योजना (logical planning) को अंजाम देते है। लेखक कहते हैं कि जब आप कोई चीज़ को plan करते हो तब उसकी सबसे खराब स्थिति को भी plan कर लो, और अपने आपको उसके लिए तैयार कर लो।

इससे क्या होता है कि आपका दिमाग खराब स्थिति के लिए सहमत हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) को release करता है, जो आपको सबसे खराब स्थिति से लड़ने की ताकत देता है।

आगे लेखक गौर करते हैं कि परेशानी से हमें क्या होता है।

वो बताते हैं कि डर का मुख्य कारण है परेशानी। जब आप ये जान जाते हो कि परेशानी से क्या होता है तब आप अपने आप परेशान होना बंद कर देते हो। शोधकर्ता (Researchers) कहते हैं कि, जब आप निरंतर तनाव या परेशानी में होते हैं तब आप अपनी शारीरिक कार्यक्षमता (physical functionality) को नुकसान पहुंचाते हो और ये तीन बीमारी से पीड़ित होते हैं- उच्च रक्तचाप (high blood pressure), हृदय रोग (heart diseases) और अल्सर (ulcer)। अगर आप कम परेशान होते हैं तब आपकी life time extend हो जाती है।

जब आप किसी भी चीज़ से परेशान होते हैं, तब आप अपनी परेशानी की समीक्षा (review) करें और उस परेशानी का fact क्या है वह ढूंढ़े। सारे तथ्यों को समालोचनात्मक विश्लेषण (critically analyze) करें और समाधान तक पहुंचें। अगर आपके facts असली नहीं है तो आपको बहुत confusion होगा और ये आपकी समस्याओं को और बढ़ा देगा।

इस स्थिति में आप अपने आप से ये सवाल पूछें :

  1. आप अपने आप से पूछे कि, क्या सबसे खराब संभावित परिणाम (possible outcome) हो सकता है, अगर आप अपनी समस्या को हल ना कर पाए या आप अपने लक्ष्य तक ना पहुंच पाए?
  2. सबसे खराब स्थिति को आप स्वीकार कर लें और अगर संभव हो तो plan B बना ले।
  3. इसके बाद शांति से अपने सबसे खराब संभावित परिणाम को सुधारें और इससे आपको बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
  4. समस्या क्या है और उसका करना क्या है?
  5. समस्याओं का संभावित समाधान कौन सा है और उसमें से सबसे अच्छा समाधान क्या है?

भाग 2: चिंता की आदत को कैसे तोड़ें, इससे पहले कि वह आपको तोड़ दे

व्यस्त रहो

इसमें लेखक कहते हैं कि अपने आप को एक नहीं तो दूसरी चीज़ में व्यस्त रखना चाहिए। शोधकर्ता (Researchers) कहते हैं कि मानव मन एक साथ बहुत सारी चीज़ों को नहीं सोच सकता है। इसका मतलब है कि हम खुश या परेशान एक साथ नहीं हो सकते। जब हम अपने आपको हमारी पसंद की गतिविधि (activity) में व्यस्त रखते हैं तो हमारा दिमाग सकारात्मक विचारों का बादल बना देता है।

How To Stop Worrying and Start Living Book

इसलिए doctor anxiety patients के लिए occupational therapy का इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए लेखक भी सुझाव देते हैं कि हमें हमारे मन को किसी ना किसी चीज़ में व्यस्त और occupy रखना चाहिए जिससे हम परेशानी से दूर रहे।

छोटी-छोटी बातों पर तूल न दें

“छोटी चीज़ों को अपने जीवन को बर्बाद करने की अनुमति न दें”।

लेखक कहते हैं कि हमें छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर परेशान होना बंद करना चाहिए। मन की शांति के लिए हमें mind trivial चीज़ों को avoid करना चाहिए। जब ऐसे छोटे मुद्दे बनते हैं तब हमें हमारा focus बदलना चाहिए जिससे हमारा दिमाग आवश्यक मुद्दों (essential issues) पर focus करें। हमेशा याद रखे की जीवन बहुत छोटी है, तो कभी भी इन सब से परेशान ना हो।

अपरिहार्य (inevitable) के साथ सहयोग करें

लेखक कहते हैं कि क्या होने वाला है उसके पीछे लड़ाई करने का कोई तर्क (logic) नहीं है। इससे तो अच्छा ही है कि हम ये सोचे की अगर ऐसा हुआ तो हम क्या करेंगे। और फिर उसमें से best ले। परेशान होने से फ़ायदा तभी है जब आप वो स्थिति को प्रतिरोध (resist) कर पाओ। लेकिन अगर आप नहीं कर सकते तो आगे बढ़ो।

भाग 3: मानसिक मनोवृत्ति विकसित करने के सात तरीके जो आपको शांति और प्रसन्नता प्रदान करेंगे

अपने मन को शांति, साहस, स्वास्थ्य और आशा के विचारों से भरें

How To Stop Worrying and Start Living Summary

इसमें लेखक कहते हैं कि वास्तविकता (reality) तब बनती है जब हमारा dominating mind विचार का सृजन (creation) करते हैं। अगर आप लगातार ये सोचते रहेंगे कि मेरे साथ कुछ खराब होगा तब ये सोच आपके दिमाग को हावी कर देगा और उसे हकीकत में बदल देगा। उदाहरण के लिए, अगर में ऐसा सोच विकसित (develop) करता हूं कि मेरे पास घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, तो ये हालांकि मेरे दिमाग को हावी कर लेगा और फिर काफ़ी समय तक और सालों तक मेरे पास घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं रहेंगे।

कभी भी अपने शत्रुओं से बदला लेने का प्रयास न करें

यहां लेखक कहते हैं कि हमें किसी के भी साथ बदला नहीं लेने चाहिए। इससे सिर्फ हमें भुगतना पड़ता है। हमेशा माफ़ कर देने की आदत विकसित करनी चाहिए। ऐसा इंसान मत बनो जो कर्म का फल मिलने की राह देखता है।

कृतघ्नता (ingratitude) की अपेक्षा करें

लेखक कहते हैं कि हमें ये याद रखना चाहिए, खुशी का एक ही रास्ता है कि हमें कृतज्ञता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए लेकिन उसे हमें अपनी खुशी के लिए देना चाहिए। जब हम किसी की मदद करते हैं और वो इंसान हमें धन्यवाद भी नहीं बोलता तब हमें उसके बारे में परेशान नहीं होना चाहिए।

अपने आशीर्वादों को गिनें, मुसीबतों को नहीं

आगे लेखक ये भी बताते हैं कि हमें हमारे आशीर्वाद गिनने चाहिए ना ही मुश्किलों को। इसका मतलब यह है कि हमें हमारे पास क्या है उसका आंकलन (calculation) करना चाहिए और क्या नहीं है उसके बारे में परेशान नहीं होना चाहिए। इससे तो अच्छा है हमें ये सोचना चाहिए कि जो हमारे पास नहीं है उसे हम कैसे हासिल करें। ये हमें परेशानी से दूर रहने की ज्यादा ताकत देता है।

स्वयं को खोजें और स्वयं बनें

लेखक कहते हैं कि खुद को जानना बहुत महत्वपूर्ण साहसिक कार्य (adventure) है- खुद को ढूंढ़ना और हमारे में क्या क्षमताएं है उसको जानना। खुद को ढूंढ़ना एक ऐसा अनुभव देता है जैसे वो एक self-centered लक्ष्य हो, लेकिन असल में वो एक निस्वार्थ प्रक्रिया (unselfish process) है हमारी जीवन का जो भी हम करते हैं। हमें ये ढूंढना चाहिए कि हम कौन सी चीज़ों में बेहतर और कौन सी चीज़ों में खराब है, अपने passion को पहचानो और उसके ऊपर काम करो जो तुम्हें कहीं ना कहीं अच्छा परिणाम देगा।

अपने घाटे से लाभ उठाने का प्रयास करें

इसमें लेखक ये सिखाना चाहते हैं कि आप अगर ये जान जाओ कि नकारात्मक को सकारात्मक में कैसे बदलना है तो आप जीवन में बहुत आगे बढ़ सकते हो। हमेशा अपने फायदे के बारे में सोचो। लेखक ये कहते हैं कि अगर आपको जीवन में lemon मिला है तो आप उससे lemonade बना लो। इसका मतलब ये है कि अपनी मुश्किल स्थिति से कुछ सीखो। काफ़ी लोग ऐसे होते हैं जो handicap होते हुए बड़े achiever बन जाते हैं, अपनी कमजोरियों को दूर करते – करते।

भाग 4: चिंता पर विजय पाने का अचूक उपाय (perfect way)

प्रार्थना करना

लेखक कहते हैं कि प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती है। ये आपको हमेशा प्रेरित (inspired) रखता है। प्रार्थनाएं आपको जो चीज़ें परेशान करती हैं, उसके बारे में एक आवाज देते हैं। जो आपको सकारात्मक महसूस कराता है और ये सुकून दिलाता है कि आप अपनी समस्या किसी से share कर रहे हो। आप अकेले नहीं हो, जिससे आपको परेशानी को हल (solve) करने की ऊर्जा मिलती है।

वर्तमान में जियो

How To Stop Worrying and Start Living Hindi

हम हमेशा सुनते है कि वर्तमान में जियो। अतीत और भविष्य के बारे में परेशान मत हो। लेकिन ये कैसे होता है? आज के तेज दौड़ और व्यस्त कार्यक्रम (hectic schedule) में हम सब में एक base level की चिंता, तनाव और दुख, एक नया नाम है। ये अनुभव आपको अतीत और भविष्य के बारे में सोचते हुए अपने आप से दूर कर देती हैं।

वर्तमान में जीने का मतलब ये है कि हमारा मन और चेतना इस पल में क्या हो रहा है उसी के बारे में सोचे। हम अतीत और भविष्य के बारे में सोच कर विचलित (distract) और परेशान न हों, लेकिन केंद्रित (centered) रहे।

भाग 5: आलोचना (criticism) के बारे में चिंता करने से कैसे बचें

याद रखें कि अन्यायपूर्ण आलोचना (unjust criticism) अक्सर प्रच्छन्न प्रशंसा (disguised compliment) होती है।

यहां लेखक डाह (jealousy) और ईर्ष्या (envy) के बारे में समझते हैं। जब कोई आपकी आलोचना करता है तो उसे लगता है कि उसका महत्व (importance) ज्यादा है। इसका मतलब है कि आपको पर्याप्त ध्यान (attention) चाहिए। ये सिर्फ आलोचक (criticizer) को संतुष्टि देता है।

अपनी गलतियों का विश्लेषण (analyze) करें और अपनी आलोचना (criticize) करें

जब हम किसी महत्वपूर्ण चीज़ में fail होते हैं, उदाहरण के लिए, रिश्ते, काम, या school, ये बहुत ज्यादा दर्दनाक (painful) होते है। ये हमारे मन को बहुत सारे विचार से भर देते है। इस समय आपको खुद से ये पूछना है, मुझे क्या चाहिए और मैं अपने बारे में क्या सोचता हूं।

शोधकर्ता (Researchers) कहते हैं कि जब हम कोई नकारात्मक घटनाओं को दोष देते हैं वो, सबसे ज्यादा अवसादग्रस्त (depressed) होते है और स्वास्थ्य के मुद्दे से परेशान होते हैं। लेकिन अपनी गलती को ढूंढ कर के उसे सही तरीके से आलोचना (criticize) करना, अपने आप को सही तरीके से समझाना, और सुधार के बारे में सोचना अच्छी बात होती है।

भाग 6: थकान और चिंता को रोकने के छह तरीके और अपनी ऊर्जा और उत्साह को ऊंचा रखें

थकने से पहले आराम करें

लेखक कहते हैं कि जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाते हैं तब आपको हमेशा एक चेतावनी संकेत (warning sign) मिलता है जो बताता है कि आप अपनी ऊर्जा को loose कर रहे हैं। इसलिए लेखक सुझाव देते हैं कि हमेशा हमें आराम और relax करने के रास्ते ढूंढ़ने चाहिए, इसके पहले कि ये संकेत और लक्षण (symptoms) ज्यादा हो जाए जिसका भविष्य में इलाज करना मुश्किल हो जाए।

अपने काम पर आराम करना सीखें

लेखक कहते हैं कि हमारी काम करने की जगह हमेशा हमें तनावग्रस्त (stressed out) कर देती हैं। इन सब परेशानी से दूर रहने के लिए हमें हमेशा office से बाहर की चीज़ों के बारे में बात करनी चाहिए, कहीं भी चलते – चलते जिससे आपको ताजी हवा मिले। और हर एक काम खत्म करने के बाद आपको एक छोटा break लेना चाहिए। ये आपके दिमाग को ताज़ा महसूस (fresh feel) कराता है जब आप office में होते हैं।

घर पर आराम करके अपने स्वास्थ्य और उपस्थिति (appearance) की रक्षा करें

यहां लेखक कहते हैं, हम हमेशा ये सोचते हैं कि जो हम office के बाहर करते हैं वो सब relaxation के तरीके हैं, चाहे वो park हो या restaurant हो। लेकिन हमें ये दिमाग में रखना चाहिए कि जो हम office के बाहर करते हैं वो हमारे काम पर असर करता है, हमारी attention, ऊर्जा और mood पर असर करता है। कोई हमें office के बाहर enjoyment करने से मना नहीं करता लेकिन घर पर बैठने और relax करने से ज्यादा आनंद मिलता है।

काम करने की चार अच्छी आदतें जो थकान और चिंता को रोकने में मदद करेंगी

हमें हमेशा साफ सुथरी जगह पर रहना पसंद आता है। गंदी और फैली हुई जगह हमें नकारात्मक भावनाएं देती हैं जो हमारे मन में नकारात्मक विचार का बादल बना देती हैं। यहां पर लेखक काम करने की चार अच्छी आदतों के बारे में बताते है।

  1. आप अपने table पर पड़े papers को एक जगह arrange करें और जो सबसे जरूरी है उनको आगे रखिए।
  2. चीज़ों को उनके महत्व (importance) के अनुसार arrange करे।
  3. जब आप कोई समस्या का सामना (face) करते हो तब उससे संबंधित (related) सारी जानकारी इक्कठा (collect) करो और उसका उपयोग करके सही निर्णय पर आओ।
  4. संगठित (organize), प्रतिनियुक्ति (deputize) और निगरानी (supervise) करना सीखें।

अपने काम में उत्साह (enthusiasm) लगाएं

लेखक कहते हैं कि हम जो भी काम करते हैं वो हमेशा उत्साहित और स्फूर्तिदायक (invigorating) नहीं होता है, लेकिन वो निर्भर करता है कि हम उसे किस तरीके से लेते हैं। आप अपने job को कैसे approach करते हैं, अपने सहकर्मी (coworkers) और अपने काम को कैसे ले रहे है वो matter करता है। हमारे office में जो भी काम होते है उसे हमें कैसे भी करना है, तो हमें मुस्कुराहट के साथ करना चाहिए। ये हमें अच्छी अनुभव देते हैं।

अनिद्रा (insomnia) की चिंता न करें

लेखक कहते है कि जब हम परेशान होते हैं तब हमें अच्छे से नींद नहीं आती है। और ये नई परेशानियों को जन्म देती है कि मुझे नींद क्यों नहीं आ रही है। तो अब आप ये सोचिए कि कौन पहले आता है परेशानी या अनिद्रा (insomnia)? हमें अनिद्रा के बारे में सोचने से अच्छा है कि, हम कुछ विश्राम तकनीक (relaxation technique) का उपयोग करके हमारी परेशानी और अनिद्रा को दूर करें।

How To Stop Worrying and Start Living किताब की समीक्षा

Dale Carnegie की “How to Stop Worrying and Start Living” एक timeless self-help किताब है जो चिंता को दूर करने और एक खुशहाल, अधिक पूर्ण जीवन जीने के लिए व्यावहारिक (practical) रणनीति प्रदान करती है।

Carnegie की लेखन आकर्षक है और वास्तविक जीवन के उदाहरणों से भरा है, जिससे उनके द्वारा प्रस्तुत concepts से संबंधित होना आसान हो जाता है। किताब किसी की मानसिकता को बदलने, तनाव को प्रबंधित करने और सकारात्मक सोच विकसित करने पर बहुमूल्य insights प्रदान करती है।

यह वर्तमान पल में जीने और अपने विचारों और कार्यों को नियंत्रित करने के महत्व पर जोर देती है।

अपनी actionable सलाह और प्रेरणादायक anecdotes के साथ, यह किताब उन सभी के लिए एक मूल्यवान संसाधन है जो चिंता की पकड़ से मुक्त होने और अधिक आनंदमय अस्तित्व को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।

धन्यवाद।

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