आत्म-सम्मान यानि की Self-Esteem या Self respect, हम इन शब्दों को बहुत जगह सुनते हैं। हमारे अंदर कई ऐसी power होती है जो हमें सबसे अलग बनाती है, इन्हीं powers में से एक है Self-Esteem। Self-Esteem मानव शरीर में एक अदृश्य शक्ति के समान काम करती है जो कि दिखाई तो नहीं देती, पर होती बहुत ही शक्तिशाली है।
Self-Esteem होगी, तभी इंसान अपने समाज में एक अलग पहचान बना सकता हैं। लेकिन बहुत से लोग वक्त के साथ अपनी Self-Esteem को खो देते हैं, अपना आत्म विश्वास खो देते हैं, और ये वो समय है जब इंसान सिर्फ नीचे की ओर चलना शुरु कर देता है और इससे निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। और इसलिए हम आज एक बहुत बेहतरीन किताब के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका नाम है, The Six Pillars of Self-Esteem, जिसे Nathaniel Branden ने लिखा है।
इस किताब से आपको अपने Self-Esteem को हासिल करने में मदद मिलेगी। अगर आपने कभी महसूस किया है कि आप काबिल नहीं हैं, या आप एक धोखेबाज हैं जो सिर्फ चीज़ो को समझने का दिखावा करता है, तो आपको अपने Self-Esteem को बढ़ाने की ज़रूरत है।
किताब में बताए गए 6 Pillars या exercises, आपको Self-Esteem हासिल करने में मदद करेंगी। जिसके जरिए से आप ज्यादा अच्छी health, achievement और खुशी हासिल कर सकते है।
इस summary में, हम “The Six Pillars of Self-Esteem” किताब को summarize करेंगे और यह decide करने में आपकी मदद करने के लिए एक समीक्षा (review) प्रदान करेंगे कि यह पढ़ने योग्य है या नहीं।
किताब में आप इन छह Pillars या exercises के बारे में जानेंगे:
- Senses के साथ जीने की exercise
- Self-affirmation की exercise
- खुद की जिम्मेदारी की exercise
- Self-assertiveness की exercise
- Purposeful ढंग से जीने की exercise
- Personal integrity की exercise
तो चलिए शुरू करते है….
Self-Esteem क्या है?
Self-Esteem का मतलब अपनी क्षमता पर भरोसा करना होता है। Self-Esteem हम इंसानों के लिए बहुत ज़रूरी है। इसका मतलब यह हुआ, कि जब हम खुद की काबिलियत पर भरोसा करेंगे, तभी जाकर हम किसी काम को पूरी समझदारी से पूरा कर सकते है। और Self-Esteem के जरिए ही हम अपनी ज़िन्दगी में सफ़ल हो सकते है।
Self-Esteem हमारी किसी भी भावना से बहुत ज्यादा होता है, क्योंकि यह हमें प्रेरित और encourage करने के लिए ज़रूरी होता है। हमारे काम करने का तरीका हमारे Self-Esteem को प्रभावित करता हैं, और हमारा Self-Esteem हमारे काम को बहुत affect करता है, और यह हमेशा ऐसे ही चलता रहता हैं। अगर हम क्या और कैसे करना हैं, इसके बारे में सोचना ज़रूरी समझते है, तो सही फैसले लेने के लिए Self-Esteem का होना भी उतना ही ज़रूरी है।
जब हम मानते हैं कि हमारे पास ज़िन्दगी में चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है, तो हमारा भरोसा, हमारे व्यवहार को प्रभावित करेगा, जिससे हम अपनी इच्छाओं को असलियत में बदल सकते है। इसी तरह, अगर आप लगातार थके हुए और बेकार महसूस करते हैं, तो आपका झूठा भरोसा आपको कभी खुद की कदर नहीं करने देगा, और आप अपने मनचाहे परिणाम को हासिल नहीं कर पाएंगे।
मतलब साफ़ है, हमें ज्यादा संतुष्ट और खुशहाल ज़िन्दगी जीने के लिए Self-Esteem की ज़रूरत होती है। Self-Esteem के जरिए हम अपनी ज़िन्दगी में इन चीज़ो को कर सकते है :
- हम हर तरह की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
- हम अपनी क़ाबलियत पर मज़बूत भरोसा कर सकते है। जिसके जरिए हम अपनी खुशी, भलाई और संतुष्टि को हासिल कर सकते हैं।
- हम अपने values को समझकर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते है।
इसी तरह Self-Esteem का हमारे विचारों और काम के साथ- साथ हमारी भावनाओं से भी गहरा जुड़ाव होता है। सीधे शब्दों में कहें तो, कम Self-Esteem वाला इंसान असल में खुश नहीं हो सकता है, क्योंकि उसे लगातार लगता है कि वह इसके लायक नहीं है। लेखक बताते है की, Self-Esteem की कमी की वजह से प्यार की कमी होती है, क्योंकि हमें दूसरों से प्यार करने के लिए खुद से प्यार करने की ज़रूरत होती है।
और हम खुद से प्यार तभी कर सकते है, जब हम खुद की कदर करते है। इसके साथ ही Self-Esteem उम्मीदें पैदा करती है। जब हमारे पास healthy Self-Esteem होती है, तो हम सोच सकते है की हम क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं। कुल मिलाकर आज की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए Self-Esteem का होना बहुत ज़रूरी है।
Self-esteem के दो प्रकार
1. हमारी क्षमता पर भरोसा
इस self-esteem में, हमें अपने फैसले, क्षमता और परिणाम पर भरोसा करने की ज़रूरत होती है। मतलब हमें यह भरोसा करना होता है, कि हम वह सब सीख सकते हैं जो सफ़ल होने के लिए ज़रूरी है, और जब हम अपनी इस क्षमता पर भरोसा करके सबसे बेहतर तरीके से अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कोशिशे करते हैं, तो हम अपनी ज़िन्दगी में सफ़ल हो सकते है।
2. Self respect
Self-esteem का होना इस बात पर भरोसा करना होता है कि हम दूसरों से इज़्ज़त पाने के लायक हैं। इसके अलावा self-esteem इन तरीकों से जाहिर होता है:
- जिस तरह से आप बात करते हैं,
- मिले हुए परिणाम के बारे में बात करने के तरीके से,
- नए परिणाम के बारे में जानने की curiosity से,
- घटनाओं से निपटने की काबिलियत से,
- Stressful स्थिति में आराम से फैसले लेने से।
बहुत से लोग यह जानते हैं की self – esteem एक बहुत ही कीमती गुण होता है और इसलिए वो confident दिखना चाहते हैं, लेकिन वो अक्सर ऐसा नहीं कर पाते है। इसलिए, लेखक सलाह देते है की confident दिखने के लिए self-esteem को अपनाए। और आप अपनी ज़िन्दगी में पूरे विश्वास से आगे बढ़ सकते है।
अब सवाल यह बनता है, की हमें अपना self- esteem बढ़ाने के लिए करना चाहिए? तो अपने self-esteem को बढ़ाने के लिए अपनी क्षमता पर भरोसा करे और जागरूक होकर शुरुआत करे। हालांकि, self-esteem को बढ़ाना इतना जल्दी संभव नहीं होता है, इसके लिए हमें छोटे steps से शुरुआत करने की ज़रूरत होती है। किताब मे self-esteem को बढ़ाने के लिए 6 exercises को बताया गया है, जिनका इस्तेमाल करके आप अपने self-esteem को बढ़ा सकते है। जिसे हम आगे के Exercises में जानेंगे।
Exercise 1: Consciousness के साथ जीने की exercise
हमारा दिमाग हमारे ज़िंदा रहने का सबसे ज़रूरी resource होता है, फिर भी हम अपनी क्षमता और intelligence के बराबर नहीं होते हैं। मतलब हमें हमारी समझ हमारी क्षमता के बजाए, काम करने से मिलती है। सिर्फ सोचने से किसी भी काम को पूरा नहीं किया जा सकता है, इसलिए आपको अपने काम को पूरा करने के लिए ज़रूरी काम करना चाहिए।
हम अपनी समझ से यह भरोसा करते है, कि हम अपनी भावनाओं से भी सीख सकते हैं। इसके लिए बस हमें एक जागरूक दिमाग की ज़रूरत होती है, और जागरूकता हासिल करने के लिए एक active दिमाग की ज़रूरत होती है। जो इन मामलों में नज़र आता है:
- किसी पल का मज़ा लेना।
- Facts, विचारों और भावनाओं के बीच फर्क करना।
- समस्याओं से बचने के बजाए उनसे निपटने के लिए काम करना।
- अपनी गलतियों को देखना और सुधारना।
- आपको अपनी सही values का पता होना।
इसी तरह जागरूकता का इस्तेमाल करने और एक active दिमाग हासिल करने के लिए, अपने आप से एक सवाल पूछे : अगर मैं ऐसा करूं तो क्या होगा? मतलब देखे की आपको बदले में कैसे परिणाम मिलेंगे और यह आपके लिए कितने फायदेमंद होंगे। इस exercise को पूरा करने के लिए, sentence पूरा करने का अभ्यास करे, जिससे आप अपने अंदर छिपे हुए connections का पता लगा सकते है। और उनका इस्तेमाल अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए कर सकते है।
इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको, अगर मैं ऐसा करूं तो क्या होगा? इस जैसे अधूरे Sentence को कम से कम छह तरीकों से पूरा करने की कोशिश करनी है। इसके अलावा लेखक जागरूकता हासिल करने के लिए, इन Sentence को पूरा करने का सुझाव देते हैं:
- होश के साथ मेरे लिए अपनी ज़िन्दगी जीने का मतलब है कि…
- अगर मैं लोगों की तरफ ज्यादा जागरूक हूं, तो…
- अगर मैं अपने सबसे ज़रूरी रिश्तों में 5% और जागरूकता लाऊं, तो…
- अगर मैं आज अपनी activity के बारे में 5 % ज्यादा जागरूकता लाऊं…
- अगर मैं इस बात पर ज्यादा ध्यान दू कि मैं आज लोगों के साथ कैसा behave करता हूं…
- अगर मैं अपनी insecurities के बारे में 5 % ज्यादा जागरूकता लाऊं तो…
- अगर मैं अपनी priorities में 5 % और जागरूकता लाऊं तो…
अब अपनी स्थिति के अनुसार इन Sentence को पूरा करे और अपनी ज़िन्दगी में जागरूकता को हासिल करे। जब आप अपने Sentence को पूरा करते है, तो आप अपनी ज़िन्दगी में जागरूक होकर आगे बढ़ सकते है। इसके बाद, Self Esteem में सुधार करने के लिए, हमें अपने mindset को बदलने के साथ शुरुआत करनी होगी। इसके लिए ऐसे mindset का इस्तेमाल करे, की हमें जागरूक होकर जीना शुरू करना चाहिए।
Consciously जीने से, हम चीजों पर सवाल उठाना शुरू कर देते हैं और अपनी अंदरूनी दुनिया (ज़रूरतों, चाहतों, भावनाओं) के साथ-साथ बाहरी दुनिया (facts और explanations) के बारे में सोच सकते हैं। ऐसा करने से हम हकीकत को देखने के करीब आ जाते हैं। और हकीकत का सामना करने के बाद, हम अपने बारे में एक बुनियादी समझ हासिल करते हैं, जो हमारी भलाई का आधार होता है। अपनी समझ को हासिल करने के लिए, खुद से सवाल पूछे : क्या आप होश के साथ अपनी ज़िन्दगी जी रहे हैं? साथ ही ध्यान दें। यह बहुत मायने रखता है।
लेखक ने Self Esteem के हर pillar या exercise को ज्यादा जागरूक होकर जीने के लिए एक शक्तिशाली tool के रूप में इस्तेमाल करने को कहा है। इस exercise को करने के लिए, एक अधूरा Sentence लें और आपके दिमाग में जो कुछ भी आए उसे जल्दी से लिखें, सोचने के लिए रुकें नहीं और जैसा कि Branden कहते हैं: “किसी भी चीज़ का कोई भी अंत नहीं होता है, इसलिए बस लगातार चलते रहें।”
और आखिर में अपने sentence को पूरा करने के बाद आप अपनी ज़िन्दगी में समझ हासिल कर सकते है। साथ ही अपनी समझ के साथ आप सही फैसले लेकर अपनी सफ़ल ज़िन्दगी को achieve कर सकते है।
Exercise 2: Self affirmation की exercise
हमें अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने और खुद को अपनाने के लिए, जागरूक होने की ज़रूरत है: सिर्फ हम ही है जो अपनी ज़िन्दगी बदल सकते हैं और हम ही खुद के लिए जिम्मेदार भी होते हैं। इसलिए हमें खुद को अपनाने की ज़रुरत होती है, खुद को अपनाकर ही हम खुद की कदर करना सीख सकते है।
जब हम अपनी भावनाओं को अपनाते हैं, तो इससे हमें अपने विचारों का पता चलता हैं, और खुद को अपनाना संभव हो जाता है। लेखक बताते है : एक healthy Self Esteem को हासिल करने के लिए हमें self-affirmation का इस्तेमाल करना चाहिए। मतलब Self Esteem को अपनाने के लिए self affirmation की इन बातों का ध्यान रखें :
- हम अपने लिए खुद काम करते हैं,
- और हम अपने विचारों को पहचान सकते हैं।
इन बातों का ध्यान रखने के साथ – साथ लेखक self-affirmation की एक exercise करने का सुझाव देते है। यह exercise बहुत ही आसान है, जिसे आप तुरंत कर सकते है : इसके लिए एक शीशे में देखें, और अपने आप पर ध्यान से focus करें और जोर से कहे कि : मैं खुद को पूरी तरह से स्वीकार करता हूं!
स्वीकार करने का मतलब यह नहीं है, की आप अपने बारे में हर चीज़ को पसंद करते है। बल्कि आप अपनी गलतियों के साथ खुद को स्वीकार कर सकते हैं और अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप बदलाव के लिए ज़रूरी कदम भी उठा सकते है।
खुद को अपनाना बदलाव का पहला कदम होता है। अगर हम अपने आप को वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे की हम हैं, तो हम अपने व्यवहार के अनुसार बेहतर बनने के लिए काम कर सकते हैं। अपने आप को अपनाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें :
- खुद को अपनाने के लिए तैयार होना खुद के favour में होता है – मतलब हम खुद को बेहतर बनाने के लिए खुद को अपनाते है।
- अपने आप को अपनाने के लिए हमें खुद को समझना होता है, जिसमें हम अपनी हर गलती और अच्छाई को अपनाते है। और जो सोचते है उसे महसूस कर सकते है, इसके साथ ही हम हर चीज़ को पाने की इच्छा रखते है उसे हासिल भी कर सकते है।
- अपने आप को अपनाकर हम अपनी गलतियों से सीख सकते है और सुधार के लिए ज़रूरी कदम उठाकर अपने आप को बेहतर बना सकते है।
तो अब सबसे ज़रूरी सवाल यह बनता है कि: क्या आप अपनी महानता को स्वीकार करना चाहते हैं? और क्या आप अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए तैयार है? अगर आपका जवाब हां है, तो आज से ही शुरुआत करें और खुद को अपनाकर अपनी गलतियों का सुधार करें। और आखिर में, सुधार के जरिए आप अपनी ज़िन्दगी में बेहतर बन सकते है।
Exercise 3: जिम्मेदारी लेने की exercise
हमें अपनी ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारी खुद लेनी चाहिए क्योंकि सिर्फ हम ही है जो अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते है, कोई और हमारे लिए ऐसा नहीं करेगा। लेकिन इसके साथ ही हमें समझना होगा की जिम्मेदारी की बात करते समय, हमें यह ध्यान रखने की ज़रूरत होती है, की हम किन चीज़ो की ज़िम्मेदारी ले रहे है। अगर किसी चीज़ या घटना पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रहता है, तो हमें उसकी जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए।
किसी और की जिम्मेदारी लेने से दूसरे लोगों की उम्मीदे बढ़ती है और वो खुद को आपके साथ safe महसूस करते है, इसलिए कभी किसी की झूठी ज़िम्मेदारी लेकर उनसे झूठे वादे न करे। और जब ज़िम्मेदारी लेने की बात आती है, तो हमें उन चीज़ो की पूरी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए जो सिर्फ हम पर निर्भर करती है, और इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि अगर हम इसे खराब कर देंगे तो कोई और हमारी मदद के लिए आगे नहीं आएगा।
खुद की जिम्मेदारी लेने की exercise हमारे Existence और हमारी खुशी को काबू करने के बारे में है। लेखक बताते है, इस exercise को करने के लिए हमें यह समझना होगा कि हमें खुश करना किसी और का काम नहीं है; हम पूरी तरह से अपनी ज़िन्दगी के काम और अपनी खुशी के लिए जिम्मेदार होते हैं। और खुद की ज़िम्मेदारी लेते समय जब भी कोई समस्या आती है, तो अपने आप से एक सवाल पूछें: “मैं इसके बारे में क्या कर सकता हूं?”
जवाब मिलने पर काम करना शुरू करे, और जो चीज़ आप पर निर्भर नहीं करती है या आपको नुकसान पंहुचा सकती है उसकी ज़िम्मेदारी लेना छोड़ दे। और अपनी ज़िन्दगी में बेहतर तरीके से आगे बढ़ने पर ध्यान दे। हमें अपनी ज़िन्दगी के लिए दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए और न ही किसी दूसरे से अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने की उम्मीद करनी चाहिए। हम खुद अपनी ज़िन्दगी की स्थितियों, परिणामों, ख़ुशी और सफ़लता के लिए ज़िम्मेदार होते है। इसलिए जितना जल्दी हो सके इस बात को समझे और अपनी ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारी ले।
अगर आप दूसरों से उम्मीद कर रहे है तो आप उनके लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काम करेंगे। लेकिन अपने लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में काम करके आप अपने अनुसार अपनी ज़िन्दगी को जी सकते है। तो आज से ही खुद की ज़िम्मेदारी ले और ज़िम्मेदारी लेने के लिए लेखक के इस अधूरे sentence को पूरा करे :
- अगर मैं अपनी खुशी की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं … तो
यह पूरी तरह से आपके जवाब पर निर्भर करेगा की आप sentence को कैसे पूरा करते है। उदाहरण के लिए खुद की ज़िम्मेदारी लेने के लिए sentence को पूरा करने के लिए कहे, अगर मैं अपनी ख़ुशी की पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं, तो मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी को खुशहाल बना सकता हूं। इसी तरह अपने तरीके से इस sentence को पूरा करे और अपनी ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारी ले।
Exercise 4: Self assertiveness की exercise
Self Esteem हासिल करने का सीधा सा मतलब genuine और authentic होना है, मतलब आप जो हैं, वही बने। और self-assertion का अभ्यास करने के लिए, भरोसा रखे कि अपनी ज़िन्दगी में खुश रहने और आगे बढ़ने के लिए हमारे पास भरोसा, values, विचार, ज़रूरतें और चाहत का होना ज़रूरी हैं। Self-assertive होकर आप अपनी ज़िंदगी की चुनौतियों का सामना करने और महारत हासिल करने के लिए कोशिशें करना शुरू कर सकते है। Self-assertion बनने की शुरुआत करने के लिए इन बातों को अपनाएं:
- अपनी ज़िम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहे !
- जो आप असल में है वही बनें!
- कोई भी doubt होने पर पूछने से पीछे न हटे!
- भरोसा करें कि आपके विचार और परिणाम, ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी हैं!
लेखक के अनुसार, अगर आप ये आसान कदम नहीं उठाते हैं, तो आप किसी और की ज़िन्दगी में सिर्फ बिना मतलब का हिस्सा बन सकते हैं। और अगर आप Nathaniel Branden की इस exercise को स्वीकार करते हैं, तो आप अपनी ज़िन्दगी में confident होकर आगे बढ़ सकते है। इसलिए शुरुआत आज से ही करे और अपनी ज़िन्दगी में अपनी कीमत को पहचाने।
Exercise 5: Purposeful ढंग से जीने की exercise
हम सभी का ज़िन्दगी में कोई न कोई लक्ष्य ज़रूर होता है, जिसको हासिल करने के लिए हम काम करते है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होते है जो अपनी ज़िन्दगी को बिना किसी purpose के जीते है और बस mobile पर social media देखने में अपना समय बर्बाद कर देते है।
मतलब, यहां लेखक बताना चाहते है कि बिना किसी purpose से जीना जानवरों की तरह जीने के बराबर होता है। और इस तरह आप कभी भी अपनी ज़िन्दगी में सफ़ल नहीं हो सकते है। तो अपनी ज़िन्दगी मे purposeful ढंग से जीना शुरू करें और अपनी ज़िन्दगी में सफ़ल होने के लिए अपने लक्ष्यों को तय करे। और अपने आप से एक सवाल पूछें की : आप अपनी ज़िन्दगी में क्या हासिल करना चाहते हैं?
अब, सोचे की आपकी ज़िन्दगी में सबसे ज़रूरी क्या है। और ऐसा कौन सा सपना है जो आप पूरा करना चाहते है। और ऐसे लक्ष्य तय करे जो आपको अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने में मदद करेंगे। साथ ही अपनी जागरूकता को बढ़ाने के लिए इन steps को follow करें:
- अपने लक्ष्यों को set करने की जिम्मेदारी लें!
- उन steps को तय करें जो आपको अपने लक्ष्यों तक पहुँचाने के लिए उठाने होंगे!
- अपने व्यवहार को अपने लक्ष्यों के compatible बनाए !
- अपने काम के परिणाम का अंदाज़ा लगाए और अपने परिणाम पर ध्यान दें!
इसी तरह अपनी ज़रूरत और इच्छाओं को ध्यान में रखकर, अपने लक्ष्यों को set करे। लेकिन सिर्फ लक्ष्यों को set करने से आप अपनी मनचाही चीजों को हासिल नहीं कर सकते है। इसके लिए आपको काम करना होगा। अगर आप अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काम नहीं करेंगे, तो आप अपने मनचाहे परिणाम भी हासिल नहीं कर पाएंगे।
और बिना लक्ष्यों के आप अपनी कदर नहीं कर पाएंगे। इसलिए, एक healthy Self Esteem हासिल करने के लिए, आपको अपनी ज़िन्दगी में आपके ज़रूरी purpose को पूरा करने की इच्छा से जीना होगा।
जब हमारे मन में साफ़ लक्ष्य होते हैं, तो हम अपनी ज़िन्दगी को purposeful ढंग से जीना शुरू कर सकते हैं, और एक सच्चे इरादे के साथ अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काम करते हैं। इसका मतलब है, कि ज़िन्दगी की तरफ हमारा trend reactive होने के बजाय active होता है। हमारे लक्ष्य हमारी ज़िन्दगी को meaningful बनाते हैं।
इसलिए अपनी ज़िन्दगी को purposeful ढंग से जीने की शुरुआत आज से ही करे। और खुद से एक सवाल पूछे: आपका purpose क्या है, और क्या आप इसे पूरा करने के लिए जी रहे हैं? अगर नहीं, तो अपना पहला लक्ष्य आज ही तय करे और उसे पूरा करने के लिए ज़रूरी काम करे।
Exercise 6: Personal Integrity की exercise
Personal Integrity का मतलब अपनी values के तरफ ईमानदार होना है। जितना ज्यादा हम अपनी ज़िन्दगी को अपने तय किये गए principles पर जीते हैं, उतना ही ज्यादा हम Self Esteem को हासिल कर सकते है।
आप अपने काम को पूरा करने के लिए आसान से आसान तरीके का इस्तेमाल कर सकते है, लेकिन अगर यह आपकी values के साथ match नहीं होता है, तो आप Self Esteem को हासिल नहीं कर सकते है। इसलिए हमें अपनी ज़िन्दगी में भरोसे और ideals के साथ जीने की जरूरत होती है।
मतलब जिस तरह से आप अपनी ज़िन्दगी को जीना चाहते हैं, उसी तरीके को हासिल करने की इच्छा से अपने काम करे। इसी के साथ अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए Conscious रहें, अपनी ज्ञान का इस्तेमाल करे, अपनी सबसे अच्छे परिणाम हासिल करने की कोशिश करें, अपनी पसंद और उसके परिणाम की जिम्मेदारी लें, और चुनौतियों से निपटने के पूरी कोशिश करे।
फिर, खुद से एक सवाल पूछे: क्या आप personal integrity के साथ जी रहे हैं? अगर नहीं तो आज से ही अपनी values को समझे और अपनी ज़िन्दगी में Self-Esteem पाने के लिए अपनी values को ध्यान में रखते हुए काम करे।
Self-Esteem को प्रभावित करने वाले बाहरी factor
इससे पहले के अध्यायों में हमने जाना कि Self-Esteem के 6 Exercise या Pillars हमारी सोच को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, फिर चाहे हम कितने भी जागरूक क्यों न हों, हम हमेशा सामाजिक इंसान होने की वजह से दूसरों से प्रभावित होते हैं। इसी तरह Self-Esteem को प्रभावित करने वाले कई बाहरी factor होते है। जिन्हें हम इस exercise में जानेंगे:
Guardian
अगर बात करें बच्चों के Self-Esteem की, तो बच्चो के Self-Esteem की आसानी से shape दिया जा सकता है, इसमें माता-पिता का बहुत ज़रूरी role होता है। माता-पिता को अपने बच्चे की self-esteem को develop करने पर ध्यान देना चाहिए। माता-पिता के लिए सबसे ज़रूरी नियम यह है, कि उन्हें अपने बच्चो के ख़राब performance को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
यह आपके बच्चो में बिना मतलब की उम्मीदें पैदा करता है, जिसके अनुसार अगर बच्चा बड़ा नहीं हो पाता है, तो उसे ऐसा लगता है कि उसने अपनी ज़िन्दगी का objective खो दिया है। इसलिए अपने बच्चो को उनके failure का सामना करने पर उन्हें उनकी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ने के लिए encourage करे। खेलों में, प्यार को अक्सर performance से जोड़ा जाता है। अगर आपके माता-पिता athletic थे, तो इसका मतलब यह नहीं होगा की आप भी किसी खेल में अच्छे होंगे।
बल्कि यह तभी संभव हो सकता है, अगर आप भी athletic बनने के लिए अच्छे से कोशिश करें। इसके अलावा बड़ाई भी Self-Esteem को shape देने में बहुत बड़ा role निभाती है। इसलिए खुद की या अपने बच्चों की बड़ाई तभी करे, जब आपने असल में कोई अच्छा काम किया हो। लेकिन फिर भी अगर आपने अच्छा काम करने की पूरी कोशिश की है, तो आप अपनी कोशिशों के लिए खुद की बड़ाई कर सकते है। अपने Self-Esteem को बढ़ाने के लिए अपनी कोशिशों पर ध्यान दे और वो करे जो आपको बेहतर बनने में मदद कर सकता है।
शिक्षकों
माता-पिता के बाद हमारे शिक्षकों का हमारी ज़िन्दगी पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। बहुत से शिक्षक खुद Self-Esteem की समस्याओं से जूझते हैं और बहुत सही से सीखाने के लिए तैयार नहीं होते हैं, जिसका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। और बच्चे अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने से discourage हो सकते है।
इसलिए शिक्षकों को अपने छात्रों को encouraged करने के लिए तैयार करना चाहिए। हर किसी के पास कुछ न कुछ कीमती होता है। यह शिक्षकों का काम होता है कि वे इसे ढूंढे, और अपने छात्रों को उनकी values के अनुसार काम करने के लिए कहे। लेखक के अनुसार, एक शिक्षक अपने छात्र के Self-Esteem को तभी develop कर सकता है जब खुद उसके पास Self-Esteem हो।
Worker – Companies
यह साबित हो गया है कि ज्यादा Self-Esteem वाले worker बेहतर perform करते हैं, इसलिए companies भी एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करती है जो creativity और innovation से भरा होता है। जिससे workers को बेहतर perform करने में मदद मिलती है। Self-Esteem का support करने वाले माहौल में, लोग:
- Recognized महसूस कर सकते है।
- Creative बन सकते है।
- अपने विचारों को सबके सामने रख सकते है।
- जानकारी तक पहुंच सकते है।
- और सीखने के लिए खुद को encouraged कर सकते है।
Leader, CEO, President
अगर आप अभी जहां है उससे आगे बढ़ना चाहते है, तो आपको खुद से बेहतर लोगों के साथ रहना होगा। मतलब अगर एक सफ़ल company के CEO बनाना चाहते है, तो उसे अपने से ज्यादा चतुर, ज्यादा काबिल लोगों और बेहतर professionals को काम पर रखने की ज़रूरत है।
जो उसकी company को एक सफ़ल company बनाने के लिए बेहतर काम करेंगे। ऐसा करने के लिए, एक CEO में healthy Self Esteem की ज़रूरत होती है। अगर आप इन लोगों के साथ सही तरीके से behave करना चाहते है, तो आपको खुद की कदर करने की ज़रूरत होगी। तभी जाकर आप अपने workers से अच्छी तरह से behave कर सकते है। बदले में आपके workers अच्छा काम करेंगे।
Self-Esteem को बनाने के लिए इन 4 steps को follow करें
- अगर आप किसी भी ऐसे काम से बचने की कोशिश करते हैं जो आपको आपके comfort zone से बाहर ले जाता है, तो यह आपकी Self Esteem और आपकी ज़िन्दगी को बर्बाद कर देगा। इसलिए अपने comfort zone से बाहर निकले और अपनी ज़िन्दगी में सफ़ल होने के लिए बेहतर से बेहतर काम करे।
- शुरुआत छोटे काम को करने से करे – किसी काम में मिली थोड़ी सी progress भी हमारे Self Esteem को बढ़ा सकती है। उदाहरण के लिए : अगर आप gym जाना चाहते हैं, तो पहले अपने दौड़ने वाले जूते पहने और दौड़ना शुरू करे।
- बड़े काम को पूरा करने के लिए छोटे-छोटे steps से शुरुआत करें और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़े।
- मुश्किल काम में भी, अपनी बड़ी चुनौतियों का सामना करे और उन्हें दूर करने के लिए ज़रूरी काम करे।
निष्कर्ष
और आखिर में, आप इन steps को follow करके काफ़ी Self Esteem हासिल कर सकते है। इसके लिए किताब में बताए गए 6 pillars मतलब exercises का इस्तेमाल करे और अपनी ज़िन्दगी में Self Esteem हासिल करने के लिए तैयार हो जाये।
तो दोस्तों, इस किताब से हमने Self Esteem को हासिल करने के तरीके के बारे में जाना। जिसके जरिये हम अपनी ज़िन्दगी में सफ़ल और खुश हो सकते है। इसलिए किताब में बताए गए 6 exercises का इस्तेमाल करें और अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो जाये।
हमेशा याद रखें
- Senses के साथ जीने की exercise
- Self-affirmation की exercise
- खुद की जिम्मेदारी की exercise
- Self-assertiveness की exercise
- Purposeful ढंग से जीने की exercise
- Personal Integrity की exercise
The Six Pillars of Self-Esteem किताब की समीक्षा
“The Six Pillars of Self-Esteem” एक अनिवार्य रूप से पढ़ी जाने वाली self-help पुस्तक है जो पाठकों को उनके आत्म-सम्मान को विकसित करने और बढ़ाने के लिए व्यावहारिक insights और अभ्यास प्रदान करती है।
Nathaniel Branden का दृष्टिकोण छह स्तंभों (pillars) पर आधारित है: सचेत रूप से जीना, आत्म-स्वीकृति, आत्म-जिम्मेदारी, आत्म-मुखरता, उद्देश्यपूर्ण जीवन और व्यक्तिगत अखंडता।
इन स्तंभों के माध्यम से, वह अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने, स्वयं के प्रति ईमानदार होने, सीमाएँ निर्धारित करने, लक्ष्यों का पीछा करने और सत्यनिष्ठा के साथ जीने के महत्व पर बल देते है।
Branden की लेखन शैली स्पष्ट, संक्षिप्त और आकर्षक है, जिससे पाठकों के लिए उनके विचारों और अभ्यासों का पालन करना आसान हो जाता है।
वह पाठकों को संबंधित concepts और उन्हें अपने जीवन में लागू करने में मदद करने के लिए व्यावहारिक उदाहरण और anecdotes प्रदान करते है। प्रत्येक exercise के अंत में दिए गए अभ्यास विशेष रूप से पाठकों को उनके आत्म-सम्मान को विकसित करने की प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन करने में सहायक होंगे।
कुल मिलाकर, “The Six Pillars of Self-Esteem” एक insightful और empowering किताब है जो पाठकों को अपने आत्म-सम्मान में सुधार करने और अधिक पूर्ण जीवन जीने में मदद कर सकती है। अपनी आत्म-जागरूकता और व्यक्तिगत विकास को बढ़ाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक मूल्यवान संसाधन है।
धन्यवाद।
Contents
You have a power to achieve a success so achieve it.
Thank you Sir
Thank you sir