The Dark Side of Startups

The Dark Side of Startups (हिन्दी)

Arvind Arora और Pranesh Jain की "The Dark Side of Startups" उन लोगों के लिए एक किताब है जो Startups की दुनिया में कदम रखना चाहते हैं। छुपे हुए सत्य और अन्य relevant details यहां बहुत ही साफ़ तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं। बस तरकीबें सीखें और इस बढ़ती Startup दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार हो जाएं।

Arvind Arora, Pranesh Jain 17 mins read Read in English Personal Finance Productivity Self Improvement

Startups की fancy दुनिया हम सभी को उत्साहित करती है और हम सभी इस sector के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं। आपका इंतजार खत्म हुआ और अब इस buzzing सेक्टर से जुड़ी सारी बातें आपके सामने आ जाएंगी ताकि आप भी अपने हिसाब से अपनी योजना बना सकें।

परिचय

आज आप “The Dark Side of Startups” किताब के बारे में जानेंगे, जिसे Arvind Arora, जिनको हम सभी A2 Sir के नाम से भी जानते हैं और Pranesh Jain ने लिखा है।

असल जिंदगी के कहानियों और expert insight के जरिये, यह किताब startup संस्कृति के glamour के पीछे छिपे संघर्ष (struggles), विफलता (failures) और नैतिक (ethical) और अनैतिक (unethical) चीज़ों पर रौशनी डालती है। ये महत्वकांशी (ambitious) संस्थापक (founders), निवेशक (investors) और college के छात्र के लिए आंखें खोलने वाली एक किताब है, जिसमें startup की दुनिया से सीखे गए महत्वपूर्ण lenses को share किया गया है। अगर आप उन लोगों में से एक है जिसने कभी न कभी startup के बारे में सोचा है या शुरू कर चुके हैं तो यह video आपके बहुत काम आने वाला है।

Arvind Arora, एक मशहूर भारतीय शिक्षक, एक प्रेरक वक्ता (motivational speaker)और social media प्रभावकार (influencer) हैं। अलग-अलग platform पर उनके 20 million followers हैं, उन्हें आम तौर पर A2 Sir के नाम से पहचाना जाता है। उन्हें Shark Tank India Season 2 में चित्रित (feature) भी किया गया था और उन्होंने अपने YouTube channel “A2 motivation” के जरिये बहुत लोकप्रियता (popularity) हासिल की है, जिसके 15 million से ज्यादा subscribers है।

Pranesh Jain, institute of chartered accountants of India के सदस्य हैं। वह भारत में जाने-माने वित्तीय डेटा विश्लेषक (financial data analyst), startup forensics और उचित परिश्रम सलाहकार (Diligence Advisor) हैं। उन्होंने 500 से ज्यादा funded startups के साथ काम किया और startups ecosystem का बहुत ज्यादा अनुभव लिया है। वह vc firms में angle निवेशक और venture partner हैं। इसके अलावा उन्होंने startup ecosystem और वित्तीय शिक्षा (financial education) पर 200 से ज्यादा sessions दिए हैं। अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि ये video कितना दमदार और उपयोगी है।

लेकिन यह video थोड़ा लंबा हो सकता है, क्योंकि इस किताब की सामग्री बहुत उपयोगी है। इसलिए video को अंत तक देखना जरूरी है और अगर आपको video पसंद आए तो आप इस किताब को विस्तार से जरूर पढ़ें। यह किताब हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में Amazon और Flipkart पर उपलब्ध है।

किताब को आसानी से समझने के लिए हमने इसके महत्त्वपूर्ण lenses को 12 अध्यायों में व्याख्या किया है।

तो चलिए शुरू करते हैं।

अध्याय 1. Startup के शुरुआती दिनों में company के share allotment में सावधानी

जब भी कोई company शुरू होती है, तो कई लोग उसमें शामिल होने और उसकी ownership के लिए अपनी दिलचस्पी दिखाते हैं। एक startup संस्थापक शुरुआती दिनों में यह नहीं सोचता कि भविष्य में उसके व्यवसाय की क़ीमत कितनी बढ़ेगी या क्या हो सकती है।

The Dark Side of Startups

उनकी चाहत सिर्फ यही होती है कि अच्छे लोग उनके साथ जुड़ें और इसी वजह से उनके लिए यह फैसला ज्यादा मुश्किल नहीं लगता। यहां सिर्फ एक चीज़ जोकि ठीक करने की जरुरत है, वो है उन shares की ownership जो वे देना चाहते हैं। क्या वे इसकी कोई लिखित (written commitment) दे रहे हैं? और अगर नहीं, तो जब वह इंसान company से बाहर जाना चाहेगा, तो उस समय क्या परिस्थिति (situation) सामने आएगी और वे इससे कैसे deal करेंगे

एक संस्थापक के लिए यह समझना जरूरी है कि startup के शुरुआती दिनों में, स्वामित्व (ownership) पूरी तरह से संस्थापक और सह-संस्थापक के पास ही रहना चाहिए। अगर आप किसी ऐसे इंसान को सह-संस्थापक बनाने के बारे में सोच रहे हैं जो आपका करीबी दोस्त या सहकर्मी (colleague) है, तो उनके साथ लिखित में agreement करना भी जरूरी है।

कुछ समय पहले, लेखक को एक funded startup में एक अजीब सी परिस्थिति का सामना करना पड़ा। एक संस्थापक ने informal commitments के आधार पर एक सहकर्मी को 2% equity share दिए थे। इस सहकर्मी को साथ मिलकर काम करना था और company के विकास में योगदान करना था। हालाँकि, महज दो महीने के अंदर ही उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए foreign जाना पड़ा। इस परिस्थिति में, verbal commitments के आधार पर, 2% equity share किसी ऐसे इंसान के पास चले गए, जिसने company में कुछ भी योगदान नहीं दिया था।

अब जब company की क़ीमत 7.5 crore पहुंच गई तो उस शख्स के shares की कीमत 15 लाख हो गई। यह हैरानी की बात है कि कैसे एक गलती की वजह से ऐसे परिणाम हो सकते हैं। हालाँकि संस्थापकों और company के पास legal options हैं, लेकिन यहाँ सवाल यह है कि क्या उनके पास ऐसे थका देने वाले प्रक्रिया के लिए जरूरी समय और पैसा है, इसलिए इसका ध्यान रखें।

अध्याय 2: उचित समझ के बिना fund raise करना और गलत क़ीमत पर funding round conduct करना

जब कोई startup fund raise करने का फ़ैसला लेता है, तो उन्हें, अपने startup की वित्तीय परिस्थिति, बाज़ार की क्षमता, विकास और निवेशकों को इससे मिलने वाली कीमत की ठीक समझ होना जरूरी है। नए startup संस्थापकों के लिए इन मुद्दों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।

कई बार हम सोचते हैं कि कैसे startup संस्थापक अपनी company कि मूल्यांकन के बारे में अपनी शर्तों पर फ़ैसला लेते हैं। आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे संभव है, लेकिन ये भारत है मेरे दोस्त, यहां सब कुछ संभव है। यह कैसे होता है यह समझने के लिए, आइए startup मूल्यांकन गणना (valuation calculations) के तरीकों का पता लागाते हैं।

किसी भी startup company का मूल्यांकन उसके भविष्य के cashflow के आधार पर registered valuers या merchant (bankers) के माध्यम से तय की जाती है। यहां, एक startup संस्थापक, company के अपेक्षित भविष्य को दिखाकर अनुदान (fund) इकट्ठा करते है और इससे छोटे startup, के लिए अनुदान इकट्ठा आसान हो जाता है।

हालाँकि, उन्हें शायद इस बात का एहसास नहीं है कि आज का समाधान, कल उनके लिए एक संकट बन सकता है, और वे भविष्य में होने वाले चुनौती से अनजान हैं। वर्तमान में, आप देखेंगे कि pre revenue stage, यानी व्यवसाय startup के शुरुआती अवस्था (stage) में भी, young entrepreneur 10 से 20 crore तक के मूल्यांकन पर अनुदान इकट्ठा कर रहे हैं। अब, आप पूछ सकते हैं कि अगर निवेशकों उन मूल्यांकन पर startups में पैसा लगा रहे हैं तो क्या गलत है? छोटे startup में, ऐसे लोगों का पैसा निवेश किया जा रहा है जिनके पास ठीक निवेशक मानसिकता नहीं है।

आमतौर पर, कुछ उपदेशक (mentors) या व्यक्तिगत contacts की सलाह के कारण, ये लोग startups में निवेश कर रहे हैं, और यह बुरी बात नहीं है। यहां हमारा बिंदु (point) startup संस्थापकों की तरफ है कि, गलत मूल्यांकन पर अनुदान इकट्ठा करने के बाद भविष्य में आपके लिए कहां दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं?

अब इस परिस्थिति को हमें एक उदहारण के जरिए समझने की जरूरत है। आइए एक startup संस्थापक के बारे में सोचें, जो एक company बनाता है और इसके सिर्फ 20 दिन बाद, 10 करोड़ की मूल्यांकन पर 20 लाख अनुदान लेता है। यह अनुदान उन्हें अपना उत्पाद विकसित करने में मदद करने के लिए है। लगभग 2 महीने के बाद, उत्पाद तैयार होता है, और कुल विकास लागत 15 लाख है। उन्होंने उत्पाद (product) बेचना शुरू कर दिया।

वे marketing और नई team बनाने पर काफी पैसे खर्च करते हैं। अब अगर sales अच्छी है और सब कुछ ठीक चल रहा है, तो वह कुछ समय में अनुमानित मूल्याकंन हासिल कर सकते है। लेकिन अगर sales अच्छी नहीं हुई, तो संस्थापक के लिए इतनी ज्यादा मूल्यांकन पर अनुदान इकट्ठा करना मुश्किल होगा। इस संदर्भ में, या तो उसे मूल्यांकन कम करना होगा, या अपनी व्यक्तिगत बचत (personal savings) को व्यवसाय में लगाना होगा। बाद वाला विकल्प एक जोखिम भरा निर्णय हो सकता है, क्योंकि यह सभी व्यक्तिगत बचत को ख़त्म कर सकता है और हो सकता है फिर भी मनचाहे परिणाम न मिलें।

अंत में, भले ही वे किसी bank से unsecured loan लेने के बारे में सोचें, लेकिन इस स्थिति का ठीक से समाधान नहीं हो सकता। यह स्थिति हमें सिखाती है कि दिखावे में न फंसे और अपने startup के लिए सही मूल्यांकन पर निवेशकों से fundraise करना जरूरी है। जरूरत पड़ने पर थोड़ी ज्यादा हिस्सेदारी (equity) छोड़ने की भी जरूरत हो सकती है, लेकिन गलत मूल्यांकन के साथ शुरुआत करने से आपको भविष्य में परेशानी हो सकती है।

संस्थापकों को अक्सर इसका एहसास तब होता है जब वे ऊंचे मूल्यांकन पर fund raise करते हैं और फिर अनुदान खर्च कर देते हैं, लेकिन वास्तविकता को बहुत बाद में समझ पाते हैं। संस्थापकों के लिए यह समझना जरूरी है कि ऊंचे मूल्यांकन पर fundraise की अल्पकालिक संतुष्टि (short term satisfaction), दीर्घकालिक चुनौतियाँ (long term challenges) का कारण बन सकती है।

अध्याय 3. एक लाभकारी व्यवसाय को छोड़कर startup शुरू करना

हमारे देश में ऐसे कई युवा लोग हैं जो अमीर परिवार से आते हैं और उनकी परिवार बहुत लाभदायक व्यवसाय में लगी हुई हैं। आजकल ऐसा लगता है कि देश का हर दूसरा इंसान startup शुरू करना चाहता है। जब वे college जाते हैं तो उन्हें startup से जुड़ी बातों के बारे में भी सिखाया और प्रेरित किया जाता है।

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ऐसे में कोई भी इंसान पुराने तरीकों से पारिवारिक व्यवसाय को जारी रखना पसंद नहीं करेगा, क्योंकि वहां उन्हें उतनी स्वतंत्रता नहीं मिलती जितनी वे अपने startup के जरिए हासिल कर सकते हैं। इसलिए, वे परिवार के लाभकारी व्यवसाय को छोड़कर, अपना खुद का startup शुरू करने के जुनून के साथ कड़ी मेहनत करते हैं। हालाँकि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेखक बताते हैं, उन्होंने कई सफल startup देखे हैं जहाँ युवा लोगों ने startup की दुनिया में अपने परिवार के लाभकारी व्यवसाय की एक नई पहचान बनाई है। यह जरूरी है कि अगर आप कोई startup शुरू कर रहे हैं, तो पहले उसे stable बनाने पर ध्यान दें, और फिर उसे profitable बनाएं।

किसी startup को बड़ा करने की होड़ में स्थिरता (Stability) और लाभकारिता (profitability) दोनों कारकों को न भूलें। कोई startup सिर्फ Unicorn बन जाने से सफल नहीं हो जाता; यह असल में तब सफल होता है जब यह अपने आप में स्थिर और लाभकारी बन जाता है। जहां से आपका startup अपने आप से बड़ा हो सकता है, उस दिन से समझ लें कि आपके सभी फैसले सही होंगे, चाहे उनमें निवेशक अनुदान शामिल हो या bank loan।

अध्याय 4. काम करने के बजाय startup शुरू करने का फैसला लेना

जब भी हम “काम” शब्द सुनते हैं, तो हम समाज के एक बड़े खंड (segment) की कल्पना करते हैं, जो सिर्फ इन काम से अपने पूरे परिवार को पालते है। आज भी ऐसे कई युवा लोग हैं जो किसी company में काम तो कर रहे हैं लेकिन startup शुरू करने के मौके भी लगातार ढूंढते रहते हैं। कुछ को मौका मिलता है और वे startup के लिए अपना काम छोड़ देते हैं।

कुछ काम करते हुए भी अपना startup शुरू करते हैं, जब तक कि उन्हें भरोसा नहीं हो जाता कि उनका startup अच्छा चल रहा है। देश में लगभग ऐसे कई startup हैं, जिनके संस्थापकों ने पहले काम की और फिर अपना startup शुरू किया। हालाँकि, ज्यादातर startup जो बंद हो गए हैं, उनके संस्थापकों को काम पर लौटना पड़ा। ऐसे संस्थापक भी हैं जिन्होंने नए startup फिर से शुरू किए हैं, और वे अभी भी startup की दुनिया में खुद को और अपने startup को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमारी राय में दोनों विकल्प बुरे नहीं हैं।

अगर आप फिलहाल काम कर रहे हैं और कुछ नया करने के लिए startup शुरू करना चाहते हैं तो बेशक startup की दुनिया में सभी रास्ते आपके लिए खुले हैं। इसका उल्टा, अगर आप startup जीवन से निराश हो गए हैं और अपने startup की सफलता को लेकर तनाव में हैं, तो आप हमेशा काम पर लौट सकते हैं। अब मुद्दा यह है कि कैसे समझें कि काम में बने रहना है, या startup पर switch करना है, या startup से काम पर वापस चले जाना है?

इसके लिए आपको यह देखने की जरूरत होगी कि क्या आपका वर्तमान काम आपको जीवित रहने की अनुमति दे रहा है। यह फ़ैसला खुद से लें और उसके अनुसार काम करें। अगर आप जानते हैं कि आपका उत्तरजीविता (survival) खतरे में है और फिर भी आप अपने startup की सफलता की उम्मीद में लगे रहते हैं, तो मेरी राय में, आप खुद को और अपने परिवार को मुश्किल में डाल रहे हैं। इसलिए नए startup को शुरू करने से पहले आपकी आय और बचत, अस्तित्व से ज्यादा या कम से कम उतनी होनी चाहिए।

अध्याय 5. निवेशकों को संस्थापकों में बदलना

यह एक चक्रव्यूह की तरह है जिसमें कई startup संस्थापक अक्सर फंस जाते हैं। आपने National TV एक प्रसिद्ध channel में भी इस तरह के episode देखे होंगे, जहां startup संस्थापकों ने निवेशकों को अपनी company में एक बड़ी हिस्सेदारी दी है, जिससे उन्होंने निवेशक को संस्थापक बना दिया, यानी company के अंदर सभी फैसले लेने का अधिकार दिया। आइये इसे करीब से समझते हैं।

Startup किसी भी संस्थापक के लिए एक उपलब्धि (achievement) है। सीधे शब्दों में कहें तो startup एक संस्थापक के संघर्ष की कहानी है, जो उन्हें कर्मचारी नहीं, बल्कि मालिक बनाती है। किसी भी startup में निवेशकों के अधिकार काफी सीमित हैं। हालाँकि निवेशकों को startups में स्वामित्व अधिकार मिलते हैं, लेकिन company के business operations में उनकी कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं होती है।

इसका मतलब यह है कि startup में संस्थापकों के पास व्यवसाय चलाने और बिना किसी रोक टोक के फ़ैसला लेने की पूरी स्वतंत्रता होती है। अगर आप अपने निवेशक को संस्थापक में बदल देते हैं, तो यह कहीं न कहीं फ़ैसला लेने की आपकी आज़ादी को सीमित कर सकता है। यह भी संभव है कि जिस मुख्य उद्देश्य के लिए आपने startup शुरू किया था, वह खो जाए और आप अपनी ही company में कर्मचारी बन जाएं।

कुछ साल पहले, Mumbai IIT के दो संस्थापकों ने एक innovative healthcare device company शुरू की थी। उन्होंने तकनीकी और स्वास्थ्य वस्तुएँ के संयोजन से एक अद्भुत उत्पाद बनाने के लिए बहुत मेहनत से काम किया। उन्होंने इस tool को विकास करने के लिए केवल कुछ ही angle निवेशकों से fundraise किया था। उत्पाद तैयार होने के बाद, company को उत्पाद के उत्पादन (production) और वितरण (distribution) के लिए पैसों की जरूरत थी।

इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए, उन्होंने अपना अगला funding round एक ऐसे निवेशक के साथ बंद किया, जिसे company में equity दी गई और वह सह-संस्थापक बन गया। निवेशक वित्तीय बहुत अच्छी स्थिति में था, उसने उत्पाद को समझने में छह महीने बिताए और इसकी market क्षमता को समझा। बाद में, निवेशक अपनी team के लोगों को company में लाया, जिन्होंने उत्पाद के उत्पादन में संस्थापक की मदद की और इस तरह संस्थापक के साथ रहकर अंदर की चीज़ों को समझा

एक साल के अंदर ही, निवेशक ने उत्पादन, वितरण और बाज़ार पर मजबूत पकड़ बना ली। इसके बाद, निवेशक ने company के अंदर टकराव पैदा करना शुरू कर दिया और संस्थापकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, निवेशक ने company का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और संस्थापकों पर इस हद तक दबाव डाला कि उनके पास अपने उत्तरजीविता के लिए company से इस्तीफ़ा (resign) देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

अध्याय 6. Startup में गलत निवेशक से अनुदान लेना

Startup में निवेशक एक angle की तरह होता है, जो startup का पालन ​​पोषण (nurture) करता है और उसे ऊंचाइयों तक ले जाता है। हालाँकि, उस angle निवेशक की तलाश करना भी किसी बड़े चुनौती से कम नहीं है। जब आप किसी startup में हों, तो यह समझना जरूरी है कि निवेश करना एक जोखिम भरा काम है।

The Dark Side of Startups Summary

संभव है कि निवेश की गई रकम खराब हो जाए या हो सकता है कि वे 100 गुना लाभ कमा लें। हर startup संस्थापक इस तथ्य से जागरूक है कि हर startup hit नहीं होगा। अगर आप किसी निवेशक को अपनी company में पैसा लगाने के लिए मना रहे हैं, तो आपके लिए उनकी मानसिकता को समझना जरूरी है। क्या उन्होंने पहले भी निवेश किया है? क्योंकि अगर उन्हें निवेश के जोखिम के बारे में पता है, तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अगर उन्हें निवेश करने की अच्छी समझ नहीं है, तो इससे आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है।

अगर आपका startup उनकी अपेक्षाएं (expectation) के अनुसार लाभकारी परिणाम उत्पन्न करने में काबिल नहीं होगा, तो कुछ समस्या पैदा हो सकती है। बहुत सारे startup और संस्थापक ऐसी ही परिस्थिति से गुज़रे हैं, जहां उन्होंने उन निवेशकों से निवेश ले ली, जिनका निवेश मानसिकता (investment mindset) नहीं था।

यही वजह थी कि बाद में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। कई बार ये निवेशक सिर्फ अपना पैसा वापस पाने के खातिर संस्थापकों को काम नहीं करने देते। बहुत से निवेशक, संस्थापक के साथ दुर्व्यवहार करते हैं जिससे उनकी कार्य क्षमता में समस्या आती है और अंत में startup को बुरी तरह नुकसान उठाना पड़ता है।

अध्याय 7. किसी Startup में चल रहे नुकसान के बावजूद निवेश जारी रखना

देश के लगभग 80% unicorn startup अभी भी लाभ में नहीं हैं। यह startup ecosystem इस तरह से विकास हुआ है, कि किसी startup की मूल्यांकन के लिए लाभप्रदता (profitability) एक जरूरत नहीं है, जो संस्थापकों के लिए एक benchmark के रूप में काम करता है। किसी company की मूल्यांकन अलग-अलग कारक पर निर्भर करती है। यहां तक कि जो startup शुरुआत से ही नुकसान में चल रहे हैं, उन्हें भी उम्मीद है कि एक दिन वे अपने startup को unicorn में बदल सकते हैं।

इसी उम्मीद में चलते रहने से startups को दूसरे कारकों के साथ-साथ अपनी मूल्यांकन बढ़ाते समय, नुकसान उठाते रहना होगा। अब, अगर अनुदान का प्रवाह चलता रहता है, तो आप funding round खेलते-खेलते अपनी company को unicorn में बदल सकते हैं। हालाँकि, अगर unicorn का status हासिल करने से पहले या बाद में अनुदान खत्म हो जाती है, तो आपके पास तीन विकल्प हैं।

पहला विकल्प, अपनी company के लिए buyout करना है। दूसरा विकल्प, अपनी company के लिए IPO (initial public offering) निकालना है। तीसरा विकल्प, company को बंद करने का है। मजेदार बात यह है कि startup शुरू करने से लेकर unicorn बनने तक और unicorn बनने के बाद भी आपके लिए जोखिम की कोई कमी नहीं है।

हालाँकि, इन सबके बीच आपको एक संस्थापक के रूप में company से अच्छी वेतन मिलती है, जो आपको उत्तरजीविता के तनाव से दूर रखती है। असली पैसा तब बनता है जब आपके रास्ते पहले विकल्प या दूसरे विकल्प के लिए खुलते हैं। अब आप समझ गए होंगे कि startup संस्थापक घाटे में startup चलाने का जोखिम क्यों उठाते हैं, इसलिए ताकि company grow होने पर उन्हें shares से अच्छा लाभ हो।

अध्याय 8. मुख्य उत्पाद और सेवाएं पर ध्यान केंद्रित करें

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ज्यादातर startup को funding मिलने के बाद उनका ध्यान भटक जाता है और वे समझ नहीं पाते कि startup बनाने के पीछे उनका उद्देश्य क्या था। यह सब भूलकर वे अपनी company और उत्पाद/सेवा को सिर्फ एक brand के रूप में बेचने की कोशिश करते हैं, इससे उनका ध्यान भटक जाता है।

जब किसी startup के पास कई उत्पाद/सेवा (product/service) हों, तो उन्हें मुख्य उत्पाद/सेवा पर ध्यान देना चाहिए और उसकी गुणवत्ता में सुधार पर काम करना चाहिए, ताकि कोई दूसरा उत्पाद/सेवा या brand बाजार में उसका मुकाबला न कर सके। यही वह चीज़ है जो आपके startup को बाज़ार में Unique Selling Proposition (USP) देती है। कई औसत गुणवत्ता वाले उत्पाद/सेवा के साथ बाज़ार में आने से बेहतर है कि एक उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद/सेवा बनाया जाए।

अध्याय 9. Startup शुरू करने के लिए ज़रूरी चीज़ें

इसके लिए सबसे पहले आपको इन प्रक्रिया से गुज़ारना होगा :

  1. विचार (Idea): सबसे पहले आपके पास व्यवसाय के ideas होना चाहिए। अपने startup की तैयारी करने और उस पर काम करने से पहले, अपने विचार को पूरी तरह से मान्य (validate) जरूर करें, कि क्या सच में उसकी बाज़ार में मांग (demand) है ? इस तरह से, जब आप किसी विचार पर काम करना शुरू करते हैं, तो आप ज्यादा मजबूत business model के साथ बाज़ार में प्रवेश करने के लिए तैयार होंगे।
  2. योजना एवं क्रियान्वयन (Planning & Execution): इस स्तर पर आपको जरूरी कार्यों को करने की जिम्मेदारी सौंपनी होगी और इसी के साथ बाज़ार की मांग का ध्यान रखना होगा। अगर आपका उत्पाद विकास (product development) सही ढंग से नहीं किया गया है, तो आप अपने आप को जल्द ही startup की दौड़ से बाहर पाएंगे। आपको इसके बारे में उत्पाद का परीक्षण करना (product testing) और बाज़ार की प्रतिक्रिया से पता चल जायेगा।
  3. राजस्व उत्पत्ति (Revenue Generation) : इस स्तर पर company की sales strategy को बनायें। ध्यान दें जितना ज्यादा हो सके उतने विभिन्न आय स्रोत बनायें।
  4. Funding का दौर (Funding Round) : Startup के अलग-अलग चरण में अलग-अलग स्तर पर अनुदान ली जाती है। उदाहरण के लिए, किसी company के शुरुआती दिनों में, angle निवेशक अनुदान देते हैं। राजस्व चरण (revenue phase) में, company को super angle या कुछ पारिवारिक कार्यालय वित्त पोषण मिल जाती है। जैसे ही company सफलतापूर्वक अपनी व्यापारिक यात्रा शुरू करती है और अच्छे आय के साथ आगे बढ़ती है, venture capitalists (VC) companies के उत्पाद बाजार के अनुसार और business model को ध्यान में रखते हुए अनुदान देने में दिलचस्पी दिखाती हैं। Unicorn बनने की दिशा में यात्रा यहीं से शुरू होती है।
  5. Exit Strategy : एक startup संस्थापक तब सफल नहीं होते जब उसे अनुदान मिल जाती है; बल्कि, एक startup संस्थापक तब सफल होते है जब वह सही समय पर startup से बाहर निकलते है और उससे पैसा कमाते है। Startup संस्थापक के लिए अपनी Exit Strategy की planning करना जरूरी है। एक ठीक से बनायीं हुई Exit Strategy से न सिर्फ संस्थापक को फायदा होता है बल्कि निवेशकों को भी अच्छा परिणाम मिलता है।

आम तौर पर, startup में, संस्थापक या निवेशकों के पास बाहर निकलने के लिए यह विकल्प होते हैं:

  • Acquisition: Startup को ऐसी बड़ी company को बेचना जो startup की तकनीक, उत्पाद और ग्राहक के आधार (customer base) में अच्छा लाभ देखती हो।
  • IPO (initial public offering): Stock Exchange पर अपने shares को list करके startup को public करना। इससे निवेशकों को public market में अपने share बेचने की अनुमति मिलती है।
  • Merger: ज्यादा असरदार (effective) ढंग से तालमेल बनाने या पैमाना (scale) करने के लिए startup को किसी दूसरी company के साथ merge करना।
  • Management Buyout (MBO): Startup को अपनी प्रबंधन team को बेचना, जिससे संस्थापक और कुछ कर्मचारी को नियंत्रण लेने की अनुमति मिलती है।
  • Liquidation: व्यवसाय को बंद करना और उसके संपत्ति (assets) को बेचना।
  • Private Equity Buyout: Startup को एक ऐसी Private Equity firm को बेचना, जो इसकी मूल्यांकन बढ़ाना चाहती है और फिर इसे ज्यादा कीमत पर बेचना चाहती है।

अध्याय 10. भारत में एक company को पंजीकृत (register) कैसे करें

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भारत में एक company को register करने के लिए, आपको कई stages का अनुसरण (follow) करना होगा और अलग-अलग औपचारिकताओं (formalities) पूरी करनी होंगी। यहां इस प्रक्रिया का एक आसान सा अवलोकन (overviews) दिया गया है:

  • यह तय करें कि आप किस तरह की company को पंजीकरण करना चाहते हैं। सामान्य विकल्प में private limited company, public limited company, Limited Liability Partnership (LLP) आदि शामिल हैं।
  • डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र लें
  • निदेशक पहचान संख्या लें
  • नाम आरक्षण (Name reservation): अपनी company के लिए एक अद्वितीय नाम चुनें और MCA portal पर SPICe Part A, सेवा के माध्यम से नाम आरक्षण के लिए आवेदन करें।
  • दस्तावेज़ का अनुबंध तैयार करें: Memorandum of Association (MOA) और Articles of Association (AOA) सहित आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें। ये दस्तावेज़ company के उद्देश्यों, नियमों और विनियमों की व्याख्या करते हैं।
  • निगमन दस्तावेज़ (incorporation documents) भरें: एक बार नाम स्वीकृत हो जाने के बाद, MCA portal पर SPICe (electronic रूप से company को शामिल करने के लिए सरलीकृत प्रोफार्मा) form से MOA, AOA और अन्य आवश्यक form सहित निगमन दस्तावेज़ भरें और पैसा जमा करें। Company की अधिकृत पूंजी और अन्य कारकों के आधार पर आवश्यक stamp शुल्क और अन्य निगमन शुल्क जमा करें।
  • निगमन का प्रमाण पत्र (certificate of incorporation) : एक बार जब MCA आपके आवेदन और दस्तावेजों को संसाधित कर लेता है, तो आपको निगमन का प्रमाण पत्र मिल जाएगा। यह आपकी company के आधिकारिक पंजीकरण का प्रमाण है।
  • PAN card लागू करें
  • एक बैंक खाता खोलें
  • अनुपालन (compliance) और पंजीकरण: पंजीकरण के बाद, विभिन्न कानूनी और नियामक आवश्यकताओं, जैसे माल और सेवा कर GST पंजीकरण, यदि लागू हो, और किसी भी अन्य आवश्यक license या permit का अनुपालन सुनिश्चित करें।

अध्याय 11. Company के incorporation के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ (documents)

  • निदेशक पहचान संख्या (DIN)
  • डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (DSC)
  • मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MOA)
  • एसोसिएशन के लेख (AOA)
  • पंजीकृत कार्यालय का प्रमाण
  • पहचान पत्र का प्रमाण
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • सहमति की घोषणा
  • फॉर्म डीआईआर-2 और डीआईआर-8
  • अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC)
  • उपयोगिता बिल
  • PAN Card
  • व्यवसाय प्रारंभ करने की घोषणा (फॉर्म INC-20A)

अब आप तय कर सकते हैं कि आप किस प्रकार की company का पंजीकरण कराना चाहते हैं, एकल स्वामित्व, साझेदारी firm या सीमित देयता भागीदारी। उनके अपने फायदे और नुकसान हैं, जिनका विवरण इस पुस्तक में है।

अध्याय 12. Startup का business model

Startup model कई तरह के होते हैं। लेखक ने इस किताब में 20 से ज्यादा business model बताए हैं। हम यहां सिर्फ़ कुछ ही महत्वपूर्ण business model को चर्चा करेंगे।

  1. Freemium business model : (Freemium = free + premium), Freemium model में, users को किसी software, game या service की basic services का मुफ़्त में इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाती है, जिससे उन्हें जानने और अपने साथ जुड़ने के लिए उत्साहित किया जाता है। कुछ समय के बाद, उपयोगकर्ताओं उपयोगकर्ता (users) को “Upgrade” करने और अतिरिक्त या उन्नत विशेषताएँ (advanced features) पाने के लिए पैसे जमा करने का विकल्प दिया जाता है। उदाहरण – Gmail, Google Drive, iCloud etc.।
  2. Subscription business model: Subscription business model में customers को regular subscription fees के बदले recurring आधार पर उत्पाद या सेवा देना शामिल है। उम्मीद के मुताबिक और stable revenue streams उत्पन्न करने के अपने क्षमता के कारण इस model ने अलग-अलग industries में काफ़ी लोकप्रियता (popularity) हासिल की है। उदाहरण : Amazon Prime, Netflix and Spotify।
  3. Marketplace business model: Marketplace business model में एक ऐसा platform बनाया जाता है जहां buyer और seller connect कर सकते हैं और transaction कर सकते हैं। इस model में, marketplace operator इन interaction को आरामदायक बनाता है और commission, listing fees या सदस्यता शुल्क (membership fee) जैसे अलग-अलग तरीकों से आय उत्पन्न करते हैं। उदाहरण – Flipkart, Snap Deals, Amazon।
  4. Aggregator business model : Aggregator business model में एक ऐसा platform बनाया जाता है जो अलग-अलग sources से information, products या services को इकट्ठा करके उन्हें combine और आसान तरीके से उपयोगकर्ताओं के सामने दिखता है। Aggregator platform, service provider तक पहुंच को अच्छी तरह establish करके customer की जिंदगी में value add करते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को निर्णय लेने में मदद मिलती है।उदाहरण : Ola Taxi, Uber, AirBnB, Rapido।
  5. Pay-as-you-go business model – Pay-as-you-go business model, जिसे use-based या consumption-based model के रूप में भी जाना जाता है, इसमें ग्राहकों को उत्पादों के लिए भुगतान करना शामिल है। यह model उपयोगकर्ताओं (users) को flexibility प्रदान कराता है, जिससे उन्हें fixed plans या contracts के लिए Committed होने के बजाय सिर्फ उनके उपयोग के लिए भुगतान करने की अनुमति मिलती है। उदाहरण : Amazon Web Service (AWS)।

निष्कर्ष

तो दोस्तों, यह The Dark Side of Startups किताब की summary है, जिसमें लेखक startup से संबंधित सभी चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करते है। इस पुस्तक में कुल 39 अध्याय हैं, हमने इसके सारांश में 12 अध्यायों को शामिल किया है। बाकी अध्यायों के लिए आपको इस किताब को विस्तार से पढ़ना चाहिए।

इसमें आप यह भी जानेंगे कि startup fund का उपयोग कैसे करें, Unicorn Startup और बड़े startup की वास्तविकता क्या है, startup में विषाक्त संस्कृति से कैसे बचें, startup संस्थापक आपकी निजी जिंदगी कैसे खराब करते हैं, अगर निवेशक अपना निवेश खो दें तो क्या करें। मैं प्रतिबद्धता से सदैव दूर रहूँगा।

मतलब शुरुआत से लेकर अंत तक बाकी सारी जानकारी आपकी किताब में मिल जाएगी। Startup में रुचि रखने वालों के लिए यह एक संपूर्ण पुस्तक है। तो अभी इस किताब को विवरण में दिए गए link से खरीदें और इसे विस्तार से समझने का प्रयास करें। इस किताब से आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिलेंगे।

The Dark Side of Startups किताब की समीक्षा

Arvind Arora और Pranesh Jain आपको इस glamourous Startup sector की insights और internal बात बताते हैं। किसी company को कैसे register किया जाए, इसके details से लेकर इसे आगे funding कैसे किया जाए ताकि यह एक Unicorn बन सके, इन दोनों लेखकों ने यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि इस किताब के पाठकों को अंदर और बाहर की सभी बातें पता चले।

यह किताब अपने पाठकों के लिए Startup जगत के अधिकांश छिपे रहस्यों को उजागर करती है और minute details को समझने में बहुत प्रभावी है।

हालाँकि, किताब में एक spcific क्षेत्र है जो कई पाठकों के लिए रूचि का विषय नहीं हो सकता है। लेकिन, जो इस Startup culture में खुसना चाहते है या समझना चाहते है, उसके लिए यह किताब सोने की खान साबित होगी।

धन्यवाद।

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2 thoughts on “The Dark Side of Startups (हिन्दी)”

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