Be Your Own Sunshine

Be Your Own Sunshine (हिन्दी)

“Be Your Own Sunshine” James Allen द्वारा चार किताबो का एक संग्रह है जो positive thinking की शक्ति को channelize करने और हमारे विचारों की inner world के बीच संतुलन बनाने के लिए मन और उसकी infinite energies को कैसे , क्यों और क्या का solution करता है। बाहरी दुनिया के खिलाफ यह किताब आपके सोचने के तरीके पर आपको बहुत मदद करती है।

जेम्स एलन 17 mins read Read in English Self Improvement Life Lessons Productivity

आज की summary आपके लिए बहुत बड़ी offer लायी है। आपने काफी सारी जगह पर सुना होगा कि एक खरीदें, एक मुफ्त पाएं। लेकिन यहां पर आज हम आपको दे रहे हैं एक खरीदो, तीन मुफ्त पाओ। हम यहां कुछ बेच नहीं रहे हैं। बस आपको ये बात रहे हैं, कि आज हम एक ऐसी किताब के बारे में बात करने वाले हैं, जिसमे James Allen की चार blockbuster किताबों को एक साथ बताया गया है। इसका नाम है Be Your Own Sunshine।

वो चार किताबें हैं – As A Man Thinketh, From Passion To Peace, Man: King of Mind, Body and Circumstances, Foundation Stones to Happiness and Success।

किताब 1: As A Man Thinketh

Be Your Own Sunshine

1. हमारे विचार और चरित्र

मनुष्य वस्तुतः वही है जो वह सोचता है, उसका चरित्र उसके सभी विचारों का पूर्ण योग है। जैसे एक पेड़, बीज से निकला है, तो इंसान का हर एक act, विचारों के चुपे हुए बीज निकालता है और ये act बिना विचारों के संभव ही नहीं है। ये उन  acts के लिए भी होता है जिनहे ” spontaneous ” कहा जाता है। Act विचारों का blossom है, और खुशी और दुख इसके फल हैं, तो इंसान अपने garden में फूल खुद उगाता है ।

एक नेक और भगवान जैसा character कोई एहसान या मौका का मामला नहीं है, बल्कि वो लगातार सही सोचने का एक नतीजा है। उसी तारिके से एक बुरा character बुरे विचारों का परिणाम है। सही पसंद और सही विचार से, इंसान divine perfection की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। और विचार के गलत application से वो राक्षस से भी नीचे गिर जाता है ।

एक इंसान ताकात, intelligence और प्यार से भरा और अपने विचार का भगवान है, इसके लिए उसके पास हर एक situation की चाबी होती है और एक ऐसी energy होती है, जिससे की वो अपने आपको जैसा चाहिए वैसा बना सकता है।

2. अब जानते है हमारे विचार का हमारे हालात पर क्या असर पड़ता है

इंसान का दिमाग एक garden जैसा है, जिसे intellegntly उगाया भी जा सकता है, ये जंगली बनने के लिए छोड़ा भी जा सकता है, लेकिन इन दोनों में से जो भी हो, फायदा या नुक्सान तो इंसान का ही है। अगर कोई भी काम के बीज दिमाग में नहीं डाले गए, तो बहुत सारे बेकार के weeds वहां पर अपने आप उग जाएंगे और अपने जैसे और भी produce करने लगेगें।

जैसे एक माली अपने plot को उगाता है। उसे सारे weeds से दूर रखता है, और अच्छे फूल और फल उगाता है, उसी तरह हमें भी अपने दिमाग में से सारे गंदे weeds यानि अशुद्ध विचार निकलने होंगे और फूल और फल यानि शुद्ध विचार उगाने होंगे। ऐसा करके आपको ये पता चलेगा, कि इंसान अपनी आत्मा का master माली है और अपनी जिंदगी का director है ।

इंसान तब तक अपनी हालत में उलझा रहता है, जब तक वो ये मानता है, कि वो बाहरी परिस्थितियों का creature है। लेकिन जब वो ये realize करता है, कि उसके पास सारी creative power है और वो अपनी परिस्थितियों को control करता है, तो वो अपना सही master बन जाता है।

हर एक विचार के बीज, जिसे दिमाग में जाने दिया गया हो या खुद डाला गया हो, वो अपनी जड़ें वहां बनाना शुरू करता है और अपने तारिके के और produce करता है। यानि आपके विचार आपके अवसर और परिस्थितियों को नियंत्रित करते हैं।

अच्छे विचार अच्छे आते हैं; बुरे विचार बुरे फल देते हैं। अच्छे विचार और अच्छे कार्य कभी भी बुरे परिणाम नहीं उत्पन्न करते, बुरे विचार और बुरे कार्य कभी भी अच्छे परिणाम नहीं उत्पन्न कर सकते। ये बात तो सभी लोग जानते हैं, कि अगर आप आम का पेड़ लगायेंगे तो आपको सेब नहीं मिलेंगे, लेकिन बहुत कम लोग इसे mental और moral दुनिया में समझते हैं। और इसलिए बहुत काम लोग इसके साथ काम करते हैं ।

3. अब जानते है हमारे विचार का हमारी सेहत और शरीर पर क्या असर पड़ता है

शारीर दिमाग का servant है। वो दिमाग के सारे operations को मानता है, चाहे उन्हें सोच समझ कर चुन लिया गया हो या automatically express किया गया हो। गलत विचार की वजह से शरीर में बीमारी बहुत तेजी से आती है। अच्छे विचार की वजह से वो जवानी और सुंदरता से भर जाती है।

बीमारी और सेहत, हालात जैसे, विचारों से आते है। बीमारी के विचार अपने आपको बिमार body के जरिये express करते हैं। जो लोग बीमारी के डर में रहते हैं, वो वही लोग हैं जिन्हे वो बिम्मरी होती है ।

Tension पूरी body को तोड़ सा देती है और उससे बीमारी के लिए खुला छोड़ देती है। मजबूत, शुद्ध और खुशी के विचार, शरीर को बनाते हैं। Body एक नाज़ुक और plastic instrument है जो बहुत जल्दी विचार पर प्रतिक्रिया करती है। अब वो विचार अच्छे हो या बुरे, body तो उन्हीं के तरह से respond करती है।

एक साफ दिमाग से एक साफ जिंदगी और साफ body आती है। एक बुरे और गंदे दिमाग से एक बुरी और corrupt body आती है। Diet में बदलाव उस इंसान को मदद नहीं करेगा, जो कि अपने विचार नहीं बदलेगा। जब एक इंसान अपने विचार को शुद्ध करता है तो वो automatically अशुद्ध खाने को चाहना छोड़ देता है। साफ विचार साफ आदतें बनाती है।

लेखक कहते हैं, कि वो एक ऐसी औरत को जानते हैं, जो कि 96 साल की हैं और उनके पास bright और मासूम चेहरा है, बिल्कुल जवान लड़कियां जैसा ।

वो ये भी कहते हैं, कि वो एक आदमी को जानते हैं जो मध्यम आयु के हैं, लेकिन उनका पूरा चेहरा dull और सुस्त हो गया है। एक परिणाम है मधुर और अच्छे विचार का, वही दूसरा परिणाम है असंतोष का। जैसे आपके कमरे में तब तक साफ हवा नहीं हो सकती, जब तक आप खिड़की और दरवाजे को ना खुले और हवा को आने दें, वैसे ही आपके पास एक चमकदार चेहरा और मजबूत body तब तक नहीं हो सकती है, जब तक आप खुशी और goodwill के विचार अपने दिमाग में ना आने दें।

4. हमारे विचार और उद्देश्य

जब तक सोच को मकसद से link ना किया जाए, तब तक कोई intelligent accomplishment है ही नहीं। जिन लोगों के पास जिंदगी में कोई central उद्देश्य नहीं होता, वो लोग चिंताएं, डर और परेशानियां में आसनी से फस जाते हैं, जो कि उनको निराशा और नुकसान की तरफ ले कर जाता है।

एक इंसान को अपने दिल में एक legitimate मकसद रखना चाहिए और उसे पाने की कोशिश करनी चाहिए। इस उद्देश्य को अपने विचारों का केंद्रीय बिंदु बनाना होगा।

ये उद्देश्य एक आध्यात्मिक विचार हो सकता है या कोई भौतिकवादी चीज हो सकती है, चाहे वो जो भी हो, आपको अपने विचारों को उस पर ध्यान केंद्रित करना है। आपको इस उद्देश्य को अपना सर्वोच्च कर्तव्य बनाना चाहिए और उस पार काम करना चाहिए और अपना समय फालतू की चीजों पर बर्बाद नहीं करना चाहिए ।

 Be Your Own Sunshine Book

ये self control और विचार के सही concentration की royal road है। अगर आप उस उद्देश्य को पूरा करने में विफल भी हो जाते हैं, तब भी कोई समस्या नहीं है क्योंकि आपको ताकत मिलेगी, वही आपकी सच्ची सफलता है और आप एक नए point से फिर से शुरू कर पाएंगे।

अपना उद्देश्य तय करने के बाद, आपको उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मानसिक रूप से एक रास्ता बनाना होगा, न तो बाईं ओर और न ही दाईं ओर देखना है । शक और डर को पूरी तारिके से हटाना है क्योंकि वो ऐसे तत्व हैं जो आपके प्रयासों को तोड़ देते हैं। शक और डर से कभी कुछ हासिल नहीं हुआ और ना ही कभी होगा ।

वो हमेशा failure तक ली कर जाते हैं। उद्देश्य, ऊर्जा और मजबूत विचार, ये सब टूट जाते हैं जब संदेह और डर आता है। किसी चीज को करने की चाह हमें knowledge से आती है, कि हम उसी चीज को कर सकते हैं, लेकिन शक और डर knowledge के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

जो शक और डर को जीत लेता है, वो असफलता को भी जीत लेते हैं। ऐसे इंसान के सारे विचार ताकत से जुड़े होते हैं और सारी मुश्किलों को समझ से पार कर लिया जाता है।

5. अब हम बात करेंगे कुछ भी पाने के लिए विचार कितना जरुरी है

जो भी कुछ इंसान हासिल करता है और जो भी कुछ वो हासिल करने में विफल होता है, वो सीधा परिणाम है उसके विचारो का। एक आदमी की कमजोरियां और ताकत, पवित्रता और अशुद्धता, उसी की है, ना की किसी और की; और ये उसी ने लायी हैं । उसकी हालत भी उसी की है, और ना ही किसी और की।

उसकी पीड़ा और उसकी खुशी अंदर से आती है, बहार से नहीं। जैसा वो सोचता है, वैसा वो बनता है। एक इंसान तभी ऊपर उठ सकता है और हासिल कर सकता है, जब वो अपने विचारों को उठाता है। वो अपने विचारों को उठा ना करके, सिर्फ कमजोर और दयनीय ही रह सकता है।

Universe लालची, झूठे लोगो को favour नहीं करता है, भले ही ऊपर से देखने में ऐसा लग सकता है; बल्कि साच है कि वो अच्छे लोगो की मदद करता है। युगों के सारे teachers ने इसे अलग अलग तरीके से declare किया है, और इसे जाने और proof के लिए, एक इंसान को और सच्चा बनाना पड़ेगा और अपने विचारों को ऊपर उठाना होगा। सारे achievements, चाहे business में हो, intellectual या spiritual दुनिया में हो, सब directed thoughts का ही result है। वो एक ही कानून में काम करते हैं और तरीका भी वही है, फर्क है तो बस पाने वाली चीज का ।

आप चाहें तो इस website पर As A Man Thinketh की पूरी summary पढ़ सकते हैं।

किताब 2: From Passion to Peace

1. सबसे पहले जुनून (passion)

Passion इंसान की जिंदगी का lowest level है। कोई भी इससे नीचे नहीं जा सकता है। वासना, गुस्सा, अभिमान, लालच, बदला, झूठ बोलना, चोरी करना, जलना, ये सब passion के बल हैं। इस अंधेरी दुनिया में गलत लोग जीते हैं और मरते हैं। वो लोग ना ही शुद्धता की शांति को जान पाते हैं और ना ही उस divine light की खुशी को enjoy कर पाते हैं, जो उनके ऊपर हमेशा shine करती है। लेकिन समझदार लोग ऊपर देखते हैं। वो passion world से संतुष्ट नहीं होते। वो शांति की ऊपर की दुनिया की तरफ अपने पैर बढ़ाते हैं।

कोई भी passion से नीचे नहीं गिर सकता, लेकिन सब ऊपर उठ सकते हैं। इस सबसे निचली जगह पर, जहां और नीचे गिरना impossible है, यहां से जो भी आगे जाने का try करता है, वो आगे ही जाता है। ये रास्ता हमेशा हाथों में है और आसनी से सुलभ है। यहां पर उस बंदे ने अपने आप entry कर ली है, जिसने मतलबीपन को ना बोल दिया है और जो अपने दिमाग के elements को control करने का try कर रहा है।

अगर आप बिना passion के शुरू करेंगे, तो आपके पास कोई power ही नहीं होगी। Passion power को represent करता है, लेकिन अगर power को misdirect किया जाए, तो power खुशी के बजाए दुख पहुंचाती है। Passion एक gate है, जो कि स्वर्ग के gate को guard करता है। वो मुर्ख लोगो के लिए बंद हो जाता है और समझदार लोगो को जाने देता है।

अब आप सोच रहे होंगे, मुर्ख और समझदार लोगो में क्या फर्क है। मुर्ख वो है जो अपने विचारों का गुलाम है और जो passion के आवेगों में फसा रहता है। समझदार वो है जिसे अपने अज्ञान होने का पता है, जो मतलबी विचारों के खालीपन को समझता है और जो passion के आवेगों को master कर लेता है।

2. आकांक्षा (aspiration)

अपने अज्ञानता को पूरे तारिके से जानने से आत्मज्ञान की इच्छा आती है, और तब दिल में जन्म लेती है आकांक्षा । आकांक्षा के पंखों में, इंसान धरती से स्वर्ग में उठता है, अज्ञान से ज्ञान में उठता है, और यहां से रोशनी की तरफ move करता है। आकांक्षा का मतलब स्वर्ग की चीजों को चाहना होता है, जैसे करुणा, पवित्रता, प्यार। और इच्छा का मतलब होता है, धरती की चीजों को चाहना जैसे स्वार्थी संपत्ति, व्यक्तिगत प्रभुत्व और कामुक संतुष्टि (sensual gratifications)।

जैसे बिना पंख के कोई पक्षी उड़ नहीं सकता, वैसे ही बिना आकांक्षा के कोई भी इंसान अपना परिवेश से ऊपर नहीं उठ सकता। वो अपने passion का गुलाम है और events के बदलने से, उसका मान उथल पुथल होता है। आकांक्षा का मतलब है कि एक इंसान अपने low status से असंतुष्ट है और एक higher condition चाहता है। आकांक्षा सारी चीज़े संभव करता है। वो उन्नति और खुशी के सारे दरवाजा खोल देता है ।

3. प्रलोभन (temptation)

आकांक्षा एक इंसान को स्वर्ग में ले कर जा सकता है, लेकिन वहां पर रहने के लिए उसे अपने दिमाग को स्वर्ग की स्थितियों की आदत दिलानी पड़ती है। प्रलोभन यही काम करता है। प्रलोभन का मतलब है आकांक्षा से इच्छा पर वापस जाना। ये तब तक आकांक्षा को डराता है, जब तक एक ऐसा बिंदु नहीं आ जाता, जब इच्छा शुद्ध ज्ञान के पानी में पूरी तारिके से डूब जाए। सफलतापूर्वक जीतने के लिए, एक इंसान को बुरे से बाहर आना होगा और अपने आपको present करना होगा ।

और प्रलोभन की वजह से ही एक इंसान का बुरा बाहर आता है। आकांक्षा का मतलब होता है, कि एक इंसान ने कम से कम ऊपर उठने का एक कदम लिया है, और इसलिए वो पीछे भी आ सकता है। ये backward attraction का मतलब temptation होता है। प्रलोभन के तत्व अशुद्ध विचारों में होते हैं।

4. श्रेष्ठता (transcendence)

जब एक इंसान temptation की dark stage को पार कर लेता है, तो वो एक संत बन जाता है। एक संत वो है, जो self purification चाहता है, जो self purification के रास्ते को समझता है और जो अपने आप को perfect करने में लगा रहता है। लेकिन बुरा काम होने और अच्छाई को अंदर लेने की वजह से, एक ऐसा समय आता है, जब दिमाग में एक नया vision, एक नई चेतना और आखिरकार वो एक नया इंसान बनता है ।

जब ये हासिल होता है, तो एक संत sage बन जाता है। यानि वो इंसानी जिंदगी से divine जिंदगी में पास हो जाता है। वो “फिर से जनम” लेता है और उसके लिए experiences के नए रास्ते शुरू होते हैं।

उसके पास एक नई पावर होती है और उसके लिए एक पूरा universe खुल जाता है। ये transcendence की stage है, जैसे लेखक transcendent जिंदगी कहते हैं। जब tension, doubt और परेशानी खत्म हो जाती है; जब वासना और गुस्सा, विचार में भरे नहीं होते। जब एक इंसान अपनी हालत के लिए किसी और को दोष नहीं देता है, और जब सारे स्थितियों को अच्छा समझ जाता है, क्योंकि वो कारण का परिणाम है, तब transcendence पाई जाती है।

तब limited personality बाहर आती है, divine जिंदगी को जाना जाता है, और एक इंसान बुरे से ऊपर उठता है और सब में अच्छाई देखी जाती है। Divine consciousness, इंसान का एक intensification नहीं है, बल्कि ये चेतना का एक नया रूप है। Transcendent जिंदगी passion से नहीं, बल्कि principles से जी जाती है।

उसमें एक इंसान impulses में नहीं फसा रहता है, बल्कि कानूनों का पालन करता है। जब एक इंसान passion में शामिल रहता है, तब वो अपने आप को काफी चीजों पर burden करता है, लेकिन एक transcendent जिंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं है। उसमें व्यक्तिगत हित, universal उद्देश्य की जगह हो जाते हैं।

5. धन्यता (beatitude)

जब divine अच्छाई अभ्यास की जाती है, तो जिंदगी खुशी से भर जाती है। खुशी एक अच्छे इंसान की normal condition है। बाहर के हालात, परेशानियां, जो कि दूसरे लोगो को suffering ला कर देते हैं, वो उसकी खुशी को और ज्यादा बढ़ाते हैं, जिसकी जिंदगी खुशी से भरी है। Human virtue खुद से भरी है, इसलिए उसमे दुख है। लेकिन divine virtue में से दुख हट जाता है और जिंदगी में सिर्फ खुशी भरी होती है। तो वो कौन से transcendent गुण हैं जिनके अंदर खुशी और आनंद है? वो हैं:

निष्पक्षता: इंसानी दिल और इंसानी actions में, इतना ज्यादा गहराई से देखना, जिससे एक इंसान की या एक party के साथ side लेना असंभव हो जाये।

असीमित दयालुता सारे लोगो के लिए, जीवों के लिए, चाहे दुश्मन हो या दोस्त।

हर वक्त और सारे हालात में Perfect Patience सा। दिमाग की stainless शुद्धता; इसका मतलब सारे बुरे विचार और अशुद्ध कल्पना से आजादी।

6. शांति

जहां passion है, वहां शांति नहीं है; जहां शांति है, वहां passion नहीं है। लोग शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन passion से चिपके रहते हैं। नफरत और प्यार एक ही दिल में नहीं बह सकता। आत्मविजय के रास्ते से perfect शांति हासिल होती है। जिसने ये एहसास कर लिया है कि दुनिया का दुश्मन बाहर नहीं, बल्कि अंदर है; की अनियंत्रित विचार, भ्रम और मुश्किल का स्रोत हैं, वो इंसान अपने आप संत के रास्ते पर हैं।

अगर एक इंसान वासना और गुस्से को, नफरत और गर्व को, स्वार्थ और लालच को जीत लेता है, तो वो अपने आप दुनिया जीत लेता है। अब शांति उसी के साथ रहती है। साफ दिल वाले लोगो के पास शांति होती है। वो उनके action में enter करती है; फिर उनकी life में।

किताब 3: Man: King of Mind, Body and Circumstances

Be Your Own Sunshine Summary

1. आदतें: इसकी गुलामी और इसकी आजादी

इंसान के ऊपर habits के कानून लागू होते हैं। तो फिर क्या इंसान free है? लेखक कहते हैं, हां वो free है। इंसान अपनी जिंदगी और उसके कानून नहीं बनाता, वो eternal है; वो उन कानूनों को समझ सकता है और उनका पालन कर सकता है। इंसान के पास इतनी ताकत नहीं है, कि वो जीने के कानून बना सके। इंसान ने एक भी universal कानून नहीं बनाये हैं; वो चीजों के जरूरी सिद्धांत हैं, जिन्हें ना ही बनाया जा सकता है और ना खत्म किया जा सकता है। इंसान, nature की वजह से, एक आदत का इंसान है और वो इसे नहीं बदल सकता; लेकिन वो अपनी आदतों को बदल सकता है।

वो प्रकृति के कानूनों को नहीं बदल सकता, लेकिन वो आपको प्रकृति को कानूनों के अनुसार बदल सकता हैं। कोई भी इंसान gravitation के नियमों को नहीं बदल सकता, लेकिन वो सब अपने आप के अनुसार बदल सकते हैं। वो उसका इस्तमाल करते हैं, झुक कर, ना ही ignore कर के। कोई भी इंसान ये सोच कर दीवारों है पर नहीं चलता, कि कानून उनके लिए बदल जाएगा। वो नीचे चलते हैं और कानून के अनुसार adapt करते हैं।

वैज्ञानिक और आविष्कारक physical forces और laws को master करते हैं, उनका पालन करते, वैसे ही एक समझदार इंसान spiritual शक्ति और कानून को master करता है। जहां एक बुरा इंसान, आदतों का गुलाम है, वहीं एक अच्छा इंसान उसका director और master है। तो अब बुरे और अच्छे इंसान में क्या फर्क है। अच्छा इंसान वो है जिसकी thoughts और habits के action अच्छे हैं। बुरा वो है जिसके विचार और कार्य बुरे हैं। बुरा इंसान अपनी आदतों को बदलकर अच्छा इंसान बनता है। वो कानून को नहीं बदलता है, बल्कि अपने आपको कानून के अनुसार बदलता है।

आदत repetition है। इंसान वही विचार, वही काम, और वही अनुभव को बार बार दोहराता रहता है, जब तक वो उसके अंदर नहीं चले जाते और उसके character का हिस्सा नहीं बन जाते। सारे इंसान अपनी आदत के subject हैं, भले ही वो अच्छी हो या बुरी। ये जानने के बाद, समझदार इंसान अपने आप को अच्छी आदतों का subject बनाता है और, खुशी और freedom से भारी जिंदगी जीता है। वही जो बुरी आदत का subject बनता है, उसकी जिंदगी दुख से भर जाती है।

इंसान अपनी गलत thoughts के अलावा, किसी से भी ताकत से नहीं बंधा है और इसे वो अपने आपको free कर सकता है। इंसान को अपने विचार से उठना होगा जैसे “मैं नहीं उठा सकता।” “मैं अपनी बूरी आदतों को नहीं छोड़ सकता।” “मैं अपने आप को नियंत्रित नहीं कर सकता” “मैं अपने आपको जीत नहीं सकता।” ये सारे “नहीं” का अस्तित्व वास्तविकता में है ही नहीं, ये बस विचार में मौजूद हैं। ये बुरे विचार हैं जिन्हें हटाना होगा और उनकी जगह “मैं कर सकता हूं” के सकारात्मक विचार plant करने होंगे और ऐसा तब तक करना होगा, जब तक सकारात्मक विचारों का एक पेड़ नहीं तैयार हो जाता है।

आदतें हमें बांधती हैं, और वही हमे मुक्त करती हैं। आदत पहले सोच में है, बाद में action में। सोच को बुरे से अच्छा करो और action अपने आप follow करेंगे। बूरे विचार को बार बार करते रहो और वो आपको और तंग बांधता रहेंगे। अच्छे विचार को बार बार करते रहो और वो आपको free कर देंगे।

2. शारीरिक स्थितियाँ

Body दिमाग की image है और उसमें हम छिपे हुए thoughts के features देख सकते हैं। बाहर, अंदर की बात मानता है। और future के scientists बता पाएंगे कि कैसे mentality body को effect करती है। एक बिमार दिमाग, एक बिमार body से भी ज्यादा बेकार है, क्योंकि बिमार दिमाग से body भी बिमार होती है। जो भी अपने आप को इंसान कहते हैं उन्हें अपने बिमार thoughts को हटाना होगा। जो भी इंसान ये कहता है कि जो वो कहना कह रहा है वो उसे बिमार कर देगा, उसे इसे बंद करना होगा।

धरती के वो फल, जिने खाया जाता है, जब एक इंसान भूखा होता और खाने को खोज रहा होता है, उनके बारे में ये कल्पना करना, कि वो सेहत और जिंदगी के लिए हानिकारक हैं, गलत है। इसे हम nature और खाने को misunderstand कर रहे हैं। खाने का एक काम है, शरीर को बनाए रखना और बचाना, ना कि उससे खराब करना।

3. गरीबी

काफी सारे महान लोगो ने अमीरी को छोड़ा और गरीबी को अपनाया, जिससे वो लोग अपने मकसद को अच्छे से हासिल कर सकें। तो फिर गरीबी को इतना बूरा क्यों समझा जाता है? ऐसा क्यों है, जिस गरीबी को महान लोगो ने एक आशीर्वाद माना, उसी गरीबी को लोग अच्छा नहीं मानते हैं। उत्तर सरल है। एक मामले में गरीबी को दिमाग की nobility के साथ जोड़ा जाता है, जिसकी वजह से उससे सारा बुरापन निकल जाता है और वो अच्छा और सुंदर दिखने लगता है।

और वो अमीरी से भी जादा आकर्षक लगने लगता है। दूसरे मामले में, गरीबी को लोग सारी बुरी चीज़ों से जोड़ते हैं जैसे शराब पीना, आलसीपन, झूठ बोलना और अपराध करना। तो अब बुरा क्या है: गरीबी या पाप? जवाब है पाप।

एक बुरा काम करने वाला किसी भी हाल में बुरा करेगा, चाहे वो आमिर हो या गरीब, या इन दोनों के बीच में। एक सही काम करने वाला सही ही करेगा, चाहे उससे कहीं भी रख दिया जाए। अपनी आर्थिक स्थिति से खुश ना होना गरीबी नहीं है। काफी सारे लोग अपने आप को गरीब कहते हैं, लेकिन उनकी साल की कमाई कई लाख होती है। वो कल्पना करते हैं, कि वो गरीब है, लेकिन उनकी असली समस्या लालच है। वो गरीबी से दुखी नहीं है, बल्कि अमीरी के प्यार से दुखी हैं। गरीबी ज्यादातर दिमाग में होती है, ना कि purse में।

जब तक एक इंसान ज्यादा पैसे की प्यास रखेगा, तब तक वो खुद को गरीब कहेगा, और इस sense में वो गरीब है। दूसरी तरफ, जो लोग गंदी हाल में रह रहे हैं, उनके साथ दिक्कत ये है कि वो अपनी condition से संतुष्ट हैं। गंदगी और अशुद्ध परिवेश में रहना और उससे संतुष्ट होना, सही नहीं है। अगर हम इन लोगो को साफ परिवेश में रहने की अहमियत बताएंगे, तो ये अपने आप उसके लिए काम करना शुरू कर देंगे।

4. मनुष्य का आध्यात्मिक प्रभुत्व

जिस kingdom पर इंसान को राज करने के लिए भेजा गया है, वो उसका दिमाग और जिंदगी है, लेकिन ये kingdom universe से अलग नहीं है। वो पूरी इंसानियत, पुरे nature से जूड़ा है। आज ज्यादातर लोग गलत विचार की मिटटी में दबे हुए हैं, और उससे बाहर निकलना जिंदगी की सबसे बड़ी जीत है।

मुर्ख लोग समझते हैं कि सारी चीज master की जा सकती है और वो खुशी को बाहरी चीजों को बदल कर ढूंढते हैं। बाहरी चीजों को बदलने से कभी भी स्थायी खुशी नहीं आ सकती। समझदार लोग समझते हैं कि असली master तब तक नहीं है, जब तक खुद को ना जीता जाए। ये लोग बाहरी चीजों को बदल कर खुशी नहीं ढूंढते, लेकिन इन्हें भगवान की ताकत में खुशी मिलती है।

इंसान का spiritual dominion एक empire है, उन सारे mental forces का, जिसे nature ने उसके अंदर डाला है। काफी समय तक, एक इंसान यही सोचता रहता है, कि वो बाहरी forces का गुलाम है, लेकिन एक दिन आता है, जब उसकी आध्यात्मिक आंखें खुलती हैं, और वो देखता है कि वो जिस चीज का इतने समय से गुलाम था वो कोई और नहीं बल्कि उसी का unpurified character था।

उस दिन वो उठता है और अपने spiritual authority को आगे बढ़ाता है, वो अब इच्छा और passion का गुलाम नहीं बना रहता, बल्कि उन पर राज करता है। तो उठने से और अपनी spiritual authority को exercise करके, वो उन लोगो की company में entry करता है जिन्होने ignorance, andherence और मानसिक पीड़ा को पार किया है और असली सच को जाना है।

4: Foundation Stones to Happiness and Success

Be Your Own Sunshine Hindi

1. सही सिद्धांत

ये जानना सही है कि पहले क्या आता है, और पहले क्या करना है। किसी भी चीज को बीच में से शुरू करना बेकार है। वो athelete जो tape को तोड़ कर race की शुरुआत करता है उससे कभी prize नहीं मिलेगा। उससे शुरू से शुरू करना होगा। छोटा बच्चा algebra और literature से शुरू नहीं करता, बल्कि counting से और ABC से शुरू करता है।

पहली चीज जो एक अच्छी और सफल जिंदगी के लिए जरूरी है, वो है सही सिद्धांत। बिना सही सिद्धांतों के शुरू करने की वजह से, आपके पास गलत practices होंगे और अंत में एक बुरी जिंदगी होगी। तो यहां पर पांच सिद्धांत हैं जिनहे लेखक सबसे जरुरी समझ कर mention करते हैं।

1. कर्तव्य का सिद्धांत का मतलब अपने काम के ऊपर ध्यान देना, और किसी और के काम में दखल ना देना। जो इंसान दूसरों को बताता रहता है, कि कैसे प्रबंधित रहे, वही सबसे ज्यादा गलत प्रबंधन करता है। Dduty का ये भी मतलब है, जिस भी चीज पर आप काम कर रहे हों उस पर पूरा ध्यान देना।

2. सच्चाई अगला सिद्धांत है। इसका मतलब है, किसी को धोखा ना देना या ज्यादा पैसे charge ना करना। इसका मतलब है झूठ का ना होना। इसके अंदर ईमानदारी भी आती है। इसे अच्छी प्रतिष्ठा बनती है, और अच्छी प्रतिष्ठा अच्छा business बनाती है।

3. Economy तीसरा सिद्धांत है। इसका मतलब है energy को बचाना, self indulgence और sensual habits को avoid करके। इससे ताकत, और हासिल करने की क्षमता मिलती है। जो इसे अच्छे से सीख लेते हैं, उन्हें बहुत ज्यादा ताकत मिलती है।

4. Liberality economy को follow करती है। ये इसके विपरीत नहीं है। Economy का इंसान ही उदार रह सकता है। पैसा देना उदारता का बहुत छोटा हिस्सा है। इसके अंदर विचार, कर्म, सद्भावना का देना भी आता है। इसके अनुसार आपको अपने दुश्मनों के साथ भी सही व्यवहार करना है। ये प्यार को पास लाता है और ये अकेलेपन का दुश्मन है ।

5. आत्म नियंत्रण आखिरी सिद्धांत है, लेकिन सबसे जरूरी है। इसको ignore करने की वजह से सबसे ज्यादा समस्या होती है। लेखक कहते हैं, उन्हें वो businessman दिखा दो, जो कि customer के साथ किसी बात पर अपना temper खो देते हैं, और वो आपको ऐसा इंसान दिखायेंगे जो कि, दिमाग की इस स्थिति की वजह से जरुर fail होगा।

अगर सारे लोग self control के शुरुआती steps को भी practice करेंगे, तो गुस्सा जैसे कोई चीज नही होगी। धैर्य, पवित्रता, सज्जनता, दया के पाठ, जो कि आत्म नियंत्रण के सिद्धांत में हैं, वो एक इंसान धीरे धीरे करके सीखता है । और जब तक एक इंसान सीख नहीं लेता, तब तक उसका character और success insecure है। कहां है वो इंसान जिन्होंने खुद को self control में perfect कर लिया है? वो जहान भी हो, वो एक master है।

Be Your Own Sunshine English

2. ध्वनि विधियाँ

जब इन 5 सिद्धांतों को सही तारिके से अभ्यास कर लिया जाता है, तब sound methods issue होते हैं। एक machine, जिसके सारे हिस्से ठीक हैं, वो सिर्फ काम की नहीं है, बल्कि गर्व करने वाली चीज है, लेकिन जब उसके parts gear से बाहर हो जाते हैं, और adjust नहीं होते हैं, तब उसकी उपयोगिता चली जाती है और उससे फेक दीया जाता है ।

उसी तरीके से एक जिंदगी जिसके सारे हिस्से ठीक से adjusted हैं, वो सिर्फ ताकतवर ही नहीं, बल्कि एक गजब और सुंदर चीज है। वही दूसरी तरफ एक जिंदगी जो कि उलझन और inconsistent है, वो एक बर्बाद ऊर्जा का प्रदर्शन है। अगर जिंदगी को अच्छे से जीना है, तो उसके अंदर method लाना होगा और उसकी सारी details को regulate करना होगा। जो समझदार और मुर्ख इंसान का सबसे बड़ा फर्क है, वो है कि समझदार इंसान छोटी से छोटी चीजों पर ध्यान देते हैं, वहीं मुर्ख इंसान उन्हें नजरंदाज कर देता है ।

तो दोस्तों, ये summary यहीं पर खत्म होती है। हम आशा करते हैं कि आपको ये summary पसंद आई होगी। आप चाहें तो इसी वेबसाइट पर किसी और पुस्तक की summary को ढूंढने के लिए search का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

सभी Podcast platform पर भी हमारी summary, Kitabein नाम से उपलब्ध है, जिसे हाल ही में भारत का best educational podcast का award भी मिला है।

141 thoughts on “(हिन्दी Summary) Be Your Own Sunshine Book by James Allen Summary”

Leave a Comment