The Four Agreements

The Four Agreements (हिन्दी)

Don Miguel Ruiz की "The Four Agreements" एक ऐसी किताब है जो हमें खुद को और हमारे आसपास की दुनिया को देखने के तरीके को बदल सकती है। इसमें वह जादुई स्वतंत्रता बनाने की क्षमता है जो हम सभी चाहते हैं। इन चार समझौतों को जानें जिनके साथ हमें शांति बनाए रखने और अपने जीवन में उच्चतम स्तर प्राप्त करने की आवश्यकता है। अभी जानने के लिए पढ़ें!

Don Miguel Ruiz 17 mins read Read in English Self Improvement Productivity

एक बार की बात है, Jack नाम का एक आदमी था। Jack के पास वह सब कुछ था जिसका उसने कभी सपना देखा था, एक high paying नौकरी, एक सुंदर घर और एक प्यारा परिवार। हालांकि, अपनी दिखने वाली perfect जिंदगी के बावजूद, Jack ने खालीपन और असंतोष (dissatisfaction) को महसूस किया।

एक दिन, Jack ने अपने व्यस्त कार्यक्रम (busy schedule) से छुट्टी लेने का फैसला किया और एक remote पहाड़ी की यात्रा की। वहां उनकी मुलाकात एक बूढ़े साधु (monk) से हुई, जो व्यक्तिगत आजादी (freedom) और आध्यात्मिक विकास (spiritual growth) की जिंदगी जीते थे। साधु के शांतिपूर्ण व्यवहार (behavior) और बुद्धिमान शब्दों से प्रभावित (impress) होकर, Jack ने वहां रहने और उनसे सीखने का फैसला किया।

अगले कुछ हफ्तों के दौरान, Jack ने सीखा कि व्यक्तिगत आजादी और आध्यात्मिक विकास का मतलब, ज्यादा पैसे कमाना या ज्यादा सफलता हासिल करने के बारे में नहीं था। यह बाहरी चीजों से लगाव (attachment) को दूर करने और ध्यान (meditation), आत्म प्रतिबिंब (self-reflection) और करुणा (compassion) के माध्यम से आंतरिक शांति को पाने के बारे में था।

जैसे ही Jack ने अपनी रोज की जिंदगी में इन शिक्षणों (teachings) को अभ्यास (practice) करना शुरू किया, उन्होंने अपने perspective में गहरा बदलाव देखा। उन्हें अब और ज्यादा के लिए लगातार मेहनत करने और दूसरों से अपनी तुलना (comparison) करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इसके बजाय, उन्होंने जीवन के सरल क्षणों (simple moments) में आनंद लिया, जैसे कि sunset देखना या अपने परिवार के साथ वक्त बिताना।

इसके अलावा, उन्होंने महसूस किया कि सच्ची आजादी अंदर से आती है, बाहरी स्थितियों (situations) से नहीं। कुछ सालों बाद, Jack अपनी व्यस्त जिंदगी में लौट आए, लेकिन स्पष्टता (clarity) और संतोष की एक नई भावना के साथ। उसने सीखी हुई शिक्षणों को अभ्यास करना जारी रखा, और उनकी जिंदगी inner state का प्रतिबिंब (reflection) बन गई, जोकि खुशी, प्यार और meaning connections से भरी थी।

अंत में, Jack ने महसूस किया कि सबसे बड़ा उपहार (gift) जो हम खुद को दे सकते हैं वह है व्यक्तिगत आजादी और आध्यात्मिक विकास का उपहार। जब हम खुद को अपनी अहंकार (ego) की सीमाओं से आजाद करते हैं और अपने सच्चे प्रकृति से जुड़ते हैं, तो हम शांति, पूर्ति (fulfillment) और आनंद के जीवन का अनुभव (experience) कर सकते हैं।

परिचय

अब यह सब हम अपनी जिंदगी में कैसे अनुभव कर सकते है, इसलिए आज हम बहुत ही अद्भुत (amazing) किताब के बारे में बात करने वाले हैं। The Four Agreements जिसे Don Miguel Ruiz ने लिखा है। इस किताब को भारत में Wow Publishing ने प्रकाशित (publish) किया है जो दुनिया की श्रेष्ठ किताबों को, बहुत सी भारतीय भाषाओं (Indian language) में अनुवाद (translate) करके प्रकाशित करते हैं।

इस किताब में हम ऐसे चार समझौतें (agreements) के बारे में समझेंगे, जो शक्तिशाली आदतों को बनाने में मदद करते हैं। यह चार समझौतें हमारे जीवन को आजादी, सच्ची खुशी और प्यार के एक नए अनुभव में तेजी से बदल सकते है। किताब से हमें अपने दिमाग और जिंदगी पर ज्यादा नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।

किताब की मदद से हम सभी को दुनिया की बनाई गयी उन स्वयं सीमित (self-limiting) मान्यताओं (beliefs) से निपटने में मदद मिलेगी, जिसने हमारी खुशी और खुद से प्यार करने की इच्छाओं को ख़त्म कर दिया है।

इस किताब को 1997 में प्रकाशित किया गया और इसकी सिर्फ America में 90 लाख से ज्यादा copies बिक चुकी हैं। दुनिया भर में 46 भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया है। 2001 में Oprah Winfrey show में और फिर 2013 में TV show पर दिखाए जाने के बाद इस किताब को लोकप्रियता (popularity) मिली। इस किताब ने बहुत से लोगों को प्रेरित (inspired) किया है, जिनमें बहुत से जाने-माने लेखक भी शामिल है।

किताब को अच्छे से समझने के लिए हम इस किताब को 9 अध्यायों में discuss करने जा रहे है।

तो चलिए fir शुरू करते है।

अध्याय 1. Toltec क्या है?

हजारों साल पहले, Toltec को पूरे southern Mexico में औरतों और पुरुषों के ज्ञान का केंद्र के रूप में जाना जाता था। Toltec संस्कृति (culture) 10वीं और 12वीं शतक (century) के बीच पुराने समय के Mexico में विकसित हुआ था। उन्होंने एक हजार तरह की अलग-अलग आवाजों की अराजकता (anarchy) का बयान करने के लिए Toltec शब्द का इस्तेमाल किया था, जिससे वो सभी एक साथ दिमाग में बात करने की कोशिश करते थे।

Anthropologists ने Toltec को एक राष्ट्र या एक जाति के रूप में बताया है। लेकिन वास्तव (actual) में Toltec वह वैज्ञानिक और कलाकार थे, जिन्होंने पुराने समय के लोगों के आध्यात्मिक ज्ञानों और अभ्यासों का पता लगाने और उनको बचाने के लिए एक संस्कृति बनाया था। उन्हें Master कहा गया था।

वे एक साथ Mexico शहर के बाहर pyramids के पुराने शहर, Teotihuacan (जिसे उस जगह की तरह जाना जाता है, जहां इंसान भगवान बनते है) यहां छात्रों के रूप में आए थे।

The Four Agreements

Toltec बनने के लिए तीन कौशलों (skills) का होना जरूरी होता है। पहली अपनी awareness यानी कि जागरूकता पर नियंत्रण होना। मतलब आपको अपनी सभी संभावनाओं (possibilities) के साथ जागरूक होना होता है कि आप वास्तविक में कौन हैं। दूसरा बदलाव को काबू (overcome) कर पाना, मतलब हमें कैसे बदलना है, कैसे प्रभुत्व (domination) से आजाद होना है। तीसरा इरादे (intention) पर नियंत्रण रखना।

Toltec के परिप्रेक्ष्य (perspective) से इरादे का मतलब जीवन के उस हिस्से से है, जो हमें ऊर्जा देता है। जब हम अपनी सारी ऊर्जा को इस्तेमाल करना सीख जाते है, तो हम ‘भगवान’ की ताकत को महसूस कर सकते हैं। इरादा बिना किसी शर्त के जिंदगी जीना है, इरादे पर नियंत्रण को इसलिए “Mastery Of Love” भी कहा जाता है।

चार समझौतें (agreements) हमें अपनी जिंदगी में बेहतर और अच्छे बदलाव लाने में मदद करते हैं और Toltec की mastery करने वाले लोग पृथ्वी पर ही स्वर्ग बनाते हैं। जिससे ग्रह (planet) को स्वर्ग बनाने का सपना आपके खुद के सपने में बदल जाता है और आप बिना किसी डर के उस सपने को पूरा करने की कोशिश करते है।

आप अपने डर के समझौतों को बदलकर अपनी जिंदगी में बेहतर बदलाव ला सकते है। इसके साथ ही आप अपने खुद के दिमाग को अपने तरीके से reprogram कर सकते हैं।

अध्याय 2. ग्रह (planet) का सपना क्या है?

हम सभी लोग सपने देखने की क्षमता के साथ पैदा हुए हैं और हमारे सामने रहने वाले इंसान हमें सिखाते हैं, कि ग्रह के सपने कैसे देखे जाते है। ग्रह के सपने में इतने नियम होते हैं कि जब एक नया इंसान पैदा होता है, तो उस बच्चे का ध्यान उन नियमों की तरफ आकर्षित होता हैं और बच्चा उन्हें अपनाना शुरू कर देता हैं।

समाज हमें ग्रह का सपना देखना सिखाने के लिए, हमारे माँ-पापा, school और धर्म का इस्तेमाल करती है जिसके साथ ही समाज हमें जिंदा रहने के लिए कुछ चीजें सिखाता है, जिसमें से एक ध्यान (meditation) भी है। ध्यान वह क्षमता होती है जिसमें हमें सिर्फ उस पर ध्यान लगाना होता है जिसे हम देखना चाहते हैं। हम एक साथ लाखों चीजों को देख सकते हैं, लेकिन अपने ध्यान का इस्तेमाल करके हम जो कुछ भी देखना चाहते हैं सिर्फ उसे अपने दिमाग में रख सकते हैं।

हमारे आस-पास के बड़े-बूढ़ों ने हमारा ध्यान आकर्षित किया है और दुहराव (repetition) के जरिये से हमारे दिमाग में समाज की सारी जानकारी डाली है। इस तरह हमने वह सब कुछ सिखा है, जो हम अब जानते हैं और जिसका इस्तेमाल हम अपनी जिंदगी को जीने के लिए करते है।

ग्रह का सपना हमारा ध्यान आकर्षित करता है और हमें सिखाता है कि हम किस चीज़ पर भरोसा कर सकते हैं। आइए इसकी शुरुआत हम उस भाषा से करते हैं, जो हम बातचीत के लिए इस्तेमाल करते है। भाषा अपनी बात दूसरों को समझाने का एक तरीका है। हर भाषा का हर एक पत्र (letter), एक समझौता होता है। हम इसे एक किताब में एक पृष्ठ (Page) कहते हैं; मतलब शब्दों पृष्ठों का एक समझौता है जिसे हम समझते हैं।

एक बार जब हम पृष्ठ पर लिखे शब्दों को समझ लेते हैं, तो आप अपना ध्यान उस बात को दूसरों को समझाने के लिए लगा सकते है। जब हम बच्चे थे तो हमारे आस पास के लोगों ने हमारी मान्यताएं (belief system) बनाई थी। क्योंकि बच्चों के रूप में, हमारे पास अपनी मान्यताओं को चुनने का विकल्प नहीं होता है, लेकिन हम उन सभी जानकारी या बातों को मान सकते थे जो हमें बाकी लोगों के जरिए बताई गई थी। जानकारी इकट्ठा करने का अकेला तरीका सहमत होना होता है।

ग्रह का सपना आपका ध्यान खींच सकता है, लेकिन अगर आप सहमत नहीं होते हैं, तो आप उस जानकारी को नहीं अपनाते हैं जो आपको समाज देती है। जैसे ही हम सहमत होते हैं, और उस बात पर भरोसा करने लगते हैं जो आपको समाज बताता है, तो यह आपकी सच्ची मान्यता बन जाती है। इसलिए सही मायने में भरोसा करना, बिना किसी शर्त के भरोसा करना होता है।

अध्याय 3. इंसानों का domestication

The Four Agreements Book

ग्रह के सपने को अपनाकर हम सभी एक तरह से इंसानी पालतू जानवर (pets) बनने लगते है। क्योंकि हम वहीं चीज़ें समझते है जो हमें समाज सिखाती है और उनके बताए गए तरीकों से सारे काम करते है। जिससे हमारा, हमारी जिंदगी पर नियंत्रण नहीं रहता क्योंकि हमें शुरू से ही लोगों की बातें सुनना और उनके अनुसार (according) काम करना सिखाया जाता है।

जब हम बच्चे होते है तो सबसे पहले हमें शुरुआती चीज़ो के नाम सिखाये जाते है जैसे बोतल, दूध या पकड़ना। और जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते है तब हमें TV या आस पास के लोगों से सिखाया जाता है की हमें कैसे जीना है और किस तरह का व्यवहार अपनाना है। सीधे शब्दों में कहे तो ग्रह का सपना हमें इंसान बनना सिखाता है।

हम एक तरह से खुद के ही पालतू जानवर बनते जाते है क्योंकि हम उन सभी चीज़ो को खुद अपनाने लगते है जिसमें हमारी मान्यताएं उपयोगी होती है। यह कानून की एक किताब कि तरह है जो हमारे दिमाग पर राज़ करती है। मतलब बिना कोई सवाल किए हम उन सभी चीज़ों पर भरोसा कर लेते है जो हमें बचपन से बताई गयी होती है।

हम अपने सारे फैसले उन बताई गई बातों को सोचकर और ध्यान में रखकर ही करते हैं। भले ही उस फैसले से हमारा मन सहमत न होता हो। यहां तक ​​कि नैतिक नियम (moral rules) को भी हमारे दिमाग में एक आदेश (order) में बैठाया जाता है। एक-एक करके, ये सभी समझौते हमारे दिमाग में आते रहते हैं, और ये समझौते हमारे सपने पर राज करने लगते हैं।

जिस तरह सरकार के पास नियमों की एक किताब है जो ग्रह के सपने को नियंत्रण करती है, उसी तरह हमारी मान्यताएं (belief) कानून की किताब है जो हमारे व्यक्तिगत सपने को नियंत्रित करता है।

ये सारे नियम हमारे दिमाग में मौजूद होते हैं, हम उन पर भरोसा करते हैं और हमारे अंदर का न्यायाधीश (Judge) इन नियमों के अनुसार ही काम करता है। और यही वजह है कि फैसले ग्रह के बनाए गए नियमों से लिए जाते है और सजा हमें भुगतनी पड़ती है।

मानवता का सच्चा मतलब सच, न्याय और सुंदरता की तलाश करने में होता है। हम सच को ढूंढ रहे हैं क्योंकि हम सिर्फ उस झूठ पर भरोसा करते हैं जो हमने अपने दिमाग में इकट्ठा किए है। हम न्याय की तलाश में हैं क्योंकि हमारे पास जो मान्यताएं है, उससे न्याय नहीं मिलता है।

हम सुंदरता की तलाश करते हैं क्योंकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई इंसान कितना ज्यादा सुंदर है, जब तक हम नहीं मानते है कि उस इंसान में सुंदरता है। हम मानवता की तलाश बाहरी दुनिया में करते हैं, जबकि सब कुछ पहले से ही हमारे अंदर होता है।

ढूंढने से हमें आसानी से सच दिखाई नहीं देता है, क्योंकि हम जिस तरफ भी देखते हैं, वहां सिर्फ सच दिखाई देता है, लेकिन जिन समझौते और भरोसे को हमने अपने दिमाग में इकट्ठा किया हुआ है, इन समझौते के सच को समझने के लिए हमारे पास सही समझ नहीं है। और यही वजह है कि हम इस समाज में रहने वाले इंसानों के पालतू जानवर बने हुए है।

अध्याय 4. Mitote (इंसान के मन का एक state)

हमारा पूरा दिमाग एक कोहरे (fog) की तरह है, जिसे Toltec ने Mitote ( MIH-TOE´-TAY) कहा है। हमारा मन एक सपने की तरह है, जहां एक ही वक्त में एक हजार लोग बात करते हैं, और उनमें से कोई भी एक दूसरे को नहीं समझता है। यह हमारे मन का state है जो काफ़ी बड़ा होता है।

उस बड़े Mitote से आप यह नहीं देख सकते कि आप वास्तव में क्या है। भारत में लोग Mitote को वो माया कहते हैं, जिसका मतलब उलझन (confusion) होता है। आप अपने और दुनिया के बारे में जो कुछ भी मानते हैं, वो सब कुछ आपके दिमाग में मौजूद हैं। और इसी वजह से हम यह नहीं देख सकते कि हम वास्तव में कौन हैं; और हम यह भी नहीं देख सकते कि हम आजाद नहीं हैं।

हम सभी के दिमाग में एक बड़ा Mitote बहुत सारी अराजकता को पैदा करता है जो हमें हर चीज को गलत तरीके से देखने और गलत समझने की वजह देता है। हम वही देखते हैं जो हम देखना चाहते हैं और वही सुनते हैं जो हम सुनना चाहते हैं। और हम चीजों को वैसे नहीं समझते जैसे वह असलियत में होती हैं।

उदाहरण के लिए, ऐसा समझें कि आपका मन एक computer है और अपनी बात की तुलना computer के उस virus से करे, जिससे computer को नुकसान होता है।

क्योंकि computer और हमारा मन उन गलत जानकारियों को इकट्ठा कर रहा होता है, जो हमारी दिमागी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। गलत जानकारी का एक छोटा सा टुकड़ा लोगों के बीच बात करने के तरीके को खराब कर सकता है, जैसे की अगर हम किसी को गलत जानकारी देते है तो वो लोग उन गलत जानकारी के अनुसार ही काम करते है जो उनके लिए बहुत गलत हो सकता है।

कल्पना कीजिए कि हर बार जब दूसरे लोग आपसे बात करते हैं, तो वे आपके दिमाग में एक computer virus डाल देते हैं, जिससे आप हर बार थोड़ा कम सही तरह से सोचने लगते हैं। फिर कल्पना कीजिए कि अपनी उलझन (confusion) को दूर करने या कुछ राहत पाने के लिए, आप किसी और से बात करते हैं और इस virus को उन लोगों तक फैला देते हैं।

अब कल्पना कीजिए कि यह pattern पृथ्वी पर सभी इंसानों के बीच कभी न खत्म होने वाली जंजीर (chain) की तरह चल रहा है और आखिर में वही दुनिया बचेगी, जो सिर्फ गलत जानकारी के जरिए से बनी हुई है। यह गलत जानकारी एक तरह का जहरीला virus है जिसे Toltec ने Mitote कहा है। इस तरह की गलत जानकारी से बचने के लिए खुद से ये चार समझौतें करे।

अध्याय 5. पहला समझौता – अपने शब्दों के साथ बेदाग (flawless) बनें

The Four Agreements Summary

पहला समझौता सबसे ज़रूरी है और यह करने के लिए सबसे मुश्किल भी है। यह इतना ज़रूरी है कि सिर्फ इस पहले समझौतें से आप अस्तित्व (existence) के उस स्तर (level) तक पहुंच सकते है, जिसे लेखक धरती पर स्वर्ग कहते है। पहला समझौता है अपने शब्दों के साथ बेदाग बनना।

शब्द जितना हम समझते हैं उससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली होते हैं, वे स्तर, अवधारणाओं (concepts), रिश्तों और भरोसे को बनाने के लिए सबसे जरूरी होते हैं।

आपको नुकसान पहुंचाने वाले उलझन को पैदा करने से बचने के लिए, अपने आप पर या दूसरों पर, उस उलझन का इस्तेमाल करते समय बहुत ज्यादा सावधान रहे। सिर्फ वही बातें कहने की आदत डालें जो आप अपने भले के लिए कहते हैं और अगर जब किसी भी तरह का शक हो, मतलब आपको कोई बात किसी भी तरह से गलत लगे, तो उस बात को किसी से भी न कहें।

अगर आप आजाद होना चाहते हैं, खुश रहना चाहते हैं और अगर आप अस्तित्व के स्तर, मतलब नर्क को पार करना चाहते हैं तो अपने आप से यह पहला समझौता ज़रूर करे।

अपने शब्दों के जरिए से आप अपनी रचनात्मक शक्ति (creative power) को सबके सामने व्यक्त (express) करते हैं। शब्दों के ज़रिये ही आप सब कुछ बताते हैं।

आप चाहे जो भी भाषा बोलते हो, आपका इरादा शब्द के जरिए से ही जाहिर होता है। आप जो सपने देखते हैं, जो आप महसूस करते हैं, और जो आप वास्तविक में हैं, वह सब कुछ आपके शब्दों के जरिए से ही जाहिर होता है। इसलिए ध्यान रखें की आप बोलते वक्त किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते है।

अपने शब्दों के साथ बेदाग होने से आप अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल कर सकते है; मतलब आप अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल सच की दिशा में और अपने आप से प्यार करने के लिए कर सकते है।

अगर आप अपने शब्दों के साथ बेदाग होने का समझौता करते हैं, तो बस उस इरादे से, आप सच्चाई को हासिल कर सकते है। ध्यान रखे सिर्फ सच ही हमें आजाद कर सकता है।

आप अपने शब्दों की गलती को अपने खुद से प्यार करने के स्तर के जरिए से माप (measure) सकते हैं। आप अपने आप से कितना प्यार करते हैं और आप अपने बारे में कैसा महसूस करते हैं, यह सीधे आपके शब्दों की गुणवत्ता (Quality) और एकता (oneness) से जुड़ा होता है।

जब आप अपने शब्दों में कोई भी गलती नहीं करते हैं, तो आप अच्छा महसूस करते हैं; और इसी तरह आप खुशी और शांति महसूस करने लगते हैं। इसलिए आज ही अपने शब्दों के साथ बेदाग होने का समझौता करे।

अध्याय 6. दूसरा समझौता – कुछ व्यक्तिगत (personally) ना लें

अगले तीन समझौतें वास्तविक में पहले समझौतें से सृजन (create) हुए हैं। दूसरे समझौते को करने के लिए खुद से किए गए पहले समझौते को याद रखे और उन्हें अपनी जिंदगी में हमेशा के लिए अपनाएं। अगर आप पहले दो समझौते का अभ्यास करते हैं, तो आप 75% उन छोटे समझौते को आसानी से कर सकते है, जो आपको धरती पर मौजूद नरक में फंसा कर रखते हैं।

The Four Agreements Hindi

अगर आप इस दूसरे समझौते को एक आदत बना सकते हैं, तो आप पाएंगे कि कुछ भी आपको वापस नर्क में नहीं डाल सकता। जब आप व्यक्तिगत रूप से कुछ भी नहीं लेते हैं तो आपके पास बड़ी आजादी होती है। आप इसे व्यक्तिगत रूप से लेते हैं क्योंकि जो कुछ भी आपसे कहा गया था, आप उससे सहमत होते हैं।

जैसे ही आप उन बातो की मंज़ूरी देते हैं, तो आप नर्क के सपने में फंस जाते हैं। जिस चीज की वजह से आप फंसते हैं, उसे लेखक व्यक्तिगत महत्व (personal importance) कहते हैं। व्यक्तिगत महत्व या चीजों को व्यक्तिगत रूप से लेना, आपको स्वार्थी (selfish) और लालची बनाता है।

क्योंकि हम यह मान्यता बनाते हैं कि सब कुछ ‘हमारे खुद’ के बारे में है। हमारी पढ़ाई के वक्त के दौरान, या जब हमारे पास पालतू जानवर होते है उसके दौरान, हम सब कुछ व्यक्तिगत रूप से लेना सीखते हैं। हमें लगता है कि हम हर चीज के लिए खुद जिम्मेदार होते हैं।

आप जो कुछ भी सोचते हैं, जो कुछ भी आप महसूस करते हैं, यह सिर्फ आपकी समस्या होती है इससे किसी और का कोई मतलब नहीं होता है। यह वह तरीका है जिससे आप दुनिया को देखते हैं। यहां कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है, क्योंकि आप अपने साथ ठीक से व्यवहार (behave) कर रहे होते हैं, किसी और के साथ नहीं।

दूसरों की मान्यताएं उनके अनुसार होती है, इसलिए वे आपके बारे में जो कुछ भी सोचते हैं, वह वास्तव में उनके बारे में ही होता है। क्योंकि हम सभी लोगों को वैसे ही पहचानते है जैसी हमारी समझने की ताकत होती है।

अगर आप बिना किसी डर के जीते हैं और अगर आप किसी से भी प्यार करते हैं, तो इनमें से किसी भी अनुभूति (feeling) के लिए आपकी जिंदगी में कोई जगह नहीं है। अगर आप इनमें से किसी भी अनुभूति को महसूस नहीं करते हैं, तो यह बहुत ज्यादा संभव है कि आप अच्छा महसूस करेंगे।

जब आप अच्छा महसूस करते हैं, तो आपके आस-पास सब कुछ अच्छा होता है। जब आपके आस-पास सब कुछ अच्छा होता है, तो सब कुछ आपको खुश करता है।

आप अपने आस-पास की हर चीज से प्यार कर रहे हैं, क्योंकि आप खुद से प्यार कर रहे हैं। आप जैसे हैं वैसे ही आपको रहना पसंद हैं। और आप अपने आप से संतुष्ट (satisfied) होते हैं। क्योंकि आप अपनी जिंदगी से खुश रहने लगते हैं इसलिए आपको ख़ुशी का समझौता खुद ही करना होगा।

आपको व्यक्तिगत रूप से कुछ भी नहीं लेना चाहिए। क्योंकि चीजों को व्यक्तिगत रूप से लेने से आप अपने आप से प्यार करना कम कर देते हैं। हम सभी लोग अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग तरह के दुखों का सामना करते हैं, और हम इन दुखों को बनाए रखने के लिए एक-दूसरे का सहारा (support) लेते हैं।

इंसान एक दूसरे को मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं जब वो दर्द में होते है। आप दूसरों के कामों के लिए कभी भी जिम्मेदार नहीं होते हैं; आप सिर्फ खुद के लिए जिम्मेदार हैं। जब आप वास्तव में इसे समझते हैं, और चीजों को व्यक्तिगत रूप से लेने से मना करने लगते हैं, तो आप शायद ही दूसरों की बातों, टिप्पणी (comments) और कामों से परेशान हो सकते हैं, इसलिए व्यक्तिगत रूप से कुछ भी न लेने का अभ्यास शुरू कर दे।

अध्याय 7. तीसरा समझौता – मान्यताएं (assumptions) ना बनाएं

तीसरा समझौता मान्यता नहीं बनाने का है। हमें अपने अंदर हर चीज के बारे में मान्यता बनाने की आदत होती है। मान्यता बनाने में समस्या यह होती है कि हम उन मान्यता को सच मानते हैं। यहां तक की हम उनको सच साबित करने के लिए कसम भी खा सकते हैं। हम अक्सर इस बारे में मान्यता बनाते हैं कि दूसरे क्या कर रहे हैं या फिर क्या सोच रहे हैं।

हम इसे व्यक्तिगत रूप से लेते हैं, फिर हम उन्हें दोष देने लगते हैं और हम अपने शब्द के साथ भावनात्मक प्रतिक्रिया (emotional reaction) बनाते हैं। इसलिए जब भी हम अंदाज़ा लगाते हैं, तब हम समस्या पूछ रहे होते हैं और अपनी मान्यता से उन्हें गलत समझते है।

एक मान्यता बनाने की तुलना (comparison) में सवाल पूछें। यह हमेशा बेहतर तरीका होता है, क्योंकि मान्यता हमें दुख लेने के लिए तैयार करती हैं। हमें बिना हकीकत जाने सपने देखने की आदत है। हम सचमुच अपनी कल्पनाओं (imaginations) में चीजों का सपना देखते हैं।

क्योंकि हम कुछ नहीं समझते हैं, हम मतलब के बारे में एक मान्यता बनाते हैं, और जब सच्चाई सामने आती है, तो हमारे सपने टूट जाते है और हमें पता चलता है कि यह वह नहीं था जो हमने सोचा था।

यह बहुत दिलचस्प बात है, कि हमारा मन कैसे काम करता है। सुरक्षित महसूस करने के लिए, हमें हर चीज को सही ठहराने, हर चीज को समझने और समझाने की जरूरत होती है।

हमारे पास लाखों सवाल होते हैं जिनके जवाब हमें जानने की ज़रूरत है, क्योंकि ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जिन्हें हमारा समझौते करने वाला दिमाग समझा नहीं सकता है। यह ज़रूरी नहीं है कि जवाब सही ही हो; लेकिन सिर्फ जवाब ही हमें सुरक्षित महसूस कराता है इसलिए हम अक्सर अंदाज़ा लगाते हैं।

हम यह मान्यता बनाते हैं कि हर कोई हमारी जिंदगी को वैसे ही देखता है जैसे की हम अपनी जिंदगी को देखते हैं। हम यह मानते हैं कि जैसा हम सोचते हैं, दूसरे लोग भी सच में वैसा ही सोचते हैं और जो कुछ भी हम महसूस करते हैं, वैसा ही वह भी महसूस करते हैं। जिस तरह से हम judge करते हैं, और जिस तरह से हम असद्व्यवहार (misbehave) करते हैं, और उसका गलत इस्तेमाल करते हैं दूसरे भी वैसा ही करते है।

लेकिन यह सच नहीं है बल्कि असली प्यार दूसरे लोगों को वैसे ही स्वीकार करना है, जैसे वे असलियत में होते हैं। और यही इंसान की सबसे बड़ी मान्यता होती है।

जिस दिन आप मान्यता बनाना बंद कर देते है उसके बाद आप भावानात्मक प्रतिक्रिया से आज़ाद होकर, साफ और clear तरह से बातचीत करना शुरू कर सकते है। मान्यता बनाने से आपके शब्द त्रुटिहीन (impeccable) हो जाते है इसलिए मान्यता न बनाए।

अध्याय 8. चौथा समझौता – हमेशा अपना श्रेष्ठ (best) दें

The Four Agreements English

चौथा समझौता वह है जो बाकी तीन समझौतें को गहरी आदत बनाने की मंजूरी (permission) देता है। चौथा समझौता पहले तीन के कार्य (action) के बारे में है, हमेशा अपना बेहतरीन प्रस्तुत (present) करें। पहले तीन समझौतें तभी काम करेंगे जब आप अपना बेहतरीन प्रस्तुत करेंगे। यह उम्मीद न करें कि आप अपने शब्द के साथ हमेशा बेदाग रह सकते है।

आपकी हर रोज़ की आदतें बहुत मजबूत होती हैं और आपके दिमाग में मजबूती से टिकी हुई हैं लेकिन आप बेहतर कर सकते हैं। इसलिए यह उम्मीद न करें कि आप व्यक्तिगत (personal) रूप से कभी कुछ नहीं लेंगे; सिर्फ अपना सबसे अच्छा दे। यह उम्मीद न करें कि आप कभी भी दूसरी मान्यता नहीं बनाएंगे, लेकिन आप साफ तौर से अपना सबसे श्रेष्ठ (best) प्रस्तुत कर सकते हैं।

इसके लिए किसी भी स्थिति में हमेशा अपना सबसे बेहतरीन दें, न बहुत ज्यादा और न ही बहुत कम। अगर आप हमेशा अपना सबसे श्रेष्ठ प्रस्तुत करते हैं तो किसी के पास भी आप को judge करने का कोई तरीका नहीं होता है। और अगर आप खुद को judge नहीं करते हैं, तो आप किसी भी तरह से दोषी अनुभूति, दोष और स्वयं दंड (self-punishment) से बच सकते है। जब आप हमेशा अपना श्रेष्ठ करते हैं, तो आप सही तरीके से काम करते हैं।

अपना श्रेष्ठ करने का मतलब है काम करना लेकिन सिर्फ इसलिए क्योंकि आप इसे पसंद करते हैं, इसलिए नहीं क्योंकि आप किसी इनाम की उम्मीद कर रहे हैं। अगर आप बिना किसी इनाम की उम्मीद किए, सिर्फ पूरा करने के लिए ही काम करते हैं, तो आप अपने हर एक काम को करने की ख़ुशी हासिल कर लेते हैं।

इसके बाद इनाम तो आपके पास आएगा, लेकिन आप उस इनाम से जुड़े नहीं होंगे। अगर आप वो करते हैं जिसे आप करना पसंद करते हैं और अगर आप हमेशा अपना श्रेष्ठ करते हैं, तो आप वास्तव में अपनी जिंदगी का मजा लेना शुरू कर सकते है। जब आप अपना श्रेष्ठ करते हैं तो आप खुद को स्वीकार करना सीख जाते हैं।

अगर आप अपना श्रेष्ठ बार-बार देते हैं, तो आप बदलाव करने के master बन सकते है। यह आपको अपनी जिंदगी को सही ढंग से चलाने में मदद करता है क्योंकि आपने जो कुछ भी सीखा होता है, उसे आपने बार-बार दोहरा कर सीखा होता है। यह आपके लिए एक अच्छी आदत की तरह होगा जिसे आपको महीनों की कड़ी मेहनत से हासिल करना होता है।

अध्याय 9. एक नया सपना

जब आप खुद से चार समझौतें कर लेते है तो एक नया सपना बनाना शुरू करें, और यह आपके लिए संभव होता है। लेखक कहते है Moses ने इसे Promised Land कहा है, बुद्ध ने इसे Nirvana कहा, Jesus ने इसे स्वर्ग कहा, और Toltec ने इसे एक नया सपना कहा है।

चार समझौतें को अपनाने के लिए एक बहुत मजबूत इच्छाशक्ति रखे और इन समझौते के साथ अपनी जिंदगी को जीना शुरू करें। ऐसा करके आप धरती के स्वर्ग को हासिल कर सकते है।

इसके साथ ही इन चार समझौतें की इज्जत करें, इससे आप समाज के सपने से दूर होकर अपना सपना जी सकते है। जिससे आपको जो चाहिए वह आसानी से आपके पास आ जाता है क्योंकि आत्मा आपके जरिये से आजाद होकर चलने लगती है और आखिर में आज़ादी हासिल कर सकते है।

इसके साथ ही सबको प्यार की आँखों से देखे। इससे आप अपने आसपास के सच्चे प्यार को महसूस कर सकते है और समय के साथ आपका Mitote हमेशा के लिए ख़त्म हो सकता है। यही इंसान सदियों से ढूंढ रहे है। असल में खुशी ही खोया हुआ स्वर्ग है और बस यही मानवता का भविष्य है, जोकी आपको इन चार समझौतें को करने से ही हासिल हो सकता है। इसलिए आज ही इन चार समझौतें को अपने आप से करे।

निष्कर्ष

तो दोस्तों, इस किताब से हमने उन चार समझौतें के बारे में जाना जो हमारी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते है और हमें मानवता के सच्चे रास्ते तक पहुंचा सकते है।

जब आप इन चार समझौतें को अपनी जिंदगी में शामिल कर लेंगे तो आप दुनिया की सभी झूठी बातों से दूर हो जायेंगे और सच्चाई के रास्ते को हासिल कर पाएंगे जिससे आप खुशियों का नया सपना देख सकते है, जो असलियत में आपके लिए स्वर्ग होगा।

मुझे उम्मीद है आपने किताब को अच्छे से समझ लिया होगा और एक खुशहाल जीवन को पाने के लिए आप इन चार समझौतें को अपनी जिंदगी में लागू करेंगे।

The Four Agreements किताब की समीक्षा

Don Miguel Ruiz द्वारा “The Four Agreements” व्यक्तिगत स्वतंत्रता और खुशी के लिए एक परिवर्तनकारी guide है।

केवल 100 pages में, Ruiz “The Four Agreements” प्रस्तुत करते है जो हमारे अपने और हमारे आसपास की दुनिया को देखने के तरीके को बदल सकते हैं।

ये Agreements, अर्थात् अपने words के साथ त्रुटिहीन (impeccable) हों, व्यक्तिगत रूप से कुछ भी न लें, धारणाएँ (assumptions) न बनाएँ, और हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ करें, authenticity और आनंद का जीवन बनाने में profound insights प्रदान करते है।

Ruiz का संक्षिप्त और deep knowledge व्यक्तिगत विकास, self-mastery और spiritual ज्ञान के लिए एक व्यावहारिक roadmap के रूप में कार्य करता है। आंतरिक शांति और मुक्ति चाहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह किताब अवश्य पढ़ी जानी चाहिए।

धन्यवाद।

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