Karma Yoga

Karma Yoga (हिन्दी)

Swami Vivekananda की Karma Yoga एक ऐसी किताब है जो कर्म पर बात करती है। यह किताब हमे बताती है कि हमारे सभी कार्यों की प्रतिक्रिया होती है। तरकीब यह है कि इस तरह से काम करना सीखें जिससे अधिक दुख न हो। इस तरकीब को सीखने के लिए आगे पढ़ते रहें।

आज हम बात करने वाले है, कर्म के बारे में, Swami Vivekananda के विचारो को बताने वाली किताब “Karma Yoga” के बारे में।

Swami Vivekananda का असली नाम Narendranath Datta था। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को Kolkata में एक अमीर और धार्मिक बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने Presidency College से अपनी पढ़ाई पूरी की।

वे न केवल एक महान संत थे, बल्कि एक देशभक्त, एक महान philosopher और एक महान लेखक भी थे। 4 जुलाई, 1902 को ध्यान करते हुए, उनका स्वर्गवास हो गया।

Swami Vivekananda जी ‘कर्म’ की बात के लिए बहुत ज्यादा dedicated थे। उन्होंने हमेशा कहा, “किसी भी तरह के काम से निपटने के लिए, practical होने की जरूरत है। बहुत ज्यादा theory ने पूरे राष्ट्र को नष्ट कर दिया है।”

कर्मयोग में, उन्होंने ‘कर्म’ को मानसिक अनुशासन और ज्ञान बढ़ोतरी के guidance की तरह प्रस्तुत किया है। भगवत गीता के Facts को short में बताते हुए, Swami जी ने ‘कर्म’ के सार और जीवन में इसके importance को define किया है।

कर्म के बारे में आज हम उस महान ज्ञान पुरुष, महान आत्मा और युवाओं के inspiration के विचारों के बारे में बात करने जा रहे है।

तो चालिए फिर शुरु करते है।

हम कौन हैं ? उसके लिए हम उत्तरदायी हैं। हम जो भी बनना चाहें, वो बनने की शक्ति हममें है। अगर हमारा आज का रूप, हमारे पहले के कामो का परिणाम है, तो निश्चित रूप से ही, अपने आज के कामो द्वारा, हम अपना आने वाला कल भी बना सकते हैं, इसलिए हमें कर्म करना सीखना चाहिए।

कर्मयोग क्या है?

Karma Yoga by Swami Vivekananda

कर्मयोग को अक्सर, कारण और प्रभाव का योग, या बोने और काटने का योग कहा जाता है, लेकिन यह वास्तव में काम का योग है। कोई भी काम, कोई भी विचार, जिसके करने से कुछ होता है, कर्म कहलाता है। इस तरह कर्म के नियम का मतलब है, काम करना या action लेना।

क्योंकि जहां कहीं भी Action होता है, उससे कुछ न कुछ जरूर होता है। इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है, और कर्म का यह नियम, पूरे Universe में सच है।

कर्म योग एक मानसिक अनुशासन है, जो एक इंसान को ज्ञान के जरिये, अपने कामों को पूरे करते हुए, लोगों की सेवा करने के लिए कहता है। हम कर्म-योग से काम करने का रहस्य, काम करने का तरीका, और काम करने की शक्ति के बारे में सीखते हैं।

हम इससे सीखते हैं, कि इस दुनिया के सभी कामों का, सबसे अच्छा इस्तेमाल कैसे किया जाए। कर्मयोग हमें बताती है, कि संसार के बंधनों से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए, हमें धीरे-धीरे और निश्चित रूप से इसे समझने और अपनाने की जरूरत है।

Swami Vivekananda कहते हैं: कर्म शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब है “करने के लिए; सभी क्रिया कर्म है”।

तकनीकी रूप से इस शब्द का मतलब, कुछ काम करने से, किसी काम का होना भी होता है। लेकिन कर्म-योग में हमें कर्म शब्द से ही, मनचाहे results लेने होते है। इसलिए, सभी क्रियाएं कर्म हैं, सबसे basic कामों जैसे कि दांतों को brush करने से लेकर, ध्यान जैसी उच्चतम ऊंचाई वाले कामों तक।

कर्म योग का मतलब उन सभी human activities से है, जो focus, skill और चालाकी से की जाती हैं। और जिंदगी में मुक्ति का रास्ता, बिना कुछ मिलने के लालच के, अपने कर्तव्यों का पालन करना है।

भगवद गीता में श्री कृष्ण, अर्जुन और सभी मानव जाति को अपना काम सबसे ईमानदारी से और अपना best देते हुए और skill के साथ करने की सलाह देते हैं, बिना किसी लालच या पुरस्कार की उम्मीद के।

तो आइये Swami Vivekananda और भगवद गीता के इसी तरह के कर्म के बारे में precious विचारों के बारे में बात करते है।

अध्याय 1: कर्म और चरित्र पर Swami जी के विचार

Karma Yoga

Swami जी कहते है, कि यह मान लेना भूल है, कि ख़ुशी ही लक्ष्य है। दुनिया में हमारे जितने भी दुख हैं, उसका कारण यह है, कि इंसान नासमझी से ख़ुशी को ही, सबसे अच्छी condition बनाने की कोशिश करता है।

लेकिन एक समय के बाद वो पाता है, कि यह खुशी नहीं है, बल्कि ज्ञान है, जिसकी तरफ वह जा रहा है, और जिससे उसे सच में ख़ुशी मिलती है। और यह कि सुख और दर्द, दोनों महान शिक्षक हैं, और वह बुराई से उतना ही सीखता है, जितना कि सच्चाई से

जैसे-जैसे सुख और दुख उसकी जिंदगी के सामने से गुजरते हैं, वे उस पर अलग-अलग छाप छोड़ते हैं, और इन सारे छापों का result वह होता है, जिसे इंसान का “चरित्र” कहा जाता है।

अगर आप किसी भी इंसान के चरित्र को देखते हैं, तो वह वास्तव में अलग-अलग चीज़ो का जोड़ होता है। उसके दिमाग या सोचने के तरीके का योग है। आप पाएंगे कि उसके चरित्र को बनाने में दुख और खुशी दोनों जरूरी role play करते हैं।

Swami जी कहते है, कि चरित्र को बनाने में अच्छाई और बुराई का बराबर हिस्सा होता है, और कुछ मामलों में दुख, खुशी से बड़ा शिक्षक होता है। दुनिया ने जिन लोगों ने महान चरित्रों को बनाया है, उनके बारे में जानते समय, ज्यादातर मामलों में, यह पाया जाएगा, कि यह दुख था जिसने उन्हें खुशी से ज्यादा सिखाया। यह गरीबी थी जिसने उन्हें पैसों से ज्यादा सिखाया।

अब यहाँ पर फिर ये बात कि यह ज्ञान इंसान के अंदर ही है। कोई ज्ञान बाहर से नहीं आता। यह सब अंदर है। जो कुछ भी कोई इंसान innovation करता है, वो पहले से ही मौजूद है।

जैसे जब हम कहते हैं कि Newton ने gravitation की खोज की थी। तो हमें यहाँ, ये सोचने की जरूरत है, कि क्या वह कहीं कोने में बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था? या यह उनके ही दिमाग में आया और समय के साथ कर्म करके इसका पता लगा लिया।

संसार को अब तक जो भी ज्ञान प्राप्त हुआ है, वह सब मन से आता है। Universe की कभी न खत्म होने वाली library, आपके दिमाग में ही है। बाहरी दुनिया सिर्फ सुझाव, अवसर है, जो आपको अपने मन के बारे में जानने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन आपके सीखने का purpose, हमेशा आपके अपने मन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना होता है और ऐसा होना भी चाहिए।

एक सेब के गिरने से, Newton को gravity के बारे में idea मिला, और उन्होंने अपने मन के बारे में जानना शुरू किया। उन्होंने अपने मन में उससे related चल रहे विचार की, सभी पिछली कड़ियों को एक साथ जोड़ना शुरू किया और उनके बीच एक नई कड़ी की खोज की, जिसे हम gravity का नियम कहते हैं। यहाँ अगर हम सच में देखे, तो gravity सेब में नहीं थी और न ही पृथ्वी के केंद्र में या किसी भी और चीज में। वो ज्ञान, spirituality और इंसान के मन में थी।

कई मामलों में यह ढूंढा नहीं जाता है, लेकिन ढका रहता है, और जब उसके ऊपर चढ़ी अज्ञानता की परत को, धीरे-धीरे हटा दिया जाता है, तो इस तरह सीखते-सीखते, ज्ञान कि progress, इससे सीखने और सच्चाई का खुलासा करने के process से होती है। जिस इंसान से यह पर्दा हटाया जाता है, वह ज्यादा knowledgeable होता है। लेकिन जिस इंसान पर यह पर्दा पड़ा है, वह अज्ञानी है।

चमकीले पत्थर के टुकड़े में आग की तरह, मन में ज्ञान मौजूद है। और idea वह process है जो इसे बाहर लाता है। तो हमारी सभी feelings और कामों के साथ, हम हमारे आँसू और हमारी मुस्कान, हमारे सुख और हमारे दुख, हमारे रोने और हमारी हंसी, हमारे श्राप और हमारे आशीर्वाद, हमारी तारीफ और हमारी कमी, इनमें से हर एक को हम पा सकते है।

हर एक मानसिक और शारीरिक परेशानी, जो अपने आप को शक्ति और ज्ञान को हासिल करने के लिए दी जाती है, उसे कर्म कहते है। इस शब्द को अगर हम बड़े मतलब में इस्तेमाल करें, तो एक तरह से हम सभी काम या कर्म कर रहे हैं।

Swami जी कहते है कि, मैं तुमसे बात कर रहा हूं – यही कर्म है। तुम सुन रहे हो – यही कर्म है। हम सांस लेते हैं – यही कर्म है। हम चलते हैं – कर्म है । हम जो कुछ भी करते हैं, शरीर से या दिमाग से , वह कर्म है, और यह हम पर अपनी छाप छोड़ता है।

कुछ काम ऐसे होते हैं, जो शुरुआत में छोटे होते है और एक साथ बहुत बड़े बन जाते है। जैसे अगर हम समुद्र के किनारे खड़े हों और लहरों को तट से टकराते हुए सुनें, तो हमें लगता है कि यह कितना बड़ा शोर है। लेकिन ध्यान से देखने और सुनने पर हम जानते हैं, कि एक लहर वास्तव में लाखों और लाखों छोटी waves से बनी होती है, और इनमें से हर एक शोर कर रही होती है, और फिर भी हम इसे पकड़ नहीं पाते है।

इसी तरह, एक साथ छोटे छोटे कई सारे काम लगातार करते रहने से, हम इतने ताकतवर बन जाते है, कि इनके जरिये हम present या future में कुछ असंभव लगने वाली चीज़ को भी कर सकते हैं।

इसी तरह दिल की हर धड़कन, काम है। कुछ तरह के काम, जिन्हें हम महसूस करते हैं और वे हमारे लिए fix बन जाते हैं। वे एक ही समय में, कई छोटे कामों का योग हैं। इसलिए अगर आप वास्तव में किसी इंसान के चरित्र को देख कर उसके बारे में अच्छा या बुरा decide करना चाहते है, तो सिर्फ उनका महान दिखाई देने वाली values को न देखें, बल्कि दोनों पहलुओं को देखें। क्योंकि हर बेवकूफ कभी न कभी , किसी न किसी एक काम से hero बन सकता है।

एक आदमी को, अपने सबसे normal कामों को करते हुए देखें। क्योंकि वास्तव में यही चीजें हैं, जो आपको एक महान इंसान के वास्तविक चरित्र के बारे में बताएंगी।

महान अवसर, मनुष्य को भी किसी न किसी तरह से महान बनने के लिए inspire करते हैं। लेकिन वास्तव में वही महान इंसान हैं, जिनका चरित्र हमेशा महान होता है। मतलब जो अपने दिखावटी और अंदर के सभी कामों में ईमानदार होते है, चाहे वह कहीं भी हों।

हम वो हैं, जो हमारी सोच ने हमें बनाया है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें, कि आप क्या सोचते हैं। आप जो भी सोचते हो, वही आप हो। अगर आप अपने आप को कमजोर समझते हैं, तो आप कमजोर होंगे। अगर आप अपने आप को शक्तिशाली समझते हैं, तो आप शक्तिशाली होंगे। अगर आप अपने को कम समझते हो, तो आप किसी से कम हो जाओगे। अगर आप अपने आप को पवित्र समझते हैं, तो आप पवित्र होंगे।

सफल होने के लिए, आपके पास जबरदस्त determination, जबरदस्त इच्छा शक्ति होनी चाहिए। इसलिए लोग जो चाहें कहें, अपने विश्वास पर टिके रहें और विश्वास रखे, दुनिया आपके क़दमों में होगी। Vivekananada जी कहते है कि, कई लोग कहते है, कि इस साथी या उस साथी पर विश्वास करो। लेकिन, मैं कहता हूं, पहले खुद पर विश्वास करो। अगर आप पवित्र हैं। अगर आप मजबूत हैं, तो आप पूरी दुनिया के बराबर हैं।

अध्याय 2: हर कोई अपनी जगह पर महान है

कर्म के इस principle को सीखाते हुए Swami जी कहते है, कि कर्म-योग principle का एक हिस्सा है। Activity, housewife, husband, और इसी तरह हर किसी की अपनी activity के अनुसार duty होती है।

यह दिखाता है, कि किसी के लिए क्या duty नहीं है, और दूसरे के लिए वही duty है। साथ ही यह सोचना भी ठीक नहीं हैं, कि यह कर्तव्य छोटा है और दूसरा बड़ा है।

अगर कोई इंसान ईश्वर की पूजा करने के लिए दुनिया से संन्यास ले लेता है, तो उसे यह नहीं सोचना चाहिए, कि जो लोग दुनिया में रहते हैं और दुनिया की भलाई के लिए काम करते हैं, वे भगवान की पूजा नहीं कर रहे हैं। न ही दुनिया में रहने वाले, पत्नी और बच्चों को उनके बारे में ऐसा सोचना चाहिए, कि जो संसार को त्याग देते हैं, वे नीच या आवारा हैं।

क्योंकि हर एक का अपने और लोगों के जीवन में, अपनी-अपनी जगह और value है, जिसे वो ही सिर्फ अपने कामों के जरिये पूरा कर सकते है।

अध्याय 3: कर्म का राज

दूसरों की शरीर से मदद करना, उनकी शरीर की ज़रूरतों को दूर करना, वास्तव में महान है। लेकिन ऐसी मदद जितनी बड़ी है और जितनी दूर तक मदद की गयी है, उतना ही दुसरे का फायदा कर सकती है।

अगर एक घंटे के लिए, किसी की कमी को दूर किया जा सकता है, तो यह वास्तव में उसकी मदद है, लेकिन अगर ऐसी situation में उसकी जरूरत को एक साल के लिए दूर की जा सकती है, तो यह उसके लिए ज्यादा सहायक होगा। लेकिन अगर किसी तरीके से, उसकी इच्छाएं हमेशा के लिए दूर की जा सकती हैं, तो यह definitely सबसे बड़ी मदद है, जो उसे दी जा सकती है।

Karma Yoga book

और spiritual ज्ञान ही एकमात्र ऐसी चीज है, जो हमारे दुखों को हमेशा के लिए ख़त्म कर सकता है। कोई दूसरा ज्ञान, सिर्फ कुछ समय के लिए ही जरूरतों को पूरा करता है। आत्मा के ज्ञान से ही, जिंदगी में हमेशा कुछ न कुछ कमी होने की परेशानी या negative शक्ति हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है।

इसलिए इंसान को spiritual तरीके से मदद करना, सबसे बड़ी मदद है, जो उसे दी जा सकती है। वह जो लोगों को spiritual ज्ञान देता है, वह मानव जाति का सबसे बड़ा फायदा पहुंचने वाला है और इस तरह हम हमेशा पाते हैं, कि वे सबसे शक्तिशाली लोग थे और हैं, जिन्होंने लोगों को उनकी spiritual जरूरतों में मदद की, क्योंकि spiritual जीवन ही, हमारी सभी activities का सच्चा base है। एक spiritual रूप से मजबूत और स्वस्थ इंसान, अगर वह चाहे तो हर मामले में मजबूत होगा।

जब तक इंसान में spiritual शक्ति नहीं होगी, तब तक शारीरिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो सकतीं। Spiritual के पहले मानसिक सहायता आती है। ज्ञान का gift, भोजन और कपड़ों की तुलना में कहीं अच्छा और उम्दा gift है। यह इंसान को जीवन देने से भी बढ़कर है, क्योंकि इंसान का वास्तविक जीवन, ज्ञान से ही है। अज्ञान ही मृत्यु है, ज्ञान ही जीवन है। जीवन बहुत कम मूल्य का है, अगर यह अज्ञानता के अंधेरे में जीवन है। अगला stage आता है, एक आदमी की gracefully मदद करना।

इसलिए, दूसरों की मदद करने के सवाल पर सोचते हुए, हमें हमेशा यह सोचने की गलती नहीं करनी चाहिए, कि शारीरिक मदद ही, एकमात्र मदद है जो दी जा सकती है।

यह न सिर्फ अंतिम है, बल्कि सबसे छोटी भी है, क्योंकि यह किसी की जिंदगी में permanent satisfaction नहीं ला सकता है। किसी का दुख तभी समाप्त हो सकता है, जब वो सभी चाहतों से संतुष्ट हो जाए।

तब भूख उसे दुखी न करेगी; कोई संकट, कोई दुख उसे हिला नहीं पाएगा। तो, वह सहायता, जो हमें spiritual रूप से मजबूत बनाती है, वह सबसे ऊंची है, उसके बाद मानसिक सहायता आती है, और उसके बाद शारीरिक सहायता आती है।

अध्याय 4: कर्तव्य क्या है?

कर्म-योग के बारे में पढ़ते समय, यह जानना जरूरी है कि कर्तव्य क्या है। अगर मुझे कुछ करना है, तो पहले मुझे पता होना चाहिए, कि यह मेरा कर्तव्य है, और फिर ही मैं इसे कर सकता हूं। अलग-अलग देशों में, फिर से कर्तव्य का विचार अलग है।

मुसलमान कहते है, कि उनकी किताब Quran में जो लिखा है, वह उनका कर्तव्य है। हिंदू कहते है, कि Ved में जो है वह उनका कर्तव्य है। और ईसाई कहते है, कि Bible में जो है वह उनका कर्तव्य है।

इस तरह हम पाते हैं, कि कर्तव्य के बारे में अलग-अलग सोच हैं। जीवन में अलग-अलग situations, अलग-अलग ऐतिहासिक कामों और अलग-अलग राष्ट्रों के अनुसार, यह अलग-अलग हैं।

शब्द “कर्तव्य”, हर दूसरे सभी के लिए सच और एक शब्दों की तरह, साफ़ तरीके से define करना असंभव है। हम इसके practical operations और परिणामों को जानकर ही इसका अंदाजा लगा सकते हैं।

जब कुछ चीजें हमारे सामने होती हैं, तो हमारे पास उनके लिए, एक fixed तरीके से काम करने के लिए, एक natural या सीखा हुआ तरीका होता है। जब यह तरीका आता है, मन उस situation के बारे में सोचने लगता है।

कभी-कभी यह सोचता है, कि दी गई शर्तों के तहत, एक विशेष तरीके से कार्य करना अच्छा है। कभी-कभी यह सोचता है, कि समान situations में भी, एक ही तरीके से कार्य करना गलत है।

पिछली शताब्दी में, भारत में लुटेरों के कुख्यात गिरोह थे जिन्हें ठग कहा जाता था। उन्होंने इसे अपना कर्तव्य समझा। किसी इंसान को मार डालने के लिए जो वे कर सकते थे, उन्होंने किया और उनका धन छीन लिया। जितने ज्यादा लोगों को उन्होंने मार डाला, वे उसे उतना ही बेहतर सोचते थे।

Normally अगर कोई इंसान सड़क पर जाता है और किसी दुसरे इंसान को गोली मार देता है, तो वह यह सोचकर insulted हो सकता है, कि उसने गलत किया है। लेकिन अगर वही आदमी, अपनी regiment में एक सैनिक के रूप में, एक नहीं बल्कि बीस को मारता है, तो वह definitely खुश होगा और सोचेगा, कि उसने अपना कर्तव्य का पालन बहुत अच्छी तरह से किया है।

Karma Yoga by Swami Vivekananda

इसलिए हम देखते हैं, कि यह सिर्फ किया गया काम नहीं है, जो एक कर्तव्य को define करता है। इस तरह कर्तव्य की fix परिभाषा देना पूरी तरह impossible है। कोई भी काम जो हमें ईश्वर की ओर ले जाता है, वह एक अच्छा काम है, और यह हमारा कर्तव्य है। कोई भी काम जो हमें नीचे की ओर ले जाता है वह बुरा है, और हमारा कर्तव्य नहीं है।

Individual नज़रिये से हम देख सकते हैं, कि कुछ कामों में हमें ऊंचा और इज़्ज़तदार करने की ताकत होती है। जबकि कुछ दुसरे कामों में हमें नीचा दिखाने और हमारे साथ बुरा करने का trend होता है। हालाँकि, कर्तव्य का केवल एक ही विचार है, जिसे सभी मानव जाति, सभी युगों और धर्मो और देशों द्वारा सच्चाई की तरह माना है, और जिसे संस्कृत में इस तरह बताया गया है: “किसी भी प्राणी को चोट न पहुँचाना पुण्य है, किसी भी प्राणी को चोट पहुँचाना पाप है।”

अध्याय 5: हम अपनी मदद करते है, दुनिया की नहीं

दूसरों के लिए हमारे कर्तव्य का मतलब है, दूसरों की मदद करना; दुनिया का भला करना। लेकिन हमें दुनिया का भला क्यों करना चाहिए?

जाहिर तौर पर दुनिया की मदद करने के लिए। लेकिन वास्तव में खुद की मदद करने के लिए। हमें हमेशा दुनिया की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए। यही हमारा सबसे बड़ा मकसद होना चाहिए।

लेकिन अगर हम अच्छी तरह से सोचें, तो हम पाते हैं, कि दुनिया को हमारी मदद की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। यह दुनिया इसलिए नहीं बनी है, कि आप या मैं आकर इसकी मदद करें।

हमें अच्छा करना चाहिए, क्योंकि अच्छा करने की इच्छा, हमारे पास सबसे बड़ी प्रेरक शक्ति है। अगर हम हर समय ये जानते हैं, कि दूसरों की मदद करना भगवान की तरफ से दिया गया, हमें एक special right है।

इसलिए किसी ऊँची जगह पर खड़े होकर, पाँच रुपए अपने हाथ में लेकर यह मत कहो, कि “ये लो, गरीब आदमी”। बल्कि आभारी रहो, कि वो गरीब आदमी है, ताकि उसे gift देकर, आप अपनी मदद कर सकें। क्योंकि वो लेने वाला नहीं है, जो धन्य है, बल्कि देने वाला है।

इसलिए आभारी रहें, कि आपको दुनिया में लोगों की भलाई करने और दया की शक्ति का इस्तेमाल करने की ताकत और permission दी गई है, और इस तरह से सोचने और काम करने पर, आप पवित्र और परिपूर्ण, यानि सभी इच्छाओ को पूरा कर लेने वाले इंसान बन सकते हैं।

यही एकमात्र तरीका है, जिससे हम परिपूर्ण बन सकते हैं। कोई भी भिखारी, जिसकी हमने मदद की है, उसका हम पर एक प्रतिशत भी बकाया नहीं है; बल्कि हम सब कुछ उसी के कर्जदार हैं, क्योंकि उसने हमें अपने ऊपर अपना दान करने की permission दी है।

यह सोचना पूरी तरह से गलत है, कि हमने दुनिया का भला किया है या कर सकते हैं, या यह सोचना, कि हमने ऐसे और ऐसे लोगों की मदद की है। क्योंकि यह एक बेवकूफी से भरा विचार है, और सभी मुर्ख विचार दुख लाते हैं। हम सोचते हैं, कि हमने किसी आदमी की मदद की है और उम्मीद करते हैं कि वह हमें धन्यवाद देगा, और अगर ऐसा वह नहीं करता है, दुख हमारे पास आता है।

हम जो करते हैं उसके बदले में हमें किसी चीज की उम्मीद क्यों करनी चाहिए?

Karma Yoga summary

आप जिस आदमी की मदद करते हैं, उसके प्रति आभारी रहें, उसे भगवान के रूप में सोचें। क्या अपने साथ के लोगों की मदद करने के जरिये, भगवान की पूजा करने की permission मिलना, एक बड़े सम्मान की बात नहीं है?

अगर हम वास्तव में, बिना बदले में कुछ मिलने की चाहत करने वाले होते, तो हमें फालतू की उम्मीद के, इस सारे दर्द से बचना चाहिए, और खुशी-खुशी दुनिया में अच्छा काम करते रहना चाहिए। और बिना उम्मीद के किए गए काम से, कभी भी दुख नहीं आएगा। दुनिया अनंत काल तक, अपने सुख और दुख के साथ चलती रहेगी।

अध्याय 6: आज़ादी

High level तरह के लोग, चुपचाप सच्चे और महान विचारों को इकट्ठा करते हैं, और दुसरे – बुद्ध और Christ – एक जगह से दूसरी जगह पर जाते हैं, और उनका प्रचार करते हैं और उनके लिए काम करते हैं। Gautam Buddha के जीवन में, हम उन्हें लगातार यह कहते हुए देखते हैं, कि वे 25th Buddha हैं।

उनसे पहले के चौबीस, इतिहास के लिए अनजान हैं, हालांकि Buddha को पता था, कि इतिहास उनके जरिये रखी गई नींव पर बना होगा। सबसे महान लोग शांत, मौन और अनजान होते हैं।

वो, वे लोग हैं, जो वास्तव में विचार की शक्ति को जानते हैं और उन्हें यकीन है, कि भले ही वे एक गुफा में जाएं और दरवाजा बंद कर दें और सिर्फ पांच सच्चे विचार सोचें और फिर चले जाएँ। उनके ये पांच विचार अनंत काल तक जिंदा रहेंगे।

Definitely ऐसे विचार पहाड़ो में प्रवेश करेंगे, समुद्रों को पार करेंगे और संसार में फैलेंगे। वे इंसान के दिल और दिमाग में गहराई से enter करेंगे और पुरुषों और महिलाओं को ऊपर उठाएंगे, जो उन्हें इंसानी जीवन के कामकाज में अच्छा करने के लिए, practical guidance देंगे। ऐसे active होने और लड़ने के लिए, काम करने, संघर्ष करने, उपदेश देने और अच्छा करने के लिए, भगवान के बहुत करीब हैं, जैसा कि वे कहते हैं, की यहां जमीन पर वो मानवता के लिए आए हैं ।

Actively action लेने वाले, चाहे कितने ही अच्छे क्यों न हों, उनमें अभी भी अज्ञानता का कुछ हिस्सा बाकी है। ये सोचने और ढूंढने पर, कि हमारे ज्ञान में अभी भी कुछ कमियां बाकी हैं, तभी हम काम कर सकते हैं।

जिनकी पूरी चाहतें आत्मा में समा गई है, जिनकी इच्छाएं आत्मा में ही सिमटी हुई हैं। जो हमेशा आत्मा से जुड़ गए हैं, उनके लिए कोई दूसरा काम कर्तव्य नहीं है। ऐसे ही लोग, वास्तव में मानव जाति में सबसे ऊंचे हैं। लेकिन उनके अलावा बाकी सभी को काम करना होता है।

इतना काम करते हुए, हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए, कि हम इस Universe में छोटी से छोटी चीज पर भी मदद कर सकते हैं। वास्तव में सच्चाई तो ये है, कि हम नहीं कर सकते। बल्कि, हम दुनिया के इस practice ground में केवल अपनी मदद करते हैं।

अगर हम इस सोच से काम करते हैं, अगर हम हमेशा याद रखें, कि इस तरह काम करने का हमारा आज का अवसर, एक special right है, जो हमें दिया गया है, तो हम कभी भी किसी भी चीज़ से नहीं जुड़ेंगे। आपके और मेरे जैसे लाखों लोग सोचते हैं, कि हम दुनिया के महान लोग हैं। लेकिन हम सब मर जाते हैं और पांच मिनट में दुनिया हमें भूल जाती है। लेकिन भगवान का जीवन अनंत है।

“कौन एक पल जी सकता है, एक पल सांस ले सकता है, अगर यह सबसे शक्तिशाली नहीं बनाता है?” वह ,जो हमेशा active providence है। सारी शक्ति उसी की है और उनके order के under है। उसी की आज्ञा से हवा चलती है, सूरज चमकता है, पृथ्वी रहती है, और मौत आती है। वह सब में है। हम सिर्फ उनकी पूजा कर सकते हैं।

इसलिए काम के सभी फल छोड़ दो; अपने लिए अच्छा करो; तभी Fulfillment आएगी। इस तरह दिल के बंधन टूट जाएंगे, और हम पूरी तरह आज़ाद महसूस करेंगे। यही मुक्ति, वास्तव में कर्म-योग का लक्ष्य है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों ये है, कर्म पर Swami Vivekananda जी के विचार। हमें उम्मीद है कि आपने कर्म के बारे में कई सारी जरूरी बातें सीखी। अब इन्हें अपनी जिंदगी में अपनाये और अपने कर्मो की quality को बेहतर बनाते हुए, अपनी जिंदगी की और बढ़ते चलें।

Karma Yoga किताब की समीक्षा

Swami Vivekananda द्वारा “Karma Yoga” एक आध्यात्मिक किताब है जो निःस्वार्थ कार्य के मार्ग की तलाश करती है।

Vivekananda Karma Yoga की concept और आज के जीवन में इसकी प्रासंगिकता (relevance) की व्याख्या करते हैं। वह निस्वार्थ सेवा की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देते है और यह बताते है कि यह कैसे आध्यात्मिक विकास और प्राप्ति की ओर ले जा सकता है।

यह किताब निःस्वार्थता को रोजमर्रा के कार्यों में integrate करने पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करती है और एक उच्च उद्देश्य के लिए detachment और समर्पण के महत्व पर प्रकाश डालती है। प्राचीन ज्ञान और आधुनिक प्रासंगिकता के मिश्रण के साथ, “Karma Yoga” एक पूर्ण और उद्देश्यपूर्ण जीवन चाहने वालों के लिए मूल्यवान insights प्रदान करती है।

धन्यवाद।

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