आज हम बात करेंगे एक बहुत दिलचस्प (interesting) किताब के बारे में जिसका नाम है, The Art of Dealing with People, और इसको लिखा है “Les Giblin” ने।
ये किताब हमें हमारे जीवन के लक्ष्य को पाने में मदद करती है, और लोग अपने अहंकार कैसे संभाले, बातचीत में कैसे अच्छे बने, और लोगों को उनके बारे में अच्छा कैसे महसूस करवाया जाए ये सब सिखाती है।
ये किताब मैंने खुद पढ़ी है और मुझे यकीन है कि इस किताब में दी गई बातों पे अमल करके आप लोगों से व्यवहार की कला में माहिर हो सकते है।
मानवीय संबंधों (human relations) के बारे में रचनात्मक (creatively) रूप से सोचना
हम सब लोगों को जिंदगी में दो चीज चाहिए- सफलता और खुशी, और इन दोनों चीजों का एक common कारण है – दूसरे लोग ।
अगर हमने लोगों के साथ व्यवहार करने का सही तरीका सीख लिया तो किसी भी काम की सफलता की राह पर 85% आगे और खुद की खुशी में 99% आगे तक पहुंच सकते हैं ।
मानवीय संबंध लोगों के साथ इस तरह से व्यवहार करने का वो विज्ञान है जहां हमारे अहंकार और उनके अहंकार में टकराव नहीं होता है। असली सफलता और संतुष्टि लोगों के साथ मिल-जुल्के चलने में ही आती है।
90% से ज्यादा लोग अपनी जिंदगी में सफल नहीं हो पाते क्योंकि वो लोग, लोगों के साथ व्यवहार करने की कला को समझ नहीं पाते। अगर हम ये सोचे कि सबसे ज्यादा सफल और सबसे ज्यादा खुश रहने वाले वो लोग है जो लोगों के साथ व्यवहार में माहिर हैं।
हम लोगों को मजबूर नहीं कर सकते हैं कि वो हमें पसंद करे या हम ये कभी समझ ही नहीं पाते कि लोगों को चाहिए क्या, क्योंकि हमने कभी लोगों के साथ व्यवहार की कला में माहिर होने की कोशिश ही नहीं की।
लोगों के साथ संबंधों में सफलता हासिल करना, किसी और field में सफलता हासिल करने जैसा ही है। यहां भी सफलता कुछ सिद्धांतों (principles) को समझने और उनमें माहिर होने पर निर्भर करती है। सिद्धांत सब वही है फिर भी हमसे मिलने वाला हर इंसान अलग है।
लोगों को प्रभावित करना एक कला है, कोई चालाकी नहीं है। इस किताब को लिखने का कारण, लोगों के स्वभाव को समझना है, ये समझना की लोग उस तरह काम क्यों करते हैं, जिस तरह वो करते हैं। हम अपने जीवन से जो भी चाहते हैं उसे पाने का एक सफल तरीका है, लोगों के साथ व्यवहार में सफलता हासिल करना।
मानवीय अहंकार (human ego) को समझना
अहंकार एक नकारात्मक शब्द समझा जाता है क्योंकि ये गलत चीज करवाता है लेकिन अगर हम इस शब्द के दूसरे पहलू पर गौर करे, तो ये शब्द लोगों को महान या नायकों जैसा काम भी करवा सकता है।
Edward Bok जो एक संपादक (editor) होने के साथ मानववादी (humanitarian) भी हैं मानते है कि अहंकार इंसान के अंदर की एक चिंगारी है, और जो लोग अपने अंदर की इस चिंगारी को जला लेते हैं वो महान काम कर पाते हैं।
हम लोगों के साथ मशीन जैसा व्यवहार नहीं कर सकते है क्योंकि हर कोई अपने आप में अलग और खास है और सभी लोगों में अपने सभी दुश्मनों से अपने आत्मसम्मान को बचाने की हिम्मत मौजूद होती है।
चार चीजें जो हमें अपने जीवन में पूरी तरह से उतार लेनी चाहिए:
1. हम सभी अहंकारी होते है।
2. जितनी रुचि हम अपने आप में रखते हैं, उतनी रुचि हम किसी दूसरी चीज में नहीं रखते।
3. जिस भी इंसान से हम मिलते है वो खास महसूस करना चाहता है।
4. हर इंसान दूसरों का अनुमोदन (approval) चाहता है, ताकी उसे खुद का अनुमोदन भी मिल सके।
यदि हमारे खुद के साथ अच्छे संबंध है, तो हमारे दूसरों के साथ भी अच्छे संबंध होंगे। जब हम खुद को पसंद करना शुरू कर देते हैं तो हम दूसरों को भी पसंद कर पाते है।
अहंकार की भूख उतनी ही सही है जितनी खाने की भूख। शरीर को जिंदा रहने के लिए भोजन की जरूरत है और अहंकार को चाहिए सम्मान, अनुमोदन (approval) और उपलब्धियों (achievement) का एहसास।
जब कोई इंसान एक-दो दिन के लिए भूखा रहे तो उसमें बदलाव आने लगते हैं, उसे कुछ अच्छा नहीं लगता और वो लोगों पर गुस्सा करने लगता हैं। जो लोग खुद पर focus करते हैं उन लोगों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है। एक सही आदमी के लिए खुद का अनुमोदन किया जाना बहुत जरूरी है।
जब आत्मसम्मान (self esteem) high हो तो लोगों के साथ तालमेल बिठाना आसान होता है। उस वक्त लोग खुश होते हैं और वो दूसरों की सोच को सुनने के लिए तैयार रहते हैं और वो दूसरों की जरूरतों को भी समझ पाते हैं।
लेकिन जब आत्मसम्मान low होती है तो मुश्किलें हावी होने लगती हैं और ये बहुत ज्यादा नीचे होने पर लगभग हर चीज मुश्किल बना सकती है। इस तरह के लोगों से निपटने के लिए उनको उनके बारे में अच्छा महसूस कराये, उनके बारे में अच्छी बातें ढूंढे जिन बातों की तारीफ की जा सके।
हर दिन कम से कम पांच सच्ची तारीफें करने की आदत बनाए और आप देखेंगे की किस तरह ये आदत आपको दूसरे लोगों के साथ संबंध को सुधारने में मदद करेगी। दूसरों की मदद करे ताकी वे खुद को पसंद कर सके।
अध्याय 3 – दूसरों को महत्वपूर्ण महसूस कराने का महत्व
लोगों के साथ संबंधों के मामले में हम सब लखपति हैं, लेकिन हमें ये पता ही नहीं है कि हमारे पास ऐसी कोई दौलत भी है। दूसरे लोगों को महसूस करवाना की वो बेहतर है ये ताकत हमारे पास है। हमें अपनी इस दौलत और ताकत का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ये दौलत और ताकत कभी खत्म नहीं होगी।
हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि सफल और प्रसिद्ध (famous) लोगों को important होने के एहसास की कोई जरूरत नहीं है। हमें ये महसूस करने की जरूरत है कि सामने वाले हमारी importance को जानते और मानते हैं। कोई भी इंसान अपनी importance को कायम नहीं कर सकता है अगर उससे मिलने वाला इंसान उसे important होने का एहसास न करवाए।
दूसरे के साथ diplomatic संबंध बनाने के लिए हमें सामने वाले इंसान को अहमियत देनी चाहिए।
Les Giblin ने इस अध्याय में लोगों में असंतोष (dissatisfaction) के मुख्य कारण बताए हैं जो इस प्रकार हैं:
1. सुझाव (suggestions) के लिए क्रेडिट ना दे पाना।
2. शिकायतें दूर न कर पाना।
3. प्रोत्साहित (encourage) न कर पाना।
4. दूसरों के सामने लोगों की बुराई करना।
5. लोगों से उनके सुझाव मांगने में असफल होना।
6. लोगों को उनकी ग्रोथ (growth) के बारे में ना समझा पाना।
7. एहसान (favour) करना।
Les दूसरे को महत्वपूर्ण महसूस कराने के चार तरीकों के बारे में बताते हैं:
1. पहला नियम ये है कि अपने अंदर पूरा विश्वास कर ले की हर इंसान महत्वपूर्ण है। हम दूसरे लोगों को अच्छा महसूस नहीं करवा सकते अगर मन ही मन हम उनके बारे में अच्छा नहीं सोचते।
2. हम सिर्फ उन चीजों पर गौर करते हैं जो हमारे लिए जरूरी हैं, लेकिन जब कोई हमपे गौर करता है तो वो हमारी प्रशंसा करता है। वो हमारी अहमियत समझते है और हमारा मनोबल बढ़ाते हैं और रिजल्ट ये होता है कि हम उनका सहयोग करते हैं और उनसे हमारी बहुत अच्छी दोस्ती हो जाती है। तो हमें लोगों पे गौर करना चाहिए और महत्व देना चाहिए ।
3. यदि हम दूसरों पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं तो सबसे प्रभावशाली (effective) तरीका है उन्हें ये जता देना कि हम उनसे प्रभावित (impressed) हैं, लेकिन जब हम लोगों से प्रतियोगिता (competition) करना शुरू कर देते हैं तो वो हमें बेवकूफ समझते हैं ।
4. जब हम दूसरों को सही करते हैं या उनका विरोध करते हैं तो आमतौर पे ये किसी समस्या को सुलझाने के लिए नहीं करते बल्कि अपनी महत्व (importance) की भावना को बढ़ाने के लिए करते हैं। लेकिन हमें खुद से पूछना चाहिए कि वो सही है या गलत इससे किसी को खास फर्क नहीं पड़ता। हमें यह समझना पड़ेगा कि हम हर लड़ाई नहीं जीत सकते हैं और हमें ऐसी कोशिश भी नहीं करनी चाहिए।
दूसरों के कार्यों (actions) और रवैया (attitudes) को नियंत्रित (control) करना
हम लोग दूसरों को control करने के लिए ताकत का इस्तेमाल करते है, लेकिन हमें पता नहीं होता कि हम इस ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने खिलाफ कर रहे हैं। हर एक इंसान दूसरे के कामों को प्रभावित या control करने की कोशिश करता है, हमें वही नजरिया अपनाना चहिए जिसे हम दूसरों में देखना चाहते है।
लोगों के साथ व्यवहार में हम दूसरे लोगों में खुद के नजरिए की झलक देखते हैं। ये एक शीशे के सामने खड़ा होने जैसा है – जब हम हस्ते है, तो शीशे में खड़ा इंसान भी हस्ता है, जब हम गुस्सा करते हैं, तो शीशे वाला इंसान भी गुस्सा करता है और जब हम चिल्लाते हैं तो वह भी पलटकर चिल्लाता है ।
Confident behave करने से लोगों को confidence दिया जा सकता है और अगर हम अपने ऊपर विश्वास करें या ऐसा काम करें जिसमें हमें खुद में विश्वास हो तो दूसरे लोग भी हम पे विश्वास करने लगेंगे ।
खुद पर विश्वास कई तरीकों से दिखाया जा सकता है। हम ये कभी नहीं सोचते की हमें किसी खास इंसान पर ही विश्वास क्यों होता है, इसका कारण है कि, कहीं न कहीं हम कुछ छोटी-छोटी चीजों से लोगों को जज (judge) करने लगते हैं ।
1. अपनी चाल पे गौर करें, क्योंकि हमारी शारीरिक चाल-ढाल हमारे मानसिक नजरिए को दिखाती है। जब हम किसी को झुके हुए कंधो के साथ चलते हुए देखते हैं, जो अपने ऊपर के बोझ को उठा नहीं पा रहे, वो हताशा या निराशा का बोझ उठाते हुए दिखते है। लेकिन confidence से भरा इंसान साहस के साथ कदम उठाता है, उनके कंधे तने हुए होते हैं और उनकी आंखें सीधी अपने लक्ष्ये पे होती है जिसको पाने का पूरा विश्वास उन्हें होता है ।
2. हमारे हाथ मिलाने का अंदाज़ – ढीले तरीके से हाथ मिलाने वाले इंसान का आत्मविश्वास बहुत कम होता है। जो हाथ को थोड़ा सा दबाते हुए दृढ़ता से हाथ मिलाये वह ये संदेश देता है कि उसकी चीजों पे पकड़ है और वो उसका आत्मविश्वास भी दर्शाता है।
3. अपनी आवाज़ के लहज़े को सुधारे – हम आवाज़ के जरिए जितना ज्यादा खुद को express कर सकते हैं, उतना किसी और तरीके से नहीं कर सकते। हमारी आवाज में निराशा नहीं झलकनी चाहिए, हर समय रोने या शिकायत करने की आदत से बचना चाहिए, हमें आत्मविश्वास से बात करते हुए अपने साहस को झलकाना चाहिए।
4. अपनी मुस्कान की जादूई ताकत का इस्तेमाल करें – एक सच्ची मुस्कान दूसरों में दोस्ती की भावना को जगा देती है। मन से हंसे नाकी सिर्फ चेहरे से। हम सबको मिली एक अच्छी मुस्कान एक गिफ्ट है, हमें इस गिफ्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए।
एक अच्छा प्रभाव बनाना
हम जिस तरीके से दूसरे लोगों से मिलते है, हमारे शब्द और action मुलाकात का माहौल तैयार कर देते है। अगर हम कारोबार से संबंधित बात कर रहे हैं तो बात कारोबार से संबंधित ही शुरू करें या अगर कुछ और अनौपचारिक (informal) बात करना चाहते हैं तो बात को वैसे ही शुरू करें।
जब भी हम किसी से बात करते हैं तो हम एक तरह से एक चरण (stage) तैयार कर रहे होते हैं। अगर हमने मज़ाक का माहौल तैयार किया है तो गंभीर मत होइए, और अगर कोई त्रासदी (tragedy) या दुख की बात हो रही है, तो लोगों से हसीं मजाक की उम्मीद ना करें।
किसी बात को शुरू करने से पहले खुद से कुछ सवाल पूछे जैसे कि मैं इस बात से क्या चाहता हूं? मेरे दिमाग में क्या होना चाहिए? फिर उस हिसाब से वैसे माहौल का मंच (stage) तैयार करें।
दुनिया हमारे बारे में वही राय बनाती है जो राय हम अपने बारे में रखते हैं। अगर हम अपने बारे में ये opinion रखते हैं कि हमारी दुनिया में कोई कीमत (value) नहीं है तो दुनिया हमें वही समझती है। लेकिन जब हम खुद को खास समझते हैं तो दुनिया के पास भी हमें खास समझने के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं होता। हम जब भी किसी चीज को judge करते हैं तो हम दुनिया को भी हमें judge करने का मौका देते हैं ।
कुछ भी बेचते समय, अगर हम अपनी संभावनाएं (possibility) की हां सुनना चाहते हैं, तो हां की मनोदशा या सकारात्मक माहौल तैयार करें। ऐसे सवाल पूछिए की संभावनाएं हा ही बोले, जैसे ये रंग कितना सुंदर है ना? ये कलाकारी कितनी शानदार है ना? अगर शुरूवात छोटे सवालो की हां लेके की जाए तो बाद में बड़े सवालों का जवाब भी हां ही आएगा।
स्वीकृति (acceptance) , अनुमोदन (approval) और प्रशंसा (appreciation) के साथ लोगों को आकर्षित करना
हमारी जिंदगी में कुछ ऐसे लोग होते हैं या हम कुछ ऐसे लोगों को जानते हैं जो बहुत ही प्राकृतिक (natural) तरीके से लोगों को अपना दोस्त बना लेते हैं या ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। ये लोग Triple-A formula का उपयोग करते है ।
1. स्वीकृति (Acceptance) – ये जरुरी है कि हम लोगों को वैसे ही स्वीकार करें जैसे की वो हैं। किसी को पसंद करने से पहले, उनपे बदलने का या बेहतर बनने का दबाव ना डालें। जो लोग दूसरे को वैसे ही स्वीकर करते हैं जैसे कि वो हैं, उन लोगों के पास ही दूसरों को बदलने की ताकत होती है। हमारे पास लोगों को बदलने की ताकत नहीं है लेकिन अगर हम लोगों को जैसे वे है वैसे ही पसंद करते हैं तो हम उन लोगों को ये ताकत देते हैं कि वो खुद को बेहतर के लिए बदल सके।
2. अनुमोदन (Approval) – अनुमोदन थोड़ा ज्यादा सकारात्मक है क्योंकि इसका मतलब सिर्फ खामियों (faults) को सहन करना नहीं है बल्कि दूसरों में ऐसी चीज ढूंढना है जिसे हम पसंद कर सके। हम अनुमोदन के लिए दूसरों में कोई ना कोई चीज हमेशा ढूंढ सकते हैं। जब हम लोगों का अनुमोदन करते हैं तो लोग अपने आप को बेहतर के लिए बदलने लगते है ताकि उन्हें दूसरी चीजों का भी अनुमोदान मिल सके। लोग खुशी से चमकने लगते हैं जब हम दूसरों में तारीफ करने वाली चीजों को ढूंढ के उनकी तारीफ करते है ।
3. प्रशंसा (Appreciation) – तारीफ शब्द का मतलब है लोगों की महत्व को बढ़ाना। ये बैठ के सोचे कि दूसरे लोग हमारे लिए कितने जरूरी हैं चाहे वो हमारी wife हो, husband हो, बच्चे हो, worker हो या customer हो। तरीके ढूंढे लोगों को ये बताने के लिए कि वो आपके लिए कितने जरूरी है :
- लोगों को इंतजार ना करवाए।
- अगर कोई ऐसा है जिससे आप तुरंत नहीं मिल सकते तो उनको बताए कि आप उनसे जल्दी ही मिलेंगे।
- लोगों को धन्यवाद करना सीखे।
- लोगों को खास महसूस करवाए।
हमें भी लोगों को आकर्षित (attract) करने के लिए Triple-A formula को अमल में लाना चाहिए।
प्रभावी (effective) ढंग से संवाद (communicate) करना सीखे
वो एक चीज़ जो सभी सफल लोगों में common होती है वो है शब्दों का सही इस्तेमाल। आय (income) और शब्दों का इस्तेमाल आपस में जुड़ा हुआ है। अगर हम अपनी शब्द की ताकत को बढ़ा ले तो हम ये विश्वास कर सकते हैं कि हमारी आय भी बढ़ जाएगी ।
कुछ लोग इसलिए दुखी रहते हैं क्योंकि वो अपने को express नहीं कर पाते, या वो अपने विचार या भावनाएं को बोतल में बंद करके रखते हैं। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि वो ये नहीं जानते की दूसरे लोगों से बातचीत कैसे शुरू की जाए।
हम छोटी चर्चा से बातचीत शुरू कर सकते हैं। अगर हमें बातचीत में आगे बढ़ना नहीं आ रहा है तो हम लोगों से उनके बारे में बात कर सकते हैं। अगली बार जब भी आपको किसी नए इंसान से मुलाक़ात करने का मौका मिले तो उनसे कुछ इस तरह के सवाल पूछे – आप कैसे हैं? उनसे मौसम के बारे में उनके विचार पूछे? उनसे उनकी फैमिली के बारे में पूछे? उनसे पूछे वो किस तरह के काम में हैं?
इस तरह के सवाल, उन्हीं के ही बारे में बात करने का मौका देंगे। हमें ऐसा विषय ढूंढने की जरूरत नहीं है जिसमें हम दोनों रुचि रखते है बल्कि उनसे उस विषय पर बात करे जिसमें वो विशेषज्ञ (expert) हैं और वो विषय है वो खुद ।
हम भी इंसान हैं और ये normal है कि हमें भी अपने खुद के बारे में बात करने की इच्छा होती है। हम अपने बारे में बात करके चमकना चाहते हैं, हम दूसरों को impress करना चाहते हैं। अगर हम बातचीत का रुख अपने बजाये उनकी तरफ ही मोड़ दे तो वो अपने आप ही हमसे impress हो जाएंगे।
हम अपने बारे में बात कर सकते हैं जब हमसे हमारे बारे में पूछा जाए लेकिन वो भी ज्यादा नहीं होना चाहिए।
खुशी वाली बातों का इस्तेमाल करें। जो लोग हमसे नकारात्मक बात करते हैं या अपने मुद्दों का रोना रोते रहते हैं, उन लोगों को लोग कभी भी पसंद नहीं करते है। अगर आपको परेशानी है तो पेशेवर (professional) सलाहकार के पास जाए जो आपकी मदद करेंगे या किसी करीबी या भरोसेमंद दोस्त से share करे। सिर्फ अपनी परेशानियां के बारे में ही बात करते रहना हमें hero नहीं बल्कि एक boring इंसान बनाता है।
अगर सच में अपनी परेशानी को express करना चाहते हैं या हलका महसूस करना चाहते हैं तो खुद को एक पत्र लिखे जिसमें हर एक परेशानी या समस्यायों को विस्तार से लिखे और आखिर में लिखने के बाद उस पत्र (letter) को जला दे। ऐसा करने से हम अपनी परेशानियों कोबाहर भी निकाल लेंगे और हलका भी महसूस करेंगे ।
हमें दूसरों को ताने मारने या चिढ़ाने की इच्छा को दबाना आना चाहिए। हम दूसरों को छेरते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि उनको अच्छा लगेगा। जैसे पति अपनी पत्नी को, पत्नी अपने पति को, दूसरे लोगों के सामने मज़ाक उड़ाते हैं क्योंकि उनके मन में ये गलतफहमी होती है कि ये प्यार दिखाने का एक तरीका है। हम ये सोचते हुए दूसरों को ताने मारते हैं कि वो बुरा नहीं मानेंगे ।
चिढ़ाना या ताने मारना, दोनों ही लोगों के आत्मसम्मान को निशाना बनाते हैं। कोई भी जो आत्मसम्मान के लिए जोखिम दिखती है, वो खतरनाक होती है चाहे उसको मजाक में ही क्यों ना किया गया हो ।
सुनना
समझने वाले अंदाज से लोगों की बात सुने, ये लोगो के साथ दोस्ती करने और उनके साथ मिलके रहने का सबसे अच्छा तरीका है।
हम सब चाहते हैं कि लोग हमें बुद्धिमान समझे। एक सबसे प्रभावशाली (effective) तरीका है लोगों को सुन्ना और ध्यान देना कि वो क्या कहना चाहते हैं ।
लोग हमें बताते हैं कि वो क्या चाहते हैं जब हम उनको सुनते हैं। लोगों के साथ अच्छे रिश्ते दोतरफ़ा है जैसे लेना और देना। जब तक हमें ये पता नहीं होगा की लोगों को क्या चाहिए, वो किसी के बारे में क्या सोचते हैं या उनकी खास जरूरते क्या है, तो हम उनके बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं। और जब तक हमें लोगों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी तब तक हम लोगों को प्रेरित भी नहीं कर सकते। सफल लोग वो हैं जो दूसरों को बोलने और लगातार बोलते रहने के लिए प्रोत्साहित (encourage) करते हैं और अपना मुह बंद रखते हैं ।
सुनने से संकोच दूर होता है। जब हम दूसरों की बात ध्यान से सुनते हैं, उनकी आवाज के लहजे या शब्द पे पुरा ध्यान देते हैं तो इससे हम अपना ध्यान अपने ऊपर से हटा सकते हैं। अगर हम दूसरों को ध्यान से सुन्ना चाहते हैं, तो धैर्य के साथ सुने। किसी की सबसे बड़ी तारीफ ये है कि उसकी बात को बहुत ध्यान से सुन्ना ।
सुन्ने की कला हम नीचे दिए तरीको से सीख सकते हैं:
1. जो इंसान बात कर रहा है उसकी तरफ देखें। जो लोग सुनने के लायक होते हैं वो देखने के लायक भी होते हैं, और इससे हमें उनकी तरफ ध्यान केन्द्रित करने में भी मदद मिलती है ।
2. लोगों की बातों में गहरी रूचि ले। अगर आप उनकी बात से सहमत हैं तो हा में सर हिलाएं और अगर वो कोई कहानी सुना रहे हैं तो मुस्कुराएं ।
3. बात करने वाला इंसान के आगे थोड़ा सा झुकें। गौर करें की जब कोई हमसे बहुत दिलचस्प (interesting) बात करता है तो हम उसकी ओर झुक जाते हैं और बोरिंग बात करने वाले से थोड़ा सा दूर की तरफ जाने लगते हैं ।
4. सवाल पूछे, ये लोगों को ये बताता है कि आप उनकी बात लगातार सुन रहे हैं ।
5. बीच में ना टोके, लोगों के लिए ये तारीफ जैसा है जब हम उनकी बात बिना रुकावट डाल सुनते हैं। लेकिन वो बहुत खुश हो जाते हैं जब हम उनसे इस तरह के सवाल पूछते है जैसे कि – वो आखिरी वाले पॉइंट को आप और डिटेल में समझाएंगे?
6. बात करने वाले विषय में बदलाव न करें, चाहे आपकी कितनी भी इच्छा हो किसी और विषय पर बात करने की ।
7. अपनी बात रखने के लिए, सामने वाले के शब्दों का इस्तेमाल करें। यह सिर्फ़ ये नहीं दर्शाता की आप सुन रहे थे बल्कि उनका विरोध किए बिना हमें अपने विचार रखने का मौका देता हैं। अपनी बात इस प्रकार से रखे जैसा की आपने बताया।
लोगों को मनाना
हर रोज कुछ ऐसी स्थिति आती है जहां हमें अपनी बात मनवाने की जरूरत पड़ती है और दोनों पक्षों के बीच असहमति होती है। चाहे वो हमारा जीवन साथी हो, बच्चे हो, boss हो, worker हो, पड़ोसी हो, दोस्त हो। बहस (argument) होना normal है लेकिन हमें राजी करवाने का एक normal तरीका बनाना चाहिए ।
जब कोई हमारे सोच का विरोध करता है तो हम उसको अपने अहंकार के लिए खतरा मानते हैं। हम emotional हो जाते हैं और अपनी सोच को अपने विरोधी के गले में जबरदस्ती उतारना चाहते हैं। हम अपनी सोच को बढ़ा-चड्ढा के बताते हैं, लेकिन इस तरीके से जीता नहीं जा सकता ।
किसी भी बहस को जीतने का एकमात्र तरीका है सामने वाले को अपनी सोच बदलने के लिए राजी करना ।
कम pressure ही secret है – हम लोगों के nature को अपने खिलाफ नहीं बल्कि अपने favour में इस्तेमाल करना सीखना होगा। अगर हम लोगों को ये बोलते हैं कि उनके विचार खराब हैं तो वे खुद को बचाते हैं। जब हम धमकियो का इस्तेमाल करते हैं तो हमारे सोच के लिए वो अपने दिमाग को बंद कर देते हैं, चाहे वो सोच कितनी ही अच्छी हो ।
अगर हम अपने विचारो को देखना चाहते हैं तो हमे सामने वाले के अवचेतन (subconscious) मन को छूना पड़ेगा क्योंकि जब तक सामने वाले के अवचेतन मन को कोई बात स्वीकार नहीं होती, वे भी उस बात को स्वीकार नहीं करते ।
बहस जीतने के कुछ नियम:
- दूसरों को उनकी बात रखने का मौका दें, बीच में ना टोके, सुनना याद रखे, जिस इंसान को कोई बात कहनी होती है उसका दिमाग भी बोलने के लिए set होता है। अगर हम चाहते हैं लोग हमारी बात सुने तो पहले हमें लोगों की बात को सुनना सीखना होगा ।
- किसी को जवाब देने से पहले थोड़ा रुके। ये वहां भी जरुरी है जहां बातों में किसी प्रकार की असहमति नहीं है। जब भी आपसे कोई सवाल पूछा जाए तो थोड़ा सा ठहर के जवाब दें। यह ये दर्शाता है कि आपने जवाब को सोच समझ के दिया है क्योंकि ये आपके लिए एक जरूरी बात है ।
- हमेशा 100 प्रतिशत जीतने पे जोर ना दें। जब भी हम किसी बहस में पड़ते है तो हमारी कोशिश होती है ये साबित करने की हम सही हैं और सामने वाला इंसान गलत। अगर सामने वाले के पास कोई सही point है जो उसके पक्ष में है तो उसे स्वीकर करें ।
- अपनी बात को सटीक तरीके से रखे। जब कोई हमारी बात का विरोध करता है तो हमें बात को बढ़ा-चढा के बताने की आदत होती है। शांति से बताए गए facts लोगों को अपनी सोच बदलने में ज्यादा कारगर होती हैं।
- तीसरे पक्ष के जरीये बात करें। एक वकील जब कोई मामला जीतना चाहता है तो वह गवाह तय करता है जो judge के सामने बोल सके। जहां बातचीत में असहमति होती हैं वहां तीसरे पक्ष के जरीये बात करना मदद करती है। Records और इतिहास का सहारा लेके बात करें ।
- सामने वाले को अपनी लाज बचाने का मौका दे। बहुत बार ऐसा होगा जब सामने वाला अपना दिमाग भी बदलेगा या आपसे सहमत होगा। लेकिन परेशानी यहां आती है कि वो अपना नजरिया रख चुके होते हैं, और अब शान के साथ वो अपनी बात से पिछे नहीं हट सकते। आप से सहमत होने के लिए उन्हें ये मानना पड़ेगा की वो गलत थे। हमें उन्हें उनके खुद के तर्क से बचाना आना चाहिए। पहला तरीका ये है कि उन्हें राजी करना की उनके पास सारे तथ्य नहीं थे – मुझे भी शूरु में ऐसा ही लगा था, लेकिन मुझे जब ये जानकारी मिली तो जैसे मेरा दीमाग ही बदल गया। दूसरा तरिका है उन्हें ये सुझाना है कि उसे कैसे किसी और की तरफ फेका जा सके।
तारीफ (praise) करना
तारीफ एक प्रकार की ऊर्जा (energy) प्रदान करती है। तारीफ हमें नई ऊर्जा और नई जिंदगी देती है। तारीफ से जो खुशी मिलती है वो कोई भ्रम या कल्पना नहीं है बल्कि एक ताकत है ।
रोज एक छोटा चमत्कार करें – जब भी हम किसी को उत्साह या ऊर्जा से भरते हैं तो हम एक छोटा चमत्कार कर रहे हैं। ये आसान है। हमें बस इतना करना है कि हर दिन किसी की सच्ची तारीफ करें और गौर करें की वो कैसे उनको बेहतर करने में मदद करता है। सच्ची तारीफ करने से ना सिर्फ लोग अच्छा महसूस करते है बल्कि ये उनको बेहतर काम करने के लिए भी प्रेरित करता है ।
अगर कोई हमारे ऊपर कोई छोटा एहसान करता है या हमारी कदर करता तो हमें उसे धन्यवाद देना चाहिए। ये ना समझे की लोगों को पता है कि आप उनकी कदर करते है, उन्हें ये जरूर बताए। जब आप लोगों के काम की कद्र करते हैं तो वे और ज्यादा बेहतर काम करना चाहते हैं।
धन्यवाद कहने के कुछ नियम:
1. धन्यवाद सच्चा होना चाहिए, उन्हें इस प्रकार कहे मानो आप दिल से कह रहे हो, उसे खास बनाए ।
2. धन्यवाद को खुल के बोले, ऐसा न दिखें कि आपको शुक्रिया बोलने में शर्म आ रही है ।
3. लोगों को नाम लेके धन्यवाद करें, अगर group में बहुत सारे लोग हैं तो सबको एक – एक करके नाम लेके धन्यवाद करें ।
4. लोगों की तरफ देखकर धन्यवाद करे, अगर वो धन्यवाद के लायक हैं तो वे देखने के लायक भी होंगे ।
5. लोगों को धन्यवाद कहने पर काम करें, उन चीजों को ढूंढे जिनके लिए आप लोगों को धन्यवाद कह सके ।
6. लोगों को तब धन्यवाद कहे जब उन्हें उसकी बिल्कुल भी उम्मीद ना हो। आपका धन्यवाद और भी बड़ा हो जाता है जब लोगों ने उसकी बिल्कुल अपेक्षा ना की हो या उन्हें ये न लगता हो कि वे उसके हकदार हैं ।
7. कोई भी इंसान perfect नहीं होता, लेकिन सब में कोई ना कोई अच्छाई जरूर होती है। अगर आपको कोई irritate करता है तो उसमे उन चीजों को ढूंढे जिसके बारे में आप उसकी तारीफ कर सके ।
तारीफ करने के कुछ जरूरी पहलू:
- तारीफ सच्ची होनी चाहिए। चापलूसी साफ दिख जाती है और उससे कुछ हासिल नहीं होता। हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता है जिसकी तारीफ की जा सके। किसी छोटी चीज के लिए सच्ची तारीफ करना किसी बड़ी चीज के लिए झूठी तारीफ करने से कहीं बेहतर है ।
- इंसान के बजाए उसके काम की तारीफ करें। लोग क्या करते हैं इसकी तारिफ की जानी चाहिए ना की वो क्या है इसके लिए। लोगों को समझ में आ जाता है कि किस चीज के लिए उनकी तारिफ की जा रही है।
हर रोज सच्ची तारीफें करके अपनी खुद की खुशी और मानसिकता को बढ़ायें ।
लोगों को ठेस (offend) पहुंचाए बिना उनकी आलोचना (criticize) करना
इंसान के रिश्तों की असफलता का सबसे बड़ा कारण ये है कि वे दूसरे की आत्मसम्मान को कम करके अपने महत्व की भावना को बढ़ा देते हैं। जब भी हम दूसरों को कहते हैं कि ये मैं तुम्हारे भले के लिए बता रहा हूं तो हम सच में ऐसा नहीं कर रहे हैं बल्कि उनमें खमियां निकालके अपने अहंकार को बढ़ावा दे रहे होते हैं ।
Feedback की असली कला दूसरों को हराने में नहीं बल्कि उनको ऊपर उठाने में है। उनको दुख पहुचाने में नहीं बल्कि उनको बेहतर करने के लिए उनकी सहायता करने में है ।
सफल feedback के जरुरी गुण:
1. प्रतिक्रिया अकेले में दी जानी चाहिए। अगर हम चाहते की हमारी प्रतिक्रिया का सही असर हो तो हमें अपने खिलाफ दूसरों की अहंकार को भड़काना नहीं चाहिए। दूसरों के सामने हलकी सी भी feedback आप में मत-भेद ला सकती है। आपकी भावना या उद्देश्य कितना ही सही हो, जरूरी ये है कि सामने वाले इसके बारे में कैसा महसूस करता है ।
2. Feedback की शुरुआत अच्छे शब्दों से करें क्योंकि अच्छे शब्द एक सही और दोस्ताना माहौल तैयार करते हैं। तारीफ दिमाग को खोल देती है जिससे feedback को सही तरीके से लिया जा सके।
3. काम की प्रतिक्रिया करें, इंसान की नहीं। उनकी प्रतिक्रिया उनके काम तक ही सीमित करके हम उनकी तारीफ कर सकते हैं और उनके अहंकार को भी बढ़ावा दे सकते हैं।
4. जवाब बताये। जब हम दूसरों को बताते हैं कि उन्होंने क्या गलती की है तो उनको ये भी बतायें की उसको सही कैसे किया जा सकता है। जोर गलती पे नहीं बल्कि उसको सुधारने पे या उसे दुबारा न दोहराने पे होना चाहिए ।
5. सहयोग का आग्रह करें, उसकी मांग ना करें। मांगने से हमेशा सहयोग मिलता है, दबाव डालने से नहीं ।
6. एक गलती के लिए एक ही बार feedback करें, बार-बार नहीं ।
7. दोस्ताना अंदाज़ में issue को खत्म करें। जब तक कोई भी मुद्दा एक अच्छे note पर खत्म ना हो तो वो कभी खत्म ही नहीं होता। चीजों को हवा में लटका हुआ न छोड़े जिसे बार-बार कुदेरा जा सके। समाधान करें, विश्वास जताते हुए अपनी बात पूरी करें- मैं जानता हूं की मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूं।
इन 11 रूल्स को फॉलो करके हम लोगों के साथ मिलकर बहुत आगे तक जा सकते है और अपनी जिंदगी से जुड़े सभी रिश्तों में सुधार ला सकते है ।
सभी Podcast platform पर भी हमारी summary, Kitabein नाम से उपलब्ध है, जिसे हाल ही में भारत का best educational podcast का award भी मिला है। Link ठीक निचे दिया हुआ है:
Contents
Don’t complain always!
Find the positivity in the peolpe and praise them!
Day 26, The art of dealing with people, by Les Giblins.
We need to deal people in such a way that we are able to put our views clearly in front of them, without offending them. We should avoid criticising people in public, it destroys petsonal relations and create a negative impact.
Thank you Amit sir and RBC.
Thabk you Sir Day 26 completed.
Book: The Art of Dealing with People
यह बहुत ही बेहतरीन बुक sammary थी
Thank you sir ❤️
*THE ART OF DEALING WITH PEOPLE *
MAIN POINTS ?
1. We can’t force people to like us.
2. Make effort what people want.
3. Ego is Divine Spark
We can achieve great things.
4. Treat people as they are special not a machine.
5. We all humans have a power to lift others.
6. We can’t change people, we don’t have a power for that??.
7. Use right word at right time.
8. Talk about themselves.
9. Listen carefully to others and you can give attention to them, which they really need.
10. Stick to subject Don’t Change.
11. Give honest praise to others?.
12. Thanks when people least expect.
13. Never criticism to others in public.