The 7 Habits of Highly Effective People

The 7 Habits of Highly Effective People (हिन्दी)

"The 7 Habits of Highly Effective People" किताब में Stephen R. Covey द्वारा proactive व्यवहार, लक्ष्य निर्धारित करने, कार्यों को प्राथमिकता देने और सार्थक संबंधों को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया है। किताब पाठकों को एक सक्रिय मानसिकता विकसित करने और अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। Covey की सात आदतें, जैसे कि "Be Proactive" "Begin with the End in Mind" और "Seek First to Understand, Then to Be Understood," व्यक्तिगत विकास और प्रभावशीलता के लिए practical insights और रणनीति प्रदान करते हैं। प्रभावी (effective) बनने के लिए अभी पढ़ें।

हमारी आज की summary “The 7 Habits of Highly Effective People” एक आत्म-सुधार (self- improvement) किताब पर है जिसको Stephen R. Covey ने लिखा है।

परिचय

ये इस विश्वास के साथ लिखी गई है कि हम दुनिया को पूरी तरह अपनी धारणाओं (perceptions) से देखते हैं। किसी भी स्थिति को बदलने से पहले हमको खुद को बदलना होगा, और खुद को बदलने के लिए हमको अपनी धारणा बदलनी होगी।

हम सब सफ़ल होना चाहते हैं और सफ़लता पाने का एक ही रास्ता है जो कि है, उन आदतों को पहचानना जो हमको हमारी यात्रा (journey) में मदद करती हैं।

तो चलिए शुरू करते हैं।

अत्यधिक प्रभावी (highly effective) लोगों की 7 आदतें –

  1. सक्रिय (proactive) होना
  2. दिमाग में अंत के साथ शुरूआत
  3. पहली चीज़ें पहले ही रखना
  4. जीतने के बारे में सोचना
  5. पहले दूसरों को समझाना फिर खुद को समझाना
  6. तालमेल (synergize) बनाना
  7. नज़र तेज़ (sharp) रखना

अत्यधिक प्रभावी लोगों के पास क्या आदतें होती है?

इस किताब के शुरू में ही आपको कई ऐसे इंसानों के बारे में पता चलता है जो कि बहुत सफ़ल होने के बावजूद भी, वो कैसे खुद की व्यक्तिगत विकास (personal development) के लिए संघर्ष (struggle) कर रहे होते हैं और दूसरों के साथ एक healthy संबंध बढ़ाने की कोशिश करते रहते हैं।

हम जिस तरह से समस्याओं को देखते हैं वो अपने आप में ही एक बड़ी समस्या है। हमें खुद को प्रतिमान विस्थापन (Paradigm shift) से बदलना होगा। एक असली बदलाव के लिए, हमको खुद का केवल रवैया (attitude) या व्यवहार नहीं बल्कि खुद को मौलिक रूप से (fundamentally) बदलना होगा।

ये है बेहद असरदार लोगों की 7 आदतें (The 7 Habits of Highly Effective People):

  • आदत 1, 2 और 3 रखने वाले बहुत ज्यादा असरदार (effective) लोग होते हैं जो आत्म महारत (self mastery) पर focus करते हैं और निर्भरता (dependency) से आजादी (independency) की तरफ बढ़ते हैं।
  • आदत 4, 5 और 6 रखने वाले लोग, teamwork, सहयोग (collaboration) और संचार कौशल (communication skills) बढ़ाने पर focus करते हैं और निर्भरता से आजादी की तरफ बढ़ते हैं।
  • आदत 7 रखने वाले लोग, विकास (growth) और सुधार (improvement) पर focus करते हैं और दूसरी आदतों पर भी focus करते हैं।

1. सक्रिय (proactive) रहें

पहली आदत है, सक्रिय होना। हम इंसानों में, जानवरों से यह अलग है कि हमारे पास खुद के किरदार (character) को जांच (examine) करने की क्षमता होती है, ये तय करने की क्षमता होती है कि खुद को और स्थितियों को कैसे देखा जाए, और कैसे अपनी प्रभावशीलता (effectiveness) को नियंत्रित किया जाए। आसान भाषा में प्रभावी होने के लिए सक्रिय होना पड़ेगा “The 7 Habits of Highly Effective People” किताब हमे यही बताती है।

प्रतिक्रियात्मक (Reactive) लोगों का निष्क्रिय (Passive) दृष्टिकोण होता है- उनको लगता है कि सब चीज़ें उनके हिसाब से हो रही है। वो इस तरह की चीज़ों को बोलते हैं:

  • यहां ऐसा कुछ नहीं है जो मैं कर सकता हूं।
  • मैं ऐसा ही हूं।

उन्हें लगता है कि समस्या तो बाहर है, लेकिन यही सोच एक समस्या है। प्रतिक्रियात्मक (Reactive) लोग खुद को पीड़ित (victimized) और नियंत्रण (control) से बाहर महसूस करते हैं।

सक्रिय लोग अपनी जिम्मेदारी समझते हैं या कह सकते हैं वो प्रतिक्रिया देने की जिम्मेदारी को समझते हैं। जिसको Stephen का मानना ​​है एक ऐसी क्षमता का होना जिसमें किसी स्थिति में कैसा जवाब (response) देना है इसको अच्छे से चुन पाना।

सक्रिय होने के लिए हमें अपने प्रभाव के घेरे (circle of influence) पर जो बाहरी कारकों (factors) को दोष देते हैं, नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को निकालते हैं, उसपर focus करना जिसकी वजह से प्रभाव का घेरा कम हो जाता है।

प्रतिक्रियात्मक लोग दुसरी तरफ प्रभाव के घेरे पर focus करते हैं ना कि उस प्रभाव के घेरे पर जो बाहरी कारकों को दोष देते हैं, नकारात्मक ऊर्जा को निकालते हैं जिसकी वजह से प्रभाव का घेरा कम हो जाता है।

सक्रिय के सिद्धांत (principle) को test करने के लिए, खुद को चुनौती देते हुए ये चीज़ें करें:-

प्रतिक्रियाशील (reactive) भाषा को सक्रिय भाषा के साथ बदल दें

  1. प्रतिक्रियाशील = “ये मुझे पागल कर रहा है”।
  2. सक्रिय = मैं अपनी भावनाओं (feelings) को नियंत्रित करता हूं।
  3. अपने काम को सक्रिय इंसान की तरह convert करना

2. अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत करें

The 7 Habits of Highly Effective People

दिमाग में एक साफ़ गंतव्य (destination) के साथ शुरु करना। Stephen कहते हैं कि हमको अपनी कल्पना (imagination) का उपयोग करना चाहिए, अपने vision को देखने में कि हम क्या बनना चाहते हैं।

बहुत से लोगों को खुद को व्यस्त रखने में आसानी होती है। हम जीत हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं जैसे promotion लेना, ज्यादा आय और ज्यादा पहचान (recognition) के लिए मेहनत करते हैं। लेकिन हम इस व्यस्तता के पीछे क्या मतलब है ये, मूल्यांकन (evaluate) नहीं करते, हम खुद से ये नहीं पूछते की अगर चीज़ों पर हम वास्तविक में focus कर रहे हैं तो वो हमारे लिए कितनी matter करती है।

दूसरी आदत हमें ये सुझाव (suggestion) देती है कि जो भी हम करते हैं उसमें हमें दिमाग में अंत से शुरू करना चाहिए। एक साफ़ गंतव्य के साथ शुरू करें। इस तरीके से हम ये चीज़ सुनिश्चित कर सकते हैं कि हम एक सही दिशा में जा रहे हैं।

मन में अंत का सोचकर शुरू करना business के लिए बहुत जरूरी है। Manager वो होता है जो काम की दक्षता (efficiency) को सुधारता है, पर leader वो होता है जो सही रणनीति अपनाता है जिसकी दृष्टि पहले उसकी संगठन (organization) के लिए होता है।

इससे पहले की हम एक व्यक्ति के रूप में और एक संगठन के रूप में लक्ष्य को निर्धारित करना और प्राप्त करना शुरू करें, हमें अपने मूल्यों को पहचानना चाहिए। इस प्रक्रिया (process) में हो सकता है खुद के कुछ मूल्यों (values) को बदलने या re-script करने पर ज़ोर देना पड़े।

Rescripting को Stephen व्याख्या (explain) करते हैं कि यह ऐसी अप्रभावी script है जो आपके लिए लिखी गई है और इन scripts को एक सक्रिय (proactive) इंसान बदलता है जो नई values का निर्माण करता है।

हमें खुद का केंद्र पहचानना भी जरूरी है। जो कुछ भी हमारी जिंदगी के केंद्र में है, वहीं हमारी सुरक्षा (safety), मार्गदर्शन (guidance), ज्ञान और शक्ति का स्रोत है।

हमारे केंद्र हमें मौलिक रूप से (fundamentally) प्रभावित करते हैं। वो हमारे हर रोज़ लिए जाने वाले फैसले, कार्य, प्रेरणा को भी प्रभावित करते हैं।

दिमाग में अंत से शुरू करने के सिद्धांत को test करने के लिए खुद को चुनौती देते हुए ये चीज़ें करें:-

  1. अपने खुद के अंतिम संस्कार (funeral) को detail में देखना – वहां कौन है? वो आपके बारे में क्या बोल रहे हैं? की आपने अपनी जिंदगी को कैसे जीया? आपके रिश्ते कैसे थे? आप उन्हें क्या कहना चाहते हो? इस बात को जरा सोचिए कि अगर आपके पास जिंदगी में सिर्फ 30 साल हैं जीने के लिए तो आपकी प्राथमिकताएं (priority) कैसे बदलेंगी, उन्हीं प्राथमिकताओं के साथ जीना शुरू करें।
  2. अपने जीवन में अपने अलग भूमिका (roles) को तोड़ना – चाहे वो professional और personal क्यों ना हो और 3 से 5 लक्ष्य की list बनाना जो आपको हासिल करने हैं।
  3. जिस चीज़ से आप डरते हैं उसे परिभाषित करना:- जैसे की public speaking का डर? किताब लिखने के बाद आलोचनात्मक प्रतिक्रिया (critical feedback) मिलने का डर ?? अपने सबसे बड़े डर का सबसे खराब मामले की पृष्ठभूमि (worst case scenario) लिखें?? फिर उसे visualise करें कि उस स्थिति को आप कैसे संभालेंगे। सटीक visualisation को लिखें।

3. पहली चीजें पहले रखो

The 7 Habits of Highly Effective People Book

खुद को प्रभावशाली तरीके से प्रबंध (manage) करने में हमें महत्वपूर्ण चीजों को पहले रखना होता है। हमें अनुशासन से रहना होता है ताकि दिन प्रति दिन (day by day) आप अपनी चीज़ों को प्राथमिकता (prioritize) करें कि कौन सी महत्वपूर्ण है और कौन सी महत्वपूर्ण नहीं और कौन सी बहुत अत्यावश्यक (urgent) है।इस बात पर “The 7 Habits of Highly Effective People” किताब में जोर दिया गया है।

दूसरी आदत में हमने चर्चा कि थी अपनी values को निर्धारित (determine) करने और उन्हें समझने के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित करने हैं उन्हें हासिल करने के लिए। आदत-3 में लक्ष्य निर्धारित करने के बाद हमें उन्हें दिन-प्रति-दिन, पल-पल प्राथमिकता देना है।

अनुशासन बनाए रखने के लिए और लक्ष्यों के track पर focus बनाए रखने के लिए, हमारे पास कुछ करने की इच्छाशक्ति (willpower) होनी चाहिए। हमको इच्छा के हिसाब से नहीं बल्कि, अपने मूल्यों के हिसाब से काम करना चाहिए।

सारी गतिविधियों (activities) को 2 कारकों में बांटा जा सकता है अत्यावश्यक (urgent) और महत्वपूर्ण:

हम अत्यावश्यक matters पर react करते हैं। जो चीज़ें जरूरी नहीं है उनपर अपना समय बर्बाद करते हैं। इसका मतलब है हम quadrant II को उपेक्षा (neglect) करते हैं जो कि हम सबके लिए बहुत जरूरी होता है।इस बात पर “The 7 Habits of Highly Effective People” किताब में जोर दिया गया है।

अगर हम quadrant l पर focus करते हैं और अपना समय समस्याओं पर लगाते हैं तो वो और भी बढ़ती जाती है जब तक वो हमें खा ना ले। ये तनाव, जलन और आग की तरह बाहर निकलता है।

अगर हम III quadrant पर focus करते हैं और ज्यादा समय उन matters पर बर्बाद करते हैं जो हमको अत्यावश्यक लगते हैं लेकिन सच ये है कि उन matters की अत्यावश्यकता (urgency) दूसरों की प्राथमिकता और उम्मीदों (expectations) पर आधारित होती है। ये short term focus, नियंत्रण से बाहर (out of control) feeling, उथले और टूटे हुए रिश्ते की तरफ ले जाते हैं।

अगर हम lV quadrant पर focus करते हैं तो हम जीवन में जिम्मेदार नहीं होते। ये ज्यादातर नौकरी से निकाले जाने का कारण और दूसरों पर निर्भर रहने का कारण बनता है।

Quadrant II deal करता है, संबंध निर्माण build, long term की planning करना, गतिविधियां और खुद को तैयार करना। यह सब चीज़ें हम जानते हैं जो हमें करनी होती है लेकिन कभी-कभी ऐसे चीज़ें पास आ जाती है जिससे हम इनको अत्यावश्यक नहीं समझते।

Quadrant II पर focus करने के लिए हमें दूसरी गतिविधियों को ‘नहीं’ बोलना होगा क्योंकि कभी- कभी जो जरूरी लगता है उसे करने के लिए प्रभावी होना जरूरी है।

साथ ही, जब हम quadrant II पर focus करते हैं इसका मतलब है कि हम आगे की सोच रहे हैं और अपने जड़ों (roots) पर काम कर रहे हैं। बाद में रोने से पहले ही सावधान होना जरूरी है। ये हमको माता-पिता सिद्धांत को लागू करने में मदद करता है। आपके 20% समय में किए गए प्रयासों का परिणाम आपको 80% मिलता है।इस बात पर “The 7 Habits of Highly Effective People” किताब में जोर दिया गया है।

यहां कुछ उदाहरण है जिनका उपयोग करके आप चीज़ों को कैसे प्राथमिकता देना है ये अभ्यास कर सकते हैं:

  1. quadrant II की पहचान करना जिसकी आप उपेक्षा कर रहे हैं। जो आपको करना है उसे लिखें और लागू करें।
  2. अपनी खुद के समय प्रबंधन (time management) matrix तैयार करें जिससे आप चीज़ों को प्राथमिकता दे सकते है।
  3. समय का अनुमान लगाना कि किस quadrant को आप कितना समय दे रहे हैं। फिर आप अपने समय को check करे, कि आप quadrant-II को कितना समय दे रहे हैं क्योंकि वो सबसे ज्यादा जरूरी है।

4. फायदे का सौदा (Win – Win) सोचो

एक अच्छे प्रभावी संबंध के लिए हमें जीत की स्थिति की तरफ प्रतिबद्ध (committed) होना होगा जो दोनों तरफ से संतोषजनक (satisfying) और लाभकारी (beneficial) होगा।

The 7 Habits of Highly Effective People Summary

Stephen यहां human interaction के 6 paradigm उदाहरण देते हैं:

  1. फायदे के सौदे में दोनों लोग जीतते हैं जिसमें समझौते (agreements) और समाधान (solutions) दोनों parties के लिए फायदेमंद होते हैं।
  2. जीतना और हारना – अगर मैं जीता तो तुम हारे। ये लोग अपना रास्ता बनाने के लिए, पद (position), शक्ति (power), साख (credentials) और व्यक्तित्व (personality) का इस्तेमाल करते हैं।
  3. जीतना हारना – मैं हारा तो तुम जीते। इन लोगों को बहुत आसानी से please किया जा सकता है। इनको लोकप्रिय (popular) होने और स्वीकार होने से ताकत मिलती है।
  4. हारना – हारना – इस स्थिति में दोनों party हार जाती है। जब दो जीत-हार लोग मिलते हैं तब दो दृढ़निश्चयी (determined), जिद्दी (stubborn), अहंकार (ego) से भरे दो लोग मिलते हैं और ऐसे में परिणाम होगा lose-lose।
  5. जीतने वाले लोग ये मानसिकता नहीं रखते कि किसी को हराना है बल्कि उनके लिए ये महत्वपूर्ण है कि वो क्या चाहते हैं और उनको क्या मिला।
  6. जीतना ही है वरना कोई deal नहीं- अगर आपका ऐसा समझौता नहीं है जिसमें दोनों परस्पर लाभकारी (mutual beneficial) हो, तो ऐसे समझौते का कोई फायदा नहीं है।

सबसे महत्वपूर्ण कारक (factor) है कि जो जीत की स्थिति को हल करता है, वो है खुद की बहुतायत मानसिकता (abundance mentality) की सोच को बनाए रखना और ये विश्वास रखना की दुनिया में सबके लिए बहुत बहुतायत में चीज़ें है।

बहुत से लोग कमी वाली मानसिकता (scarcity mentality) के साथ काम करते हैं मतलब अगर कुछ आपको मिल गया तो वो मुझे नहीं मिलेगा। जिन लोगों की बिखराव की मानसिकता होती है वो बहुत मुश्किल समय से गुज़रते हैं और दूसरों की सफलता से कभी खुश नहीं हो पाते। इस बात पर “The 7 Habits of Highly Effective People” किताब में जोर दिया गया है।

जब पारस्परिक नेतृत्व (interpersonal leadership) की बात आती है, जितना ज्यादा असली हमारा चरित्र होता है, उतनी ही high level की उत्पादकता (productivity) होती है। जितने ज्यादा हम जीत के लिए प्रतिबद्ध होंगे उतनी ज्यादा हमारी प्रभाव शक्ति होगी। फायदे के सौदे को प्राप्त करने के लिए, समस्याओं, तरीकों और लोगों पर focus ना करके, परिणाम पर focus करना चाहिए।

खुद को जीत की स्थिति में पाने के लिए ये चुनौतियां दें:

  • किन्हीं तीन महत्वपूर्ण रिश्ते की पहचान करना “The 7 Habits of Highly Effective People” किताब हमे बताती है। इन तीनों रिश्तों के बीच के संतुलन को समझो कि आप क्या महसूस करते हैं। आप देने से ज्यादा क्या ले रहे हो? 10 चीज़ें ऐसे लिखो जो आप एक दूसरे से लेने की बजाय दे रहे हो।

5. पहले समझने की कोशिश करें, फिर समझे जाने की

किसी को सलाह, सुझाव और समाधान देने से पहले दूसरे इंसान के साथ प्रभावी तरीके से बातचीत करें ताकी हम उनका परिप्रेक्ष्य (perspective) को ध्यान से सुने और समझे।

मान लीजिए आप एक आंख के doctor के पास जाते हैं और उसे बताते हैं कि आपको साफ़ देखने में दिक्कत आ रही है, उसमें वो आपको अपना चश्मा देता है और बोलता है कि ये कोशिश करो, मेरे लिए ये सालों से काम कर रहे हैं। आप वो चश्मा लगाते हैं लेकिन वो आपकी समस्या को और खराब कर देता है। क्या chance है कि आप उस doctor के पास वापस जाएंगे?

दुर्भाग्य से यही चीज़ हम दूसरे के साथ बातचीत करते समय करते हैं। समस्या समझने से पहले हम समाधान देने लगते हैं।

आदत-5, कहती है कि समझे जाने से पहले समझना होगा और समझने के लिए हमें सुनना सीखना होगा।

किसी को प्रभावी ढंग से सुनने के लिए मौलिक रूप से बदलना होगा। हमें सबसे पहले समझना होगा कि ज्यादातर लोग जवाब देने के लिए सुनते हैं लेकिन समझते नहीं है। वो लोग हर समय, या तो वो बोल रहे होते हैं या बोलने की तैयारी कर रहे होते हैं।

Stephen बताते हैं कि संचार विशेषज्ञ (communication experts) ये अनुमान करते हैं कि:

  • 10% संचार (communication) हमारे शब्द का प्रतिनिधित्व (representation) करते हैं।
  • 30% हमारी आवाज का प्रतिनिधित्व करती है।
  • 60% हमारी body language का प्रतिनिधित्व करती है।

आदत संख्या 5 का दूसरा हिस्सा जिसमें यह समझना कि ये उतना ही मुश्किल है जितना जीत की स्थिति को पाना।

यहां कुछ उदाहरण है दूसरों को पहले समझने के लिए:-

अगली बार जब आप लोगों को बात करते हुए देखते हैं तो अपने कान बंद करके देखें। कौन सी emotions कि बातें हो रही है जो सिर्फ शब्दों के जरिए नहीं हो सकती। कौन सा इंसान बातों में ज्यादा दिलचस्प (interested) है? जो आपने notice किया उसे लिखें।

6. तालमेल (synergize) बिठाएं

दूसरों के मूल्यों (values) को समझने के लिए हमें तालमेल रखनी होती है जो हमें नई संभावनाएं (possibilities), खुलापन (openness) और रचनात्मकता (creativity) देती है।

तालमेल नए विकल्प और नई संभावनाओं का सृजन (creation) करती है। ये हमें अनुमति देते हैं कि हम पुराने तरीकों को भूल कर नए विचारों पर काम करें।

इस आदत को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आदत 4 और 5 को इस्तेमाल करना होगा। आपको जीत की स्थिति के बारे में सोचना होगा और दूसरे को समझाना होगा।

जब आप ये करते हैं तो आप खुद को दूसरों को एक तरफ़ में रखके सोचते हैं, उनकी समस्याएं और उनकी जरूरत को समझते हैं, और एक विकल्प निकालते हैं जिससे उनकी मदद हो सके।

ये एक परिवर्तन (transformation) है और इससे उन्हें वो मिलता है जो उन्हें चाहिए और इसी प्रक्रिया में संबंध का निर्माण होता है। तालमेल का वास्तविक सार (real essence) है- अंतर को value करना, चाहे वो मानसिक (mental) हो, भावनात्मक (emotional) हो या मनोवैज्ञानिक (psychological) हो।

The 7 Habits of Highly Effective People Hindi

जब हम अपने perspective का विस्तार करते हैं तो इससे दूसरे के मूल्यों में भिन्नता को महत्व दे पाते हैं।

अन्योन्याश्रित (interdependent) स्थिति में खुले रहने के लिए दूसरे को भी प्रोत्साहित करना-

  • उन लोगों की list बनाएं जो आपको irritate करते हैं: अब एक इंसान को चुने। उनके कितने अलग विचार हैं? एक minute के लिए खुद को उनके स्थान पर रख कर देखे? सोचे और समझें कि उनको कैसा लग रहा है तब आप ज्यादा बेहतर समझ पाएंगे।
  • अब अगली बार जब आप उसी इंसान के साथ सहमत नहीं होंगे, उनकी चिंताओं को समझने की कोशिश करें कि वो आपसे सहमत क्यों नहीं है, जितना बेहतर आप समझ पाएंगे उतना ही उनका और आपका मन भी बदलेगा।

7. नज़र को तेज करें

प्रभावी बनने के लिए हमें खुद को शारीरिक (physically), आध्यात्मिक (spiritually), मानसिक (mentally) और सामाजिक (socially) रूप से बदलना होता है। जब हम खुद को निरंतर परिवर्तन की अनुमति देते हैं तब जाके हम सारी आदतों को अच्छे ताल-मेल के साथ अभ्यास कर पाते हैं।

आदत 7 बदलावों पर focus करता है और नज़र को तेज़ करने के लिए समय लेता है, ये सभी दूसरी आदतें से घिरी हुई है और अपनी सबसे बड़ी asset को बढ़ाता है वो है “अपने आप को”।

यहां हमारे प्रकृति के 4 आयाम (dimension) हैं और सबको रोज़ और संतुलित तरीके से अभ्यास करना ही चाहिए।

शारीरिक आयाम: शरीर के व्यायाम के लिए लगातार शारीरिक सुधार जरूरी है जिससे हमारे काम करने की क्षमता के साथ-साथ हम आनंद भी ले सकते हैं।

खुद को शारीरिक रूप से बदलने के लिए, हमें:

  1. अच्छा खाना-खाना
  2. अच्छे से आराम करना और relax रहना
  3. नियमित व्यायाम से खुद का धैर्य लेवल (patience level), लचीलापन (flexibility) और ताकत (strength) का निर्माण करना।

आध्यात्मिक आयाम: किताब “The 7 Habits of Highly Effective People” हमे अपनी खुद की आध्यात्मिक शक्ति को बदलने में जीवन को नेतृत्व (leadership) प्रदान करें जैसा ये हमारे मूल्य प्रणाली (value system) के लिए प्रतिबद्धता की शक्ति को बढ़ाता है।

खुद को आध्यात्मिक रूप से बदलने के लिए आप ये कर सकते हैं:

  1. रोज़ ध्यान (meditate) करना
  2. प्रकृति के साथ बातें करना
  3. खुद को अच्छा संगीत सुनने के लिए और अच्छे साहित्य में ज्यादा शामिल करें।

मानसिक आयाम: अपनी मानसिक स्वास्थय को नवीकरण (renew) करने के लिए अपने दिमाग को लगातार बढ़ाना होता है और यहीं मुख्य लक्ष्य है।

खुद को मानसिक रूप से बदलने के लिए, हम ये कर सकते है

  1. अच्छी किताबें पढ़ना
  2. अपने पास खुद के विचार, अनुभव और अंतर्दृष्टि (insights) का journal रखना चाहिए
  3. TV उतना ही देखे जितना आपका जीवन और आपके मन पर अच्छा असर पड़े। TV सीमित रूप से देखना ही सही रहता है।

सामाजिक (social) और भावनात्मक (emotional) आयाम (dimension): सामाजिक और भावनात्मक आयाम को बदलने से रिश्ते विकसित होते हैं।

अपने आप में भावानात्मक नवीनीकरण करने के लिए आप ये कर सकते हैं:

  • दूसरे लोगों को गहराई से (deeply) समझना चाहिए।
  • अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान (contributions) अच्छे projects में देना चाहिए जिससे कि दूसरों की जिंदगी को बेहतर कर सकते हैं।
  • अपनी मानसिकता को बदलें ताकि आप दूसरों को सफल बनाने में मदद कर सको।

जैसा की हम बदलावों की बात कर रहे हैं इन 4 आयामों के साथ हमें दूसरे इंसानों में सकारात्मक चीज़ें देखनी चाहिए। हमें दूसरों को प्रेरित करना चाहिए ताकि वो अच्छे रास्ते पर खुद को विश्वास के साथ देखें, उनको ध्यान से सुनना चाहिए और actively प्रोत्साहित करना चाहिए।

नवीनीकरण और बदलाव एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें लगातार सुधार और विकास में मदद करता है।

  • खुद को बदलने वाली गतिविधियां (activities) की list बनाएं जिससे आपको मदद मिले, उन सभी 4 आयामों के साथ जो आपको बताए गए हैं। एक आयाम के साथ एक गतिविधि चुने जो आपका साप्ताहिक लक्ष्य पूरा करने में मदद करता है। सप्ताह के अंत में आपको अपनी प्रदर्शन (performance) check करनी चाहिए जो आपको आपके लक्ष्य को पूरा करने में और सफलता दिलाने में मदद करता है।

धन्यवाद दोस्तों, मुझे उम्मीद है कि यह किताब आपको अच्छी लगी होगी और मैं ये मानता हूं इन 7 आदतें को लागू (implement) करके आप जीवन में बहुत सफ़लता पा सकते हैं।

The 7 Habits of Highly Effective People किताब की समीक्षा

Stephen R. Covey की “The 7 Habits of Highly Effective People” एक परिवर्तनकारी self-help किताब है जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए timeless principles प्रदान करती है।

“The 7 Habits of Highly Effective People” में Covey का approach सक्रिय व्यवहार, लक्ष्य निर्धारित करने, कार्यों को प्राथमिकता देने और सार्थक संबंधों को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देता है। किताब पाठकों को एक सक्रिय मानसिकता विकसित करने और अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।

“The 7 Habits of Highly Effective People” में Covey की सात आदतें, जैसे कि “Be Proactive,” “Begin with the End in Mind,” और “Seek First to Understand, Then to Be Understood,” व्यक्तिगत विकास और प्रभावशीलता के लिए practical insights और रणनीति प्रदान करते हैं।

यह प्रभावशाली guide अपनी उत्पादकता बढ़ाने और स्थायी सफलता प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक शक्तिशाली resource के रूप में कार्य करता है।

धन्यवाद।

2 thoughts on “The 7 Habits of Highly Effective People (हिन्दी)”

Leave a Comment